“Kapil Yatra” 2024..
Friends you know according to Hindu calendar , we all Hindu communities are celebrating to Kartik Purnima parv. We are welcome to winter time from day of Kartik Purnima ( full moon of MJonth Kartik of Hindu calendar .
In Bikaner district shree Kolayat is very important place for this Kartik Purnima . Because God KAPIL MUNI a sant of Hindu culture was lived there and he was done his great TAPASHYA . so there at Shree Kolayat Dham people are celebrate to kartik Purnima or there they create a fair that’s name is shree KOLAYAT MELA .
This year I joined to this shree KOLAYAT MELA as a visitor . or I gave title to my this religious Journey KAPIL YATRA 2024 .
There I were done prayer , I were created sketch’s continue 12 hours, there in two day stay I experienced many experience of life or that’s folk culture . so I am thankful for folk culture designers they are creating festival or communication in mid of peoples from fair or festivals .
As a art master or as a art critic I were observed to that shree Kolayat Mela and I were wrote that as a dairy of journey in hindi . here I am going to share that live reporting for your reading and some visuals or sketches for your visit . I hope you will experience same experience of just like maine .
I hope you will translate it by support of good translator ..
मित्रों एक और यात्रा वृतांत आप की नजर पेश है मेरी नजर से और मेरे नजरिये से ! यात्रा रही मेरी श्री कपिल मुनि धाम की कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या से कार्तिक पूर्णिमा के दिवस तक दिनाक 14 -15 नवम्बर 2024 ! मैंने इसे नाम दिया है "कपिल यात्रा" ! मेरी ये यात्रा दिनांक 14 नवम्बर 2024 को आरम्भ हुई बीकानेर स्थित पूगल रोड बस स्टेण्ड से ! मैंने करीब 5 बजे श्री कोलायत धाम को जाने वाली बस पकड़ी और मेरी कपिल यात्रा का पहला चरण पूर्ण हुआ श्री कपिल मुनि के आशीर्वाद से ! ठीक 6 बजे बस ने मुझे श्री कोलायत धाम के बस स्टेण्ड पर उतारा जो की निज मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दुरी पर है ! वहाँ से मैंने श्री कपिल मुनि के दर्शन हेतु पद यात्रा आरम्भ की और उस पल से घर वापसी तक मैंने कपिल यात्रा के दौरान अनेको दृश्य , घटना ,लोक संस्कृति के जिवंत प्रमाण को साक्षात् किया और उन्हें संजोया अपनी स्मृति और अपनी सकेसः बुक में !
इस कपिल यात्रा का मेरा पहला दृश्य मुझे ये नजर आया की जैसे ही मैंने बस से उतरकर चलना आरम्भ किया की मेरे पीछे से श्री कोलायत धाम / क्षेत्र के विधायक श्री अंशुमान सिंह भाटी साब की गाड़ियों का काफिला मेरे पास से गुजरा !श्री अंशुमान सिंह भाटी जी ने मुझे और मैंने उन्हें देखकर आत्मिक सम्बोधन मौन रूप से दिया और स्वीकारा बिना किसी औपचारिकता के ! जब उनकी गाड़ियों का काफिला आगे निकला तो मैंने देखा मेरी बायीं और एक विशाल टैंट रामदेव सेवासमिति का लगा था जो इस कपिल यात्रा में आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी के लिए स्वच्छ पानी और गर्म चाय की सेवा के साथ उपस्थित थे ! तीर्थ यात्रियों के लिए स्वागत ही सेवा भाव से ये एक अध्भुत अनुभूति रही इस कपिल यात्रा की !
बस स्टैंड से लेकर मुख्य बाजार तक सड़क के दोनों तरफ पारम्परिक स्वरुप में दुकाने सजी थी जो श्री कोलायत मेले के सांस्कृतिक स्वरुप को बचाने के उपक्रम की एक मजबूत कड़ी प्रतीत हुई मुझे ! साधुवाद उन सभी दुकानदारों को जो की श्री कपिल मुनि के धाम के इस कार्तिक पूर्णिमा के मेले को सझाने हेतु अपनी दुकाने लगाते हैं बिलकुल पारम्परिक रूप में जमीं पर सड़क के किनारे !
इस कदम चाल में मैंने देखा की पंचमंदिर के पास से जो रास्ता श्री कपिल मुनि के निज मंदिर तक जा रहा था वो एक दम नव निर्मित लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ और एकदम साफसुथरा था ! जो वहाँ आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी को स्वस्थ वातावरण की अनुभूति सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति करवा रहा था साथ ही भोंपूं यानी मइक्रोफ़ोन से सभी घाटों को स्वस्थ रखने की अपील भी दर्शनार्थियों से की जारही थी और हर 100 कदम के बाद एक कचरापात्र भी रखा हुआ था दर्शनार्थियों सुविधा के लिए !
