AI is A recreation of A Creation …
Friends time is getting change very fast so its need some extra for save to time or in this saving of time exercise we are adopting to shortcut way . this shortcut way is making to us handicapped . It is true . why I am saying it to you ? can you imagine ?
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Professor Bhuvnesh Jain is presenting his Paper on AI - Seminar , Live At Ajit foundation Bikaner 2025 |
Actually yesterday I was invited for join to a Seminar at Ajit foundation Bikaner . that Seminar subject was AI ( Artificial intelligence ) , it is very funny the Designer of Artificial Intelligence are taking shortcut way in call to this Artificial Intelligence. they are calling to it AI . it mean its start is from Short cut ..
Kind your information that seminar was run on online or its coordinator was professor Vikram Vyas Jaipur. AI seminar presentation was presented from America. Professor Bhuvnesh Jain- Pennsylvania university of united states America .He presented his paper on AI in three steps . in first step he explored to design of AI in computer science, ( DATA base format is work in AI design ).
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Professor Vikram Vyas is Coordinating to Seminar On AI from jaipur ONLINE live 2025 |
In second step he explored to technical exercise of AI for text or all world languages , visuals or music by slide presentation on screen .
In third step professor Bhuvnesh Jain invited questions to listeners . so from Ajit foundation of Bikaner or as a art master of fine art I put my question or I asked to professor Bhuvnesh Jain. Sir can you tell me After AI how to new learner will know to original form of a creator work ? because this AI is work as a recreator of a creative work or idea . AI is recreation of a creation . I expressed some examples of great art masters work like MONALISA painting of Leonardo Da vinci . Today AI have changed to that’s original form or this AI is creating confusion in vision of viewers , so how to a art viewer will know which one is a original MONALISA painting of great art master The Leonardo Da vinci ?
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This is a Original image from my camera ( AI seminar Ajit foundation Bikaner 2025 ) |
Professor Bhuvnesh Jain accepted to my critical Poin or he answered AI have no answer for it . because Ai is working on DATA Base . or today AI is in tens for more data because Ai have used everything from world data so what will next from AI it is big tens matter , AI is not a creator so your point is right Mr. Purohit he said to me . but he said today many big investors are investing their big amount in AI so it is running in our world or peoples are using to it in their life. I said AI is short cut and Professor Bhuvnesh Jain was accepted it because it is true of AI .
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you can say to it This is AI image , i created by photo editing work - it is not a original photography of myself |
I also wrote to that AI seminar in Hindi Not from My Own observation not from AI ha ha .. here that’s text copy for your reading , I know after updated to my hindi note was converted in data form of AI ..ha ha ..
मित्रों आज अजित फाउंडेशन में एक संवाद कार्यक्रम रखा गया जिसका विषय रहा , आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस , इस विषय पर व्याख्यान दिया प्रोफ़ेसर श्री भुवनेश जैन जी ( पेन्सिलविया विश्वविद्यालय , संयुक्त अमेरिका ) ने तो संवाद को संचालित किया अजित फाउंडेशन के प्रोफ़ेसर श्री विक्रम व्यास जी ने ( जयपुर से ) ! ये संवाद सीधे अमेरिका से ऑनलाइन पटल पर ही संचालित किया गया और बीकानेर से अजित फाउंडेशन से संयोजक श्री संजय श्रीमाली जी के माध्यम से मुझे भी इस संवाद में जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ !
प्रोफ़ेसर श्री भुवनेश जैन आप बीकानेर में जन्मे है पर वर्तमान में आप अमेरिका में ही अपनी सेवा दे रहे है बतौर एक प्रोफ़ेसर पेन्सिलविया विश्वविद्यालय , संयुक्त अमेरिका में !
आपने अपने व्याख्यान को तीन चरणों में सम्पन किया प्रथम चरण में आप ने AI ( आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ) के निर्माण प्रणाली के विषय में तकनिकी पक्ष को बताया ! फिर दूसरे चरण में AI के द्वारा टेक्स्ट, विसुअल और साउंड के साथ कृत्रिम और तकनिकी रूप से कैसे और क्या क्या निर्मित किया जाता है उसके सन्दर्भ में जानकारी देते हुए बताया की AI ने असंख्य टेक्स्ट , विज़ुअल्स और ध्वनियों को संकलित कर लिया है और AI फॉर्मेट पर ये हमारी मांग के अनुरूप या हमारे विचार के अनुरूप और उसके आस पास की कृत्रिम और तकनिकी स्वरुप में साहित्य , कला और संगीत के साथ विज्ञान और भूगोल के अलावा अन्य विषय के शोधार्थियों के लिए भी काम कर रहा है ! तीसरे चरण में आज के संवाद में प्रश्न लिए गए प्रोफ़ेसर श्री भुवनेश जैन जी के द्वारा !
