“ANUVRIT” of Achary Shree Tulsi And Myself …!
Friends In Indian social life we trust on our respected GURU , Because The GURU is guide to us for a better and happy life . The Guru is making to us educated person in mid of our social format and in Indian mythology the role of Guru is very important , because only Guru know the way of meet to god live in real life .
Sant Kabir was gave respect very first to Guru before God , he said Guru and God are standing front side of myself but for me Guru is valuable very first because through the Guru I find to GOD .without guideline of GURU I could not found to God in my real life . So Guru is very important in each one human life . sant kabir said it . or I accept it as a student .
In my city Achary Shree Tulsi was presented for guide to Bikaner or that’s Jain Community . Achary tulsi was very contemporary Sant of India , he was belonging from Jain Religious , but his guideline of natural life was open institute for each one person of our world .
Achary shree Tulsi was very much educated person, he was designed a new format of natural life with nature . he was called to that “ ANUVRIT “ .
This “ANUVRIT “ is fundamental structure of natural life style for our social system or our environment . this ANUVRIT is Giving 11th instructions to followers for live to natural life in our nature .
This ANUVRIT is giving to us sense of social responsibility , patience , peace , activeness , alert for health or environment , education , water saved, self control ,motivation to needy persons and some more exercises with social duty for social system .
I am giving respect to My Guru’s or in that list of Guru’s Achary shree tulsi have very much respected place in guru’s list . last many years to I am connected to Achary shri tulsi Shanti Pratishthan , Netikta ka shakti pith Gangashahar Bikaner . I visited many time the SAMADHI STHAL of Achary shri tulsi and there I confessed in front side of Achary shri tulsi samadhi with my tearful eyes . At SAMADHI STHAL I always get peace of mind when I present there as a student of Achary Shri tulsi . Om Guruvey Namah :
I am feeling blessings of Achary Shri Tulsi on me every time in my life , when I remember to Him as a GURU. Or time to time I got chance from Him for collect to his blessing on my life.
Its live example I felt yesterday evening at Achary Shri Tulsi Shanti Pratishthan . I were invited there from committee of Achary Shri Tulsi Shanti pratishthan for a seminar . that seminar Subject was “ANUVRIT “or that’s title was festival of intelligent peoples .
Kind your information this year Achary shri tulsi Shanti Pratishthan is tribute 29 th death anniversary of Achary shree tulsi with many creative or educative activities . so I were invited there as a poet or I were created a poem on subject ANUVRIT . My poem was selected because the blessing of Guru was working for my creative sense . or I were expressed to full definition of ANUVRIT in lines of my poem , I could that because I am living to ANUVRIT in my life according to Anuvrit of Guru Achary Shri Tulsi .
That event I were joined as a listener I listen to Sant SADHVI shree Basant prabha ji or Sant Sadhvi shree sankalpshri ji , I also listen to dr. Chakrvarti Narayan shrimali ji or Dr. Dhanpaal Rampuriya ji they all were read their papers on subject ANUVRIT .
After that seminar I were wrote a hindi note cum report on that seminar and shared on my social network pages for readers or my artists / writer / poets friends .
मित्रों गुरु कृपा अगर आप पर हो तो कोई भी कार्य आप का स्वतः ही सिद्ध हो जाता है या गुरु कृपा उसे सिद्ध करवा ही देती है ! इस बात को मैंने आज फिर से अनुभूत किया मेरे सृजनात्मक जीवन में ! हुआ यूँ की पिछले सप्ताह के आरम्भ होते ही अजित फाउंडेशन के संयोजक श्री संजय श्रीमाली जी ने एक सूचना साझा करते हुए कहा की आप को इस आयोजन में जरुरी रूप से सहभागिता लेनी है ! संजय जी ने मुझे एक आधिकारिक पत्र भी साझा किया जो था आचार्य तुसली शांति प्रतिष्ठान नैतिकता का शक्ति पीठ का ! जिसमे ये जिक्र किया हुआ था की " अणुव्रत अनुशास्ता गणाधिपति गुरुदेव श्री आचार्य तुलसी की 29 वी पुण्य तिथि के पावन अवसर पर 7 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे ! इसी क्रम में दिनाक 12 जून 2025 को वार गुरुवार को सायं 5 बजे से आशीर्वाद भवन में बुद्धिजीवी सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है !
सो मुझे संजय जी ने अणुव्रत के समस्त 11 बिंदुओं को समावेश करते हुए एक काव्य रचना करने के साथ ही आचार्य श्री तुलसी शांति प्रतिष्ठान के मंत्री श्री मनीष बाफना जी को प्रेषित करने को का पत्र में दिए गए संपर्क सूत्र पर ! संजय जी ने मुझे अणुव्रत के वे 11 बिंदु भी साझा किये जिनपर कविता को रचना था ! मुझ चित्रकार पर गुरु कृपा और अणुव्रत के प्रभाव ने मुझसे अल्प समय में ही एक काव्य अभिव्यक्ति अभिव्यक्त करवाली ! मैंने उस कविता को प्रथम पाठक के रूप में संजय श्रीमाली जी को प्रेषित किया उन्होंने प्रोत्साहित करते हुए कहा सटीक रचना , आप इसे श्री मनीष बाफना जी को प्रेषित करो !
