Sunday, May 14

Art Vibration -618

 Contribution In Art Always Give Reward…

Art and culture are need contribution of artists and society , Then art and culture can  give new way to culture format . we social person are  always try to get fine and better for future or it can possible by culture . so it is very must we follow to a strong or fine culture in our own life. 

Presentation of A Japani researcher in seminar at Hotel Bhanwar Niwas Haveli  Bikaner 19 Mar. 2023

In history we have read many characters. They all were followed to a very fine cultural format in his/ her life or their contribution were gave  very fine rewards to them itself .

As a artist I am trying to give  my best or 100 %  in art . you can say to it , my contribution for culture design. In this contribution work I share my time in art practice, in art literature , in art history or in educational  art seminars . some time I join to that as a learner or some time I design that for better art environment in our society. I think it is  my duty as a artist.

In month March date 19th - 2023 , I was invited by Dr. Nitin Goel , Senior Research Officer ,Rajasthan Prachya Vidhya Pratishthan, Bikaner , Rajasthan . He was organized a Seminar on Muni Jinvijay ji and his writing work –Pandulipi property or that’s value in present .

That seminar vane was Hotel Bhanwar Niwas Haveli Bikaner or that’s seminar was started in presence of Education and  art & Culture Minister of Rajasthan   Dr. Bulaki Das Kalla .

I were shared  my full time  in that seminar as a learner . or there to I observed to work capacity of jain Munis or their writing habit . some Munis were used to painting format in his/her Pandulipi ( hand made writing book in small format ) .it was amazing experience for me .

In hindi  language I wrote to that seminar event as a reporting writing or shared on my online networks . here that’s copy for  your reading or notice..

Art & Culture Minister Of Rajasthan Is Opening to Seminar  at Hotel Bhanwar Niwas Haveli Bikaner 19 Mar. 2023



Dr. Nitin Goel is presenting to Seminar concept atHotel  Bhanwar Niwas Haveli Bikaner, 19 Mar. 2023 