चूँकि मैं विसुअल आर्ट मास्टर हूँ सो पहला प्रश्न मैंने ही रखा अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए मैंने कहा प्रणाम सर मेरा नाम योगेंद्र कुमार पुरोहित है और मैं मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट हूँ ! AI क्या रचनाकार की मौलिकता का हनन नहीं कर रहा ? जिस प्रकार से प्रतिष्ठित कलाकारों की कला कृतियों के साथ AI ट्रीटमेंट करते हुए प्रस्तुत कर रहा है और वो उस कलाकार की कृति के मौलिक स्वरुप को परिवर्तित करते हुए प्रस्तुत कर रहा है तो क्या ये कला इतिहास और उस कलाकार के मोलिक सृजन का उपहास और उसके सृजन में मूल स्वरुप को धूमिल करने जैसी कार्य नहीं है ? मैंने उदहारण के लिए ग्रेट आर्ट मास्टर्स लिओनार्डो द विंसी की कला कृति मोनालिसा का उदाहरण देते हुए कहा की आज AI ने मोनालिसा पेंटिंग के अनेको स्वरुप रच दिए है तो कला विद्यार्थी के लिए ये दुर्लभ हो रहा है की वो मूल कृति किसे माने AI वाली या कलाकार की मौलिक कृति जिसे कला इतिहास में दर्ज किया हुआ है ?
मैंने AI के सन्दर्भ में ये भी कहा की ये एक फैंटेसी ( रोमेंटिसिज़्म ) की तकनिकी प्रस्तुति भर है , शार्ट कट भी और रचनाशील व्यक्ति या विद्यार्थी को हैंड वर्क और क्रिएशन की प्रैक्टिस से दूर करने वाली तकनिकी एक्सरसाइज मात्र है ! AI क्रिएट नहीं करता क्रिएट किये हुए को रिक्रिएट करता है ! सो कला की दृष्टि से AI मौलिक नहीं अनुकृति ( दोयम दर्जे की एक्सरसाइज भर है ) !
उस समय मुझे ग्रेट आर्ट मास्टर विन्सेंट वान गोघ का कला तर्क भी याद आया , कहते है की विज्ञान ने प्रकाश में सात रंगों के माध्यम से प्रकाश के आभास होने के तर्क को स्थापित किया था जिसे उस समय के लगभग सभी चित्रकारों ने स्वीकार लिया था और उस समय में बने चित्र बिन्दूवाद के चित्रों के नाम से पहचाने जाने लगे कला इतिहास में ! जिसे मैंने भी कला इतिहास की पढाई के दौरान पढ़ा है कला शिक्षा लेते हुए ! उस समय वान गोघ ने विज्ञान के उस तर्क का विरोध करते हुए आलोचना सहते हुए ये तर्क रखा की चित्र विज्ञान के तर्क से नहीं बनते है क्योंकि कला के अपने भी मुलभुत तर्क होते है ! वान गोघ अपने समय के सब से संवेदनशील और भावनात्मक और सिर्फ सत्य के चित्र बनाने वाले चित्रकार थे ! उसका एक प्रमाण उनकी पेंटिंग "विन्सेंट शूज " बहुत फेमस है जिसमे उन्होंने अपने जूतों को अपना सबसे प्रिय कहा और उसे चित्र का विषय बनाया! ये कहते हुए की जब मेरे पास कोई भी नहीं था मेरे पांवों में चलते चलते छाले पड़ रहे थे उस समय मेरे ये जूते मुझे पांवों में छाले होने से बचाते रहे ! सो मुझे मेरे ये जूते बहुत प्रिय है ! कहने का मतलब रचना अभिव्यक्ति के लिए मौलिक/ शुद्ध भाव / स्वयं का अनुभव / भोगा हुआ सत्य ही किसी कला कृति / रचना का आधार होता सकता है जो की मनुष्य के द्वारा ही अनुभूत किया जा सकता है डाटा फॉर्मेट में ये संभव नहीं सो AI मात्र एक टूल है कला कृति या कलाकार नहीं ! क्रिएशन का रिक्रिएशन करने का एक मात्र शॉर्टटर्म टूल !
ये शार्ट कट मैन्युअल एक्सरसाइज , माइंड एक्सरसाइज और थिंकिंग प्रोसेस को ही ख़तम करदेगा रचनाकार को हैंडीकैपेड बना देगा इन सब संकाओं के साथ मैंने मेरी बात रखी बात रखते हुए मैं भी स्क्रीन पर प्रस्तुत हुआ लाइव टॉक और मीट के लिए !
प्रोफ़ेसर भुवनेश जैन जी ने मेरी बात को गौर से सुना और फिर कहा की AI डाटा बेस फॉर्मेट है ! इसमें मौलिक कुछ भी नहीं ! पर अब ये मार्किट में है और बड़ी बड़ी कंपनियां इसमें इन्वेस्ट कर रही है ! फिर भी ये पूर्ण नहीं है किसी भी स्वरुप में , आप ने ये भी स्वीकारा की AI ने सभी डाटा यूज़ कर लिए है और समस्या ये आ रही है की अब नया क्या किया जाए इस AI में ?