तो मैंने अपने आप को गऊघाट तक पहुंचाते हुए तलाश भी जारी रखी उन ऋषियों और साधु संतों की जो की हिन्दू संस्कृति में अखाड़ा और मठ के नामों से पहचाने जाते है और श्री कपिल मुनि धाम पधारते है कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर ,पर मुझे निराशा ही हाथ लगी ऐसा क्यों था ये ईश्वर ही जाने या फिर वे तपस्वी जिन्होंने दर्शन नहीं दिए !या जाने स्वयं कपिल मुनि !
श्री कपिल मुनि के मंदिर के आगे पहुंचकर मैंने अपने जुते उतारे फिर घाट की और गया कपिल सरोवर को प्रणाम करते हुए सरोवर के पानी से हाथ पाँव धोये अपने दादा और पड़दादा जी को याद किया ( क्यों की उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय श्री कोलायत और उसके पास स्थित मढ़ गाँव में ही बिताया था ) !सो उनकी और से श्री कपिल मुनि के आगे हाजरी हेतु उपस्थित था उनका पोता मैं ! पुरखों की जेड आप को जमीं से जोड़े रखती है बशर्ते आप पुरखों की शक्ति में विस्वास करें तो ! अन्यथा सब वहम है और कुछ नहीं !
दर्शन व्यवथा के तहत दर्शन लाभ मिला श्री कपिल मुनि जी का निज मंदिर में प्रवेश पाने के साथ सो साधुवाद मंदिर परिसर के समस्त व्यवस्थापकों को ! दर्शन के उपरांत मैं श्री कपिल मुनि मंदिर परिसर से प्रांगण और गऊघाट पर वापस आया अपने जूते पहने फिर पहले पहल ग्रहण की एक गरम चाय , चाय की दुकान से और चाय के बाद मैंने मेरे बैग से निकाली मेरी स्केच बुक और पेंसिल ! अब मैं कपिल यात्रा में एक दर्शनार्थी से चित्रकार के मेरे मूल रोले में आ गया था ! संध्या की आरती का समय भी हो चूका था पर मेरे ऊपर अब चित्रकार हावी हो गया था ! सो मैंने वापस अपने आप को गऊघाट से पंचमंदिर के रस्ते की और लाया और वहाँ मैंने कई साधु संतों को अपने अपने धुनें ( यज्ञ वेदिका ) के पास धुनि चेतन करते हुए देखा तो बारी बारी उन्हें अपनी स्केच बुक में उकेरने लगा !
मैंने जैसे ही प्रथम स्केच एक साधु महात्मा जी का उकेरा और उसे पूर्ण किया ही था की मेरे मढ़ कोटड़ी पुरोहित परिवार का चचेरा भाई मास्टर किशोर पुरोहित निवासी कोलायत आया और उसने चरण स्पर्श किये बड़ा भाई होने के नाते मैंने भी उसे स्नेह भरा आशीर्वाद उसके माथे पर हाथ रखते हुए दिया और परिवार की कुशलक्षेम पूछी ! वो व्यवस्थापकों की कार्यकारणी में होने की वजह से व्यस्त था सो अधिक रुकना बात करना उसके लिए संभव नहीं था और मैंने भी उसकी व्यस्त टा देखे हुए उसे रोकना उचित नहीं समझा !
जब स्केच करना आरम्भ किया उसी समय मास्टर सुमित शर्मा पत्रकार और पुत्र वरिष्ठ पत्रकार श्री हेम शर्मा जी , अचानक से मेरे सामने आये और जिज्ञासा वस मेरे स्केच देखते हुए कला का रसा स्वादन किया तो कुछ सार्थक कला परिचर्चा भी , जब हम परिचर्चा में व्यस्त थे ठीक उसी समय श्री कोलायत धाम / क्षेत्र के विधायक श्री अंशुमान सिंह भाटी जी अपने सहयोगी दल बल के काफिले के साथ हमारे पास से गुजरे मास्टर सुमित से आप परिचित हैं सो आप रुके और फिर सुमित को अपने साथ आने को कहा और मास्टर सुमित उनके साथ हो लिए और मैं पुनः मेरी स्केचिंग में व्यस्त हो गया उस छोटी सी औपचारिकता के बाद !
तब तक कपिल मुनि धाम के समस्त घाट रोशनी से सराबोर हो चुके थे अँधेरे में कपिल मुनि धाम स्वर्ण मंदिरसा चमक रहा था !
दर्शनार्थियों के हुजूम के हुजूम आने आरम्भ हो गए थे ! एक अजीब सी चहल पहल हो गयी थी श्री कपिल मुनि धाम के समस्त घाटों पर ! मैंने अनेको साधुसंतों को चित्रित किया तो मेरी आँखे तलाश रही थी उन तपस्वियों को जिनका तप इतना तेज होता है की उनके समक्ष जाते ही आप में एक ऊर्जा का संचरण होता है पर हाथ निराशा लगी और आँखे मायुश ही हुई !
खेर मैंने स्केचिंग करना जारी रखा गऊघाट से पंचमंदिर और पंचमंदिर से फिर तहसील ऑफिस के प्रांगण तक आया जहाँ पर्यटन विभाग ने श्री कपिल मेले के लिए एक विशेष लोक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन राजस्थानी लोक गीतों की प्रस्तुति के साथ चरु नृत्य प्रस्तुति से प्रस्तुत किया !मैंने उस सांस्कृतिक लोक संध्या का भी स्केचिंग किया तो मढ़ और कोटड़ी के ( पुरखों के गांव ) के व्यक्तियों से परिचय हुआ और वे सरप्राइज थे मेरी लाइव स्केचिंग देखकर और गर्व का भाव था उनके चेहरे पर क्यों की जो स्केच बना रहा व्यक्ति यानी मैं जो विशेष कलाकार था , कुछ पल बाद उनके गांव का ही निकला ! उनके लिए ये भाव ऐसा था मानो कुम्भ में बिछड़े भाई का पुनः मिलना वो भी एक कला स्थल पर कलाभिव्यक्ति करते हुए। .जय कपिल मुनि !
पर्यटन विभाग की उस लोक संस्कृतिक प्रस्तुति में कच्ची घोड़ी लोकनृत्य एक विशेष आकर्षण भी रहा मेले में आये दर्शनार्थियों के लिए जिसे मैंने भी एक दो स्केच में रूपांतरित किया मेरी स्केच बुक में !
अब वहाँ से स्थान परिवर्तित करर्ते हुए मैं पुनः अपने आप को चाय की दुकान पर ले गया एक चाय ली और कुछ बच्चों ने मेरी स्केच बुक देखि और कुछ बात भी की कला अभिव्यक्ति पर ! फिर मैं मेले से होते हुए पुनः बस स्टेण्ड पहुंचा और खाना लिया एक होटल में खाना खाने के बाद समय देखा तो घडी ने करीब 10 :30 का समय कवर कर लिया था !
होटल से मैं पुनः आया श्री कपिल मुनि मंदिर के पास अब यहाँ गऊघाट पर दर्शनार्थियों की संख्या अधिक हो गयी थी ! मैंने वहाँ से भी एक दो स्केच दीपप्रज्वलित करती हुई महिला दर्शनार्थियों के भी उकेरे और फिर चला गया श्री कपिल मुनि मंदिर के पीछे वाले प्रांगण में ! वहाँ भी अनेकों साधु संत थें जिन्हे मैंने उकेरा मेरी स्केच बुक में और वहाँ से और आगे निकला तो एक घाट पर श्री कपिल मुनि भगवान के लिए जमा चल रहा था जमा ( आधुनिक जागरण का पारम्परिक/ लोक सांस्कृतिक नाम है !). वहाँ ठेठ लोक संस्कृति में गायी जाने वाली बोलियों और अरदास को गाया जा रहा था ठेठ ग्रामीण आम जन के द्वारा ! मैंने उस पारम्परिक लोक जागरण का रसास्वादन भक्ति भाव से किया साथ ही स्केच भी उकेरे ! उस जमे में लोक वाद्य यंत्र पेटी ,ढोलक तम्बूरे और मंजीरे की पारम्परिक लोक संगीत की मीठी धुन उस ठंडी शीतल चांदनी की रोशनी में जमे में चार चाँद लगा रही थी ! उस जमे का कुछ पल के लिए हिस्सा बने मेरे मित्र मास्टर जयदीप उपाध्याय जो स्वयं के लोककला मर्मज्ञ है ! मैंने मास्टर जयदीप का भी एक स्केच उकेरा उस पल को संजोने के लिए मित्र का मित्र के लिए !
उस जमे से वापसी पुनः कपिल मंदिर प्रांगण और फिर पंचमंदिर प्रांगण तक और साथ में अनेको स्केच कुछ ऑन डिमांड भी बनाये दर्शनार्थयों के लिए जिन्हेँ उन्होंने अपने मोबाइल में भी कैद किया मेमोरी और शेयर करने की दृष्टि और मनसा से ! इस उपक्रम में एक महिला कांस्टेबल भी उत्सुकता वश अपनी सह कर्मी महिला कांस्टेबल से साथ में आयी और बोली क्या बना रहे हो ? मैंने कहा स्केच ! तो वे मेरे पास बैठ गयी पंचमंदिर परिसर में मेरे बनते लाइव स्केच देखकर उत्सुकता से बोली क्या मेरा स्केच बना दोगे ? मैंने कहा जी पर आप बहुत नजदीक हो स्केच बनाने के लिए दुरी होना जरुरी है , तो वो बोले की मैं दूर जाकर खड़ी हो जाऊं ? तो मैंने कहा ऐसा भी मैं आप को नहीं कह सकता क्यों की आप ऑन ड्यूटी हो ! फिर मैंने उनका मन रखने को प्रयास किया और एक रेपिड स्केच बना दिया उनको तसली करवादी की मैं सर्जन धर्मी हूँ कोई उदण्ड कर्मी नहीं ! वे अपनी ड्यूटी में पास हुई और मैं मेरे ड्यूटी मे जो है "कला समय समाज" कला समीक्षक भारत श्री प्रयाग शुक्ल जी की दृष्टि से ! उन महिला कांस्टेबल ने भी अपने स्केच का एक फोटो अपने मोबाइल से लिया मेमोरी के लिए !
अब तक भ्रम मुहरत भी आ चूका था कार्तिक पूर्णिमा के स्नान हेतु सो कपिल सरोवर के सभी घाट दर्शनार्थियों से खचाखच भर गए थे पर सब कुछ शांति और आध्यात्मिक रूप से व्यव्यस्थित था लोग स्नान कर रहे थे और दर्शन हेतु श्री कपिल मुन्नी के मंदिर की और जा रहे थे ! मैंने भी इस उपक्रम को अपनाया भीड़ की वजह से मंदिर केआगे से धोक देते हुए मेरी इस 2024 की कपिल यात्रा केअंतिम पड़ाव पर लाया और पुनः सवेरे 7 बजे अपने आप को बस स्टेण्ड पर लाया बीकानेर के लिए, जहाँ बस तैयार थी सो बस में बैठा सीट मिली ,सीट पर बैठकर किराया थमाया और फिर कब आँख लगी पता ही नहीं चला और जब आँख खुली तो कानो में आवाज आयी जय भैरु नाथ कोडानेरा नाथ ,एक घंटे का समय एक पल सा प्रतीत हुआ उस गहरी नींद से या उस सुकून भरी नींद से जो पायी मैंने कपिल यात्रा करके उस बस में !
यहाँ कुछ जीवंत पल मेरी कपिल यात्रा के आप केअवलोकन हेतु स्केच और कुछ छाया चित्र के रूप में !
नोट : पीडा बस इतनी हुई इस "कपिल यात्रा" 2024 में की श्री कपिल मुनि सरोवर के घाट सौन्दर्य करण का कार्य तकनिकी रूप से हुआ, कला की सांस्कृतिक परिभाषा से नहीं ! ये विचारणीय और मंथन का विषय है भारीतय सांस्कृतिक मंत्रालय विभाग के लिए की वाल पेंटिंग ( भित्ति चित्र कला ) को कैसे जीवित रखा जा सकेगा , अगर उसकी जगह भित्तियों पर ये तकनिकी डिजिटल प्रिंट्स के परदे जो की अस्थाई और कला संस्कृति की दृष्टि से अतार्किक है और साथ ही चित्रकारों का कार्य ख़तम करने का उपक्रम ही साबित हो रहा है ! कला का प्रभाव दीर्घकालीन होना चाहिए नाकि फास्टफूड कल्चर की भांति कटिंग ,पेस्टिंग और प्रिंटिंग। हमें अजंता , एलोरा,जैन शैली , बौद्ध शैली , जैसी कला के काल खण्डों से भी सीखना चाइये जिनमे सौन्दर्य करण के लिए स्थाई कला माध्यम और शैलियों को आधार बनाया और वो आज भी सैकड़ो हजारों वर्षो से भारतीय संस्कृति की पूरक पहचान बनी हुई है !
This is my KAPIL YATRA experience in two days date 14-15/ nov./2024
So here I write about it “KAPIL YAATRA” 2024
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA .
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