 मित्रों आज मुझे जैन मुनि जिनविजय  एव पाण्डुलिपि  सम्पदा की वर्तमान  प्रासंगिकता  पर  आधारित सेमिनार में शामिल होने का आमंत्रण राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुसन्धान अधिकारी डॉ.नितिन गोयल जी के द्वारा उनके व्हाट्सअप से मिला ! सेमिनार का आयोजन रखा गया था बीकानेर की होटल भवर निवास हवेली बीकानेर में !  भी विशेष था सो जाना स्वाभाविक था ! 
समय सुबह 10  बजे का समय था सो मैं  समय से 15  मिनट पूर्व पहुंचा होटल भवर निवास जहा डॉ. नितिन गोयल जी अपनी पूरी टीम के साथ व्यस्त थे आयोजन की तैयारी में ! 
 मुनि जिनविजय  एव पाण्डुलिपि  सम्पदा की वर्तमान  प्रासंगिकता  पर  आधारित इस सेमिनार के मुख्या अतिथि रहे कला एवं संस्कृति मंत्री राजस्थान सरकार डॉ बुलाकीदास कल्ला , शासनश्री साध्वी श्री चांदकुमारी जी और  वरिष्ठ अतिथि  रही अध्यक्ष जिला उपभोगता प्रतिशोध आयोग सुश्री चंद्र कला जैन जी !
उद्धघाटन  सत्र का सञ्चालन साहित्यकार रितु शर्मा जी ने किया !प्रथम सत्र में डॉ, नितिन गोयल जी ने  मुनि जिनविजय  एव पाण्डुलिपि  सम्पदा की वर्तमान  प्रासंगिकता  पर  आधारित सेमिनार के विषय को परिवर्त किया ! साथ ही राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के रचनात्मक कार्य की जानकारी मंच से दी ,  उन्होंने ऐतिहासिक पांडुलिपियों को डिजिटलाइजेशन करने और राजस्थान और राजस्थान से बहार भी उपलब्ध और निजी पांडुलिपियों को भी संकलन में लेने की बात बताई ! 
उनके बाद डॉ. बी.डी कल्ला जी ने भी राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान को पुन्ह सुचारु होने और डॉ. नितिन गोयल जी के कार्य की तारीफ़ करते हुए राजस्थान सरकार  की और से हर संभव सहयोग की बात कही ! साथ ही उन्होंने पाण्डुलिपि और उनमे उल्लेखित ॐ शब्द की पुनः सर्व धर्म में शोध की बात को मंच से प्रकाशित किया जो बहुत ही महताऊ बात थी पांडुलिपियों के शोधार्थियों के लिए ! 
साध्वी श्री चांद  कुमारी जी ने भी पाण्डुलिपि का डिजिटलाइजेशन की बात की महत्ता को समझा साथ ही उन्होंने कहा की हस्त लिखित पाण्डुलिपि तैयार करने की प्रथा अब कम हो रही है!  ये एक चिंता का विषय है सो चिंता की आग को त्याग कर चिंतन का चिराग जलाने की आवश्यकता और जरूररत है ! उस  सत्र में मुनि जिनविजय जी के परिवार के सदस्यो को भी रूबरू देखने का अवसर मिला जिसके लिए आये हुए सभी आगुन्तकों ने उनका आभार व्यक्त किया प्रथम सत्र में ! 
प्रथम  सत्र और द्वितीय सत्र में   मुनि जिनविजय  एव पाण्डुलिपि  सम्पदा की वर्तमान  प्रासंगिकता  पर  आधारित सेमिनार में पत्रवाचन हुए  ! इन  सत्र में  डॉ टी के जैन ,  डॉ. गिरजाशंकर  जी और डॉ.महेंद्र जैन प्रथम व् द्वितीय  सत्र प्रभारी रहे और आठ  से दस  शोधार्थियों ने अपने पत्र पाण्डुलिपि और मुनि जिनविजय जी के जीवन के सन्दर्भ में तथ्यात्मकता  साथ पढ़े , समय के सीमा के तहत सब ने अपने पर्चे तय समय में पढ़े और मंच की गर्मीमा का खयाल रखा ! इन पर्चो से कई जानकारियाँ सामने आयी जैसे की मुनि जिनविजय जी पदमश्री से सम्मानित थे ! वे मुंबई में शोधार्थियों के गाइड बने जबकि वे खुद डॉक्टर नहीं थे ! उनके राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान का सुभारम्भ भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने किया था ! मुनि जिनविजय जी ने अपने जीवन में 4000 पांडुलिपियों का प्रकाशन करवाया ! आप ने गुजरती भाषा की पांडुलिपियों का संकलन किया और उसे कहा पुराणी राजस्थानी ! आप को स्वयं महात्मा गांधी जी ने संस्कृति और साहित्य की शिक्षा भारतीय  तत्वों के साथ वाली शिक्षण प्रणाली लाने का दिशा निर्देश दिया जिसपर आप ने अति ऊर्जा से  कार्य किया और गुजरात में जैन मंदिर से ये कार्य आरम्भ किया ! 
इन  सत्र में इस राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में अमेरिका और जापान के साथ उदयपुर से भी पाण्डुलिपि शोधकर्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े और उन्होंने पुरे सत्र को अचंभित किया जब  अमेरिका की   शोधकर्ता ने हिंदी में अपने शोधपत्र को स्क्रीन से सबके समक्ष रखा!  तो जापान के शोधार्थी ने तो लिपि को उच्चारित कर के सब के सामने पढ़ा पाण्डुलिपि के उस सेमीनार की ये अद्धभुत बात थी उस सत्र की ! ये सेमिनार साथ की साथ ऑनलाइन पर लाइव भी देखा जारहा था पाण्डुलिपि के विषय में रूचि रखने वाले शोधार्थियों और दर्शकों द्वारा वो भी पूरी
दुनिया भर के  ! ये बात ही अपने आप में सेमीनार के सार्थक होने का एक पुख्ता प्रमाण रहा ! साहित्कार  गिरधर दान  रतनु साहित्यकार शंकर सिंह राजपुरोहित बालोतरा से पधारी साध्वी जी ने भी अपने पत्र को नए आयाम और शोध के विषय  के साथ रखा ! 
तीसरे और अंतिम सत्र में अध्यक्ष रहे चितौड़  से पधारे वरिष्ठ शोधार्थी और मुनि जिनविजय जी के अति निकटतम व्यक्तित्व श्री सत्यनारायण समदानी जी ! जिन्होंने मंच से मानो पूरी जीवनी मुनि जिनविजय जी के बचपन से अंतिम  छण तक की एक एक घटना और विशेष उपक्रम की व्याख्या के साथ मंच से रखी !  जिन्हे मुनि जिनविजय जी ने जिया या भोगा !   उनके साथ मंच पर उपस्थित थे डॉ. नितिन गोयल जी और राजस्थान संस्कृत भाषा अकादमी जयपुर के सदस्य !  इन तीन सत्रों के तहत  मुनि जिनविजय जी द्वारा किये गए पाण्डुलिपि , संकलन लेखन और उसके प्रकाशन के विषय पर आधारित सेमिनार में कब सुबह के 10  बजे से सायं के 6 :45  बज गए पता ही नहीं चला ! मुझे ऐसा प्रतीत हुआ मानो मै किसी टाइम मशीन के जरिये किसी अन्य लोक या स्थान पर चला गया हु  ! जहाँ  सिर्फ और सिर्फ पाण्डुलिपि और उससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों और उन तथ्यों  साथ स्वयं   मुनि जिनविजय जी साक्षात् मेरे समक्ष उपस्थित है और ये सब अनुभूत करवाराहा  था ये सेमिनार!  जिसे आयोजित किया डॉ. नितिन गोयल जी ने अपने अथक प्रयासों से राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान की और से !मैं  अति लाभान्वित हुआ हु उस  गरिमामय पाण्डुलिपि के इतिहास और उस इतिहास को रचने वाले व्यक्तित्व  जी के बारे में  जानकार सो हृदय से साधुवाद डॉ. नितिन गोयल जी को ! उनके आग्रह ने मुझे संत संगत का लाभ दिलवाया और विशेष आभारी हूँ चितौड़ से पधारे हुए वरिष्ठ शोधार्थी श्री सत्यनारायण समदानी जी का जिन्होंने एक मुनि के पुरे जीवन को समय के कुछ पलों में ही पूरी एक पुस्तक की तरह खोल के रख दिया ! यहाँ कुछ फोटो उस ऐतिहासिक सेमिनार के आप के अवलोकन हेतु मेरे कैमरा की नजर से !
 
Jain Sadhvi community was presented in that Seminar on date 19 mar. 2023

At 11 Am that seminar was started and till 6:30 pm it was closed after five sessions of  speakers . my presence was registered there from Dr. Nitin Goel , he used to my hindi post for share on his facebook page it was live achievement for my contribution from Dr. Nitin Goel . 

jain Sadhvi ji presenting her presentation on pandulipi writing work at Hotel Bhanwar Niwas haveli 19 mar. 2023


Or today I felt happy when I received a E Certificate from whatsapp of Dr. Nitin Goel . In this E - Certificate I noticed , how to the team of Dr. Nitin Goel was noticed to me  in that Seminar or they selected to my presence for E Certificate Award cum reward . I am feeling it ,  it is his thanks to me for understand to his right cultural concept , or a thanks for  my 100 % contribution in his seminar concept ,  as a learner or researcher of art and art history  

The Image of My E Certificate Award  is here for  your visit ..


So here i write about it .. contribution in art always give reward ...

 

Yogendra Kumar Purohit

Master Of Fine Art

Bikaner, INDIA

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