संजय जी के आदेश की अनुपालना करते हुए वो काव्य पंक्तियाँ जिसे मेरे निजी जीवन में मैं जीता आ रहा हूँ उसे सत्य के साथ लिख दिया या ये सोचकर की सत्य का प्रकटीकरण ही तो काव्य है ! क्यों की सत्य शिव है और शिव ही सुन्दर ! सत्यम शिव सुंदरम भारतीय कला साहित्य का सौन्दर्य दर्शन तत्व भी तो है !
मेरी काव्य पंक्तिया ये है जो मैंने अणुव्रत को ध्यान और आत्मसात करते हुए लिखी थी !
" ये मेरा अणुव्रत "
है मुझे स्वीकार ये मेरा अणुव्रत,
जो सीख देता है कर्म वचन से लेने को वृत्त !
स्वयं के प्राण हित में कभी न हरु अन्य के प्राण !
न अस्त्र उठाऊं न शस्त्र और न करू किसी पे घात !
विश्व शांति का पथिक हूँ मैं , अशांति का करूँ परित्याग !
अहिंसा मेरा परम धर्म है हिंसा का जहाँ कोई ना स्थान !
धर्म ही मेरा कर्म है , इस कर्म से करूँ में साम्प्रदायिक सौहार्द !
नेकी मेरी प्रवृति में है इस बात का रखता मैं सदा सबसे व्यवहार !
लोक मेरे जीवन में है , लोक रूढ़िवादिता को करता हूँ अस्वीकार !
समय से पहले और निति से आगे जाना मुझे नहीं कतई स्वीकार !
दहेज़ , बाल विवाह जैसी समाज की कुरीतियां मेरे लिए है घोर अपराध !
सात्विक मेरी दिनचर्या है तामसी व्रती को न होने दूँ खुद पर साकार !
नशा मुझे अणुव्रत का हो गया है और कोई नशा ना कर सके मुझ में वास !
ब्रह्मचर्य मुझे मेरे गुरु ने दिया है जिसका करता हूँ मैं नियमित पालन आज !
लत मुझे संस्कृति सृजन की लगी है जिससे होता मेरे पर्यावरण का विकास !
अणुव्रत से ही आरम्भ है मेरा, अणुव्रत से ही है मेरा समाहार , मेरा ससमाहार,,,. मेरा समाहार !
योगेंद्र कुमार पुरोहित
मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट
बीकानेर , इंडिया !
मेरी ये काव्य अभिव्यक्ति आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के बुद्धिजीवी सम्मलेन में प्रस्तुत होने वाली काव्य प्रस्तुतियों में सबसे पहले संगृहीत होने वाली कविता रही ये भी तो गुरु कृपा ही कही जायेगी ना !
श्री मनीष बाफना जी ने कविता को मूल्यांकित करते हुए मुझसे मेरा एक फोटो माँगा ये कहते हुए की आप की काव्य कृति के साथ फोटो भी प्रिंट करते हुए हम आशीर्वाद भवन में एक काव्य प्रदर्शनी में आप की काव्य कृति को भी प्रदर्शित करेंगे !
ये बिना गुरु कृपा संभव नहीं हो सकता की एक कलाकार यानि की मैं चित्रकार की चित्र प्रदर्शनी के अलावा मेरी काव्य कृति का भी प्रदर्शन प्रदर्शनी स्वरुप में और वो भी बुद्धिजीवी सम्मलेन में आचार्य तुलसी के अणुव्रत के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर ! अचंभित करने वाली गुरु कृपा। वंदन गुरु आप को !
फिर श्री मनीष बाफना जी और संजय श्रीमाली जी दोनों ने मुझे 12 जून 2025 यानी आज सायं 5 बजे आशीर्वाद भवन में उपस्थिति देने की जानकारी देते हुए मेरी सहमति भी मांगी ! जिसे मैंने सहर्ष दी और समय पर उपस्थित भी हुआ आशीर्वाद भवन गुरु आचार्य श्री तुलसी के मूल मन्त्र अणुव्रत के सम्म्मान में !