आप ने एक दो और प्रश्न लिए अजित फाउंडेशन में आये हुए गणमान्य व्यक्तियों के और उनकी जिज्ञासा को भी शांत करने की कोशिश की जिसमे आप ने स्पेस और उसके डार्कमैटर के सन्दर्भ में AI की एक्सरसाइज अनुमान के आधार पर होने की बात कही !
संवाद के संचालक प्रोफ़ेसर विक्रम व्यास जी ने भी अपने खगोल विज्ञान के विषय के सन्दर्भ में AI के लिए प्रश्न और उसकी सिमित और अनुमानित आधार वाली कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाया !
प्रोफ़ेसर भुवनेश जैन जी ने स्क्रीन पर कुछ स्लाइड, AI फोटो इमेज के साथ अपने संवाद को प्रस्तुत किया ! अंत में आभार संयोजक अजित फाउंडेशन श्री संजय श्रीमाली जी ने दिया और चाय पर चर्चा में वरिष्ठ शिक्षाविद श्री अविनाश व्यास जी ने भी अपने एक किस्से को जो कि वास्तविक लोक कथा ही थी को साझा किया !
आप ने सुनाया की एक राज ने चित्रकार को बुलाया और उस से कहा की मुझे एक कबूरत का चित्र बनाकर दो ! चित्रकार ने राजा से छः माह का समय और स्टूडियो माँगा ! राजा ने उसे स्टूडियो और रहने खाने की व्यवस्था भी करदी ! चित्रकार ने काफी समय लेलिया पर कबूतर का चित्र राजा को नहीं दिखा पाया ! तो राजा ने पांच महीने बाद चित्रकार के स्टूडियो जाकर चित्रकार से पूछा की एक कबूतर का चित्र बनाने में इतना समय थोड़े ही लगता है ? ( AI तो पुरे विश्व के कबूतर बना दे इतने समय में ये मैंने सोचा किस्सा सुनते हुए ) चित्रकार के स्टूडियो में असंख्य चित्र कबूतर के देख कर राजा बोलै की इतना समय ले लिया तुमने एक कबूतर का चित्र बनाने में ? तो चित्रकार ने कहा की महाराज आप को केसा कबूतर चाहिए था ? ये तो आप ने बताया ही नहीं किस भाव में कबूतर की मुद्रा होनी चाहिए ये भी नहीं बताया ! तो मैंने ये देखिये इतने सारे कबूतर के रेखा चित्र बनाने में समय लगा दिया इसमें आप देखोगे की ख़ुशी से उडाता कबूतर भी है तो भय में बैठा कबूतर भी , आप देखो इसमें दाना चुगकर तृप्त कबूतर भी है तो भूख से व्याकुल कबूतर भी ! इतनी सारी कबूतर की भाव भंगिमाओं को बनाने में समय लगा है महाराज अब पता नहीं इसमे से कोनसा कबूतर आप को पसंद आने वाला है महाराज ये मैं नहीं जनता ! सो इतना समय लगा महाराज !
श्री अविनाश व्यास जी ने इस लघुकथा से कला के तर्क , अभ्यास ,भिन्न भिन्न भाव की अभिव्यक्ति के साथ सत्य का निष्पादन का कला मे होने की बात को साझा किया आज के AI के संवाद में अजित फाउंडेशन में ! जिसे मैंने यहाँ साझा करना उचित समझा और कर दिया आज के संवाद की सार्थकता तक लेजाने के लिए ! साथ ही यहाँ साझा कर रहा हूँ आज के संवाद के कुछ मेरे कैमरा से लिए हुए फोटोग्राफ आप के अवलोकन हेतु ! साथ ही मेरी एक AI फोटो जिसे बनाया है मेरे जूनियर मास्टर दधिची पटेल जयपुर ऍप्लाइड आर्ट मास्टर ने - फोटो बीकानेर की दमानी चौक की होली पर्व 2025 की एक सेल्फी इमेज को AI से कन्वर्ट किया गया है
I also shoot some picture of that Seminar from my camera so that photo images are here for your visit . I am going to share a AI image for your visit - my artist friend cum junior Master Dadhichi Patel Jaipur was created that from his photography work to AI , In his Pictrue we both are enjoying to Holi festival 2025 at DAMANI chouk Bikaner. I am sharing to his AI exercise for notice to work of AI . AI is giving a new look by digital effects but it is not a original creation it is very facts .
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AI image - creator master Dadhichi Patel Jaipur 2025 ( I am in black t-shirt and patel in blue shirt our face are same by AI - like tween's Brother .. |
So here I write about it AI is recreation of a creation ..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA