Dr. Shyam Bihari Agarwal is a
Art Lesson…
Dr.Shyam Bihari Agarwal |
For a art society I wrote a note on art journey of Dr. Shyam Bihari Agarwal ( in Hindi ) . but here I want to share with you that note for your reading from my art vibration .
I sure after read to that note you will know some more about Dr. Shyam Bihari Agarwal from my angle of art writing .
That note is here for you in Hindi text . I sure you will read it Hindi or may be you will translate it by a good translator like google translate or ETC.
With this note I am sharing some images of Dr. Shyam Bihari Agarwal and his art works. For your visit ..
एक कला अध्याय डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल
डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल मेरे लिए एक कला अध्याय से कम नहीं ! मेरा उन से सीधा परिचय तो नहीं पर उनकी लिखी पुस्तक ( भारतीय चित्रकला का इतिहास , भाग 1 और 2 ) का अध्ययन करने के उपरांत मै कह सकता हॅंु कि मेरा परिचय बहुत गहरा है डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी से !
आप से समर्पक फेसबुक ऑनलाइन नेटवर्क से हुआ पहले पहल 2010 वर्ष में और आज 2021 वर्ष चल रहा है ! एक दशक से आप निरंतर मेरे समपर्क में है ! ये भी कोइ कम परिचय तो नही ! लगभग प्रतिदिन , शब्द या ,दृश्य के जरिए आप श्री से संवाद निरंतर जारी है ! ये मेरा सौभाग्य ही तो है कि आप मुझ से प्रतिदिन संवाद करते हैं , माध्यम चाहे वो फेसबुक ही क्यों न हो !
विगत इन दस सालों में आप द्वारा प्रकाशित प्रत्येक पोस्ट जो कि फेसबुक पर प्रकाशित होती है को मै अवलोकित करता रहा हुॅं , मेरी समझ से उस पोस्ट पे अपने विचार भी इंगित करता रहा हुॅं ! ऑनलाइन नेटवर्क एक आभासी दुनिया है पर उस आभासी दुनिया मे आप ने मुझे स्यमं के साक्षात होने का यथार्थ आभास करवाया है !
आप का कला पर शोधात्मक लेखन , कला के समघ्र इतिहास को पाठक के समक्ष पूर्ण विस्तार और व्याख्या के साथ प्रस्तुत करता है जो कि कला शोधार्थियों के लिए प्रयाप्त सामग्री होता है, या है !
आप की लिखी पुस्तक ( भारतीय चित्रकला का इतिहास , भाग 1 और 2 ) का अध्ययन करने से मुझे ज्ञात हुआ कि बीकानेर रियासत का दिल्ली दरबार से क्या सम्बन्ध था और बीकानेर रियासत में कैसे इरानी कला जिसे उस्ता कला ( चित्रकला ) से जाना जाता है, वो विकसित हुई !
आप की लिखी पुस्तक ( भारतीय चित्रकला का इतिहास , भाग 1 और 2 ) का अध्ययन करने से भारतीय कला के इतिहास को एक नये स्वरुप मे समझने का आयाम मिला ! आप ने राजस्थानी चित्रकला के इतिहास को बहुत गहन अध्ययन के साथ लिखा है जो मुझे बहुत प्रभावित करने वाला लगा!
फेसबुक पेज पर मैने एक पोस्ट अप डेट कि जिसमे मैने लिखा है कि कला शिक्षा में विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी कि पुस्तक ( भारतीय चित्रकला का इतिहास , भाग 1 और 2 ) पाठयक्रम में शामिल की जानी चाहिए ! ताकि कला विद्यार्थियों को भारतीय चित्रकला के इतिहास का ठिक ठिक विवरण पढने समझ ने को मिले !
डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी ने जो भी लिखा है उसमे उनका शोध तो है हि पर साथ में उनका स्वयं का व्यक्तिगत अनुभव भी शामिल है ! जो उनके पास कला अध्यापन करते करते बना है एक आलोचक के रुप में !
उनकी कलात्मक दृष्टि और लम्बा अनुभव व अभ्यास उन्हें औरों से भिन्न करता है !
4 जनवरी 1968 में आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग के विभागा अध्यक्ष बने ! आप ने अपने कला गुरु श्री क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार जी की कला शिक्षा पद्वती में भारतीय दर्शन का पाठ अपने विद्यार्थियों को पढाया !
भारतीय परम्परागत चित्रण शैली आप की विशेष चित्रण शैली है जिसे वास पद्धती से भी जाना जाता है ! अजन्ता गुफा चित्रों से नीकलकर अजन्ता चित्रण शैली बहुत फैली ! उसने अनेक उप शैलीयों मे अपने आप को ढाला ! उसे अनेको नाम या अजन्ता की उप शैली के रुप मे पहचान मिली ! वास पद्धती भी उसी का एक अंश है ( आला गिला पद्वती ) ! जिसमे डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी ने बहुतायत में चित्रण किया है जो अनुकरणीय है !
फेसबुक पोस्ट पे मैने आप की एक पोस्ट देखी जिसमें आप एक पुरानी तस्विर मे भारत के पुर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादूर शास्त्री जी को भोजन परोस्ते नजर आ रहे हैं ! भारत देश को उपवास ( आत्म संयम ) का पाठ सिखाने वाले उस महान शक्स को भोजन कराने वाला व्यक्तित्व कोई साधारण व्यक्ति तो नहीं हो सकता ! ये मेरे लिये विशेष बात है कि आज मैं आप के सम्पर्क में हुं और आप श्री के लिये कुछ शब्द संग्रहित कर रहा हुं आप को मेरी दृष्टि से परिभाषित करने को ! असम्भव सा प्रयास है बस आप श्री के आशीर्वाद से शायद कुछ परिभाषित कर सकू !
डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी को बतौर एक चित्रकार जब मैं मुल्यांकित करने कि कोशिश करता हुं तो यही पाता हुं कि वे एक ऊर्जावान और बहुप्रतिभा के धनी मुर्धन्य चित्रकार हैं ! उनकी चित्रकारी में लोक परम्परा , लोक संस्कृति और समसामयीक काल खण्ड का संतुलित समावेश है!
श्याम स्वेत रेखा चित्र हो या वाश पद्वती में बने रंगीन चित्र ्! पौराणीक और लोक के साथ समकालीन समय की यथार्थ घटना डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी के चित्रों में स्पष्ट देखी जा सकती है ! चित्र संयोजन में अजन्ता शैली का प्रभाव उनके चित्रों को सीधे भारतीय परम्परा से जोड.ता है !
डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी भारतीय संस्कृति को प्रतिबध होकर जीने वालों में से है ! सो उन्हें साधुवाद !
कला शिक्षक के रुप में आपने असंख्य कला विद्यार्थियों को मार्ग दर्शन दिया है और वे सब आप के दिये हुए कला मार्ग पर प्रगतिशील है ं! एक उदाहरण मेरे समक्ष भी है डॉ राकेश गोस्वामी ( फेसबुक मित्र ) ! डॉ राकेश गोस्वामी कला समीक्षक के रुप में कार्य कर रहें हैं ! जिनके आप श्री गुरु है!
डॉ राकेश गोस्वामी की पोस्ट में कई बार डॉ राकेश आप श्री का जीक्र करते है , दरसल डॉ राकेश आपको अपने जिवन में जी रहे है ! एैसा उनकी पोस्ट से आभास होता है और ये कोई कम बात नही की एक गुरु को उसका शिष्य आत्मा से जीता है! श्रेष्ठ गुरु का सम्मान आपको डॉ राकेश गोस्वामी द्वारा दिया जा रहा है !
मैने आप की लिखी पुस्तक ( भारतीय चित्रकला का इतिहास , भाग 1 और 2 ) व मानव आकृति एंव चित्र संयोजन को रुप शिल्प प्रकाशन अलाहाबाद से क्रय करके अपने अध्ययन के लिए संग्रहित कि है! मुझे खुशी है कि आप की ये तीन पुस्तक मेरे कला ज्ञान में वृधि के लिए मेरे पास संग्रहित है !
उम्र के अस्सी वें साल में भी आप एक सक्रीय कलाकार के रुप में काम कर रहे हैं नियमित रुप से चित्र कार्यशाला का आयोजन भी कर रहे है साथ ही चित्र कर्म भी और कला लेखन भी ! आपका निष्ठा से लबरेज कला कर्म का जज्बा आपको ऊर्जा प्रदान करता है और यही ऊर्जा आप को सक्रीय रखे हुए है !
ईश्वर से प्रार्थना करता हुं कि आप श्री सतायु हों मुझे आप का सानिध्य ऐसे ही मिलता रहें ! मेरी कला यात्रा में आप एक वट वृक्ष कि भंाति छांया करते रहे निरंतर अनवरत !
चित्रकार
योगेन्द्र कुमार पुरोहित
मास्टर ऑफ फाईन आर्ट
बीकानेर ,राजस्थान
l sure after read this note , you will find to my point about Art Journ ey of Dr. Shyam Bihari Agarwal
So here I said about him Dr. Shyam Bihari Agarwal is a Art Lesson …
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, India
2 comments:
Excellent ... but yogendra ji the text in hindi is not readable due to font. I think if you convert in unicode font it may readable then.
Thank you sir Sundip Sharma Ji .I have done it ..
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