आशीर्वाद भवन में प्रवेश लेते ही मुझे श्री संजय श्रीमाली जी मिले साथ ही श्री मनीष बाफना जी भी आप ने मुझे आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के सदस्य गण के साथ मिलकर मुझे आचार्य तुलसी के जीवन पर आधारित युगप्रधान आचार्य तुलसी का साहित्य भेंट किया ! फिर मुझे काव्य प्रदर्शनी के अवलोकन हेतु आमंत्रित किया जिसमे मैंने देखा की बीकानेर के करीब 19 रचनाकारों की 20 काव्य रचनाएं फ्लेक्स पर मुद्रित एक कला प्रदर्शनी की भांति प्रदर्शित की हुई थी ! मैंने देखा साहित्यकार संजय श्रीमाली की काव्य रचना के ठीक बगल मे मेरी काव्य पंक्तियों को रखा गया था ! मेरे अलावा साहित्यकार संजय आचार्य वरुण , इरशाद अजीज , श्री संजय पुरोहित , राजेंद्र जोशी जी , जनाब इसरार हसन कादरी , श्री राजाराम स्वर्णकार , श्री हरिशंकर आचार्य , महिला कवित्री डॉ. मोनिका गौड़ , श्रीमती मनीषा आर्य सोनी , डॉ. कृष्णा आचार्य , वरिता बैद , डॉ. नरसिंह बिन्नाणी , कृष्ण कुमार सोनी , शाहीन कादरी , शाइर नदीम अहमद नदीम , श्री जुगल किशोर पुरोहित , की काव्य रचनाये वहाँ उपस्थित बुद्धिजीवी सम्मलेन के सभी सहभागियों के लिए उपलब्ध थी ! जिसे वहाँ उपस्थित सभी बुद्धि जीवियों ने पढ़ा और अणुव्रत पर किये गए कवियों के काव्य सृजन की भूरी भूरी प्रशंसा भी की !
बुद्धिजीवी सम्मलेन आरम्भ हुआ शासन श्री साध्वी श्री बसंत प्रभा जी के सानिध्य में ! आपने मंगल पाठ के साथ सम्मलेन को आरम्भ किया ! आप के बाद बुद्धिजीवी सम्मलेन के संयोजक श्री मनीष बाफना जी ने मुख्य वक्ताओं के बारे में तथा आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान में चल रहे 7 दिवसीय समारोह के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए आज के मुख्य वक्ताओं को बारी बारी मंच सौंपा !
मुख्य वक्ता के रूप में सर्व प्रथम बोले डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली जी आप को नशा विषय पर अपने पत्र को पढ़ने को कहा , आप ने बखूबी अपने विषय को पूर्ण विस्तार के साथ जानकारी देते हुए नशे को व्याख्यायित करते हुए अपनी बात कही ! आप ने मादक पदार्थ के अलावा भी कई अद्र्शय पर अति हानिकारक नशे का भी जिक्र करते हुए सदन का ध्यान अपने पर्चे से नशे के बहिष्कार की और लेजाने का प्रयास किया बौद्धिक तरीके के तर्क से !
आप के बाद मंच से मुख्य वक्ता बोले डॉ. धनपाल रामपुरिया आप के पर्चे का विषय रहा पर्यावरण आप ने भी पर्यावरण के सन्दर्भ में सिर्फ प्रकृति को नहीं वरन हमारे आस पास जो भी घटित हो रहा है या होगा वो भी पर्यावरण का ही अंग है ऐसा अपने पत्रवाचन से कहते हुए अपनी बात को असंख्य उदहारण और संतों के शब्दों से भी कहे ! आप ने अणुव्रत में पर्यावरण की क्या परिभाषा आचार्य तुलसी ने जानी और कही उस और ध्यान खिंचा सो उन्हें सुनना मानो ऐसा प्रति हुआ जैसे की संवित सोमगिरिजी महाराज का स्रवण उनके लैजे मे आचार्य तुलसी के अणुव्रत के अनुसाशन की बात के साथ डॉ. धनपाल रामपुरिया जी के श्रीमुख से ! गुरु कृपा डॉ. धनपाल रामपुरिया जी पर भी बरस रही थी ऐसा मैंने महसूस किया जब वे बोल रहे थे अणुव्रत और उसके पर्यावरण पर ! आप ने आचार्य तुलसी और उनकी साधु और साध्वी परम्परा के अनुयायियों को धवल सेना कहा आचार्य तुलसी की ! जो की समाज में लड़ रही है नैतिकता का आचरण लाने को मनुष्य को मनुष्य बनाने को ! आप ने अपने विषय को काफी विस्तार से पढ़ा और सभी ने बहुत धैर्य के साथ सुना भी !
बुद्धिजीवि सम्मलेन का समाहार किया मुख्या वक्त के रूप में साध्वी श्री संकल्प श्री जी ने ! आप ने अणुव्रत को एक आंदोलन के रूप में सक्रीय करने की बात कही , आप ने आचार्य तुलसी के निज प्रशासन फिर अनुशासन के सिद्धांत के साथ ही अणुव्रत को स्थापित कर सकने के कार्य को आंदोलन के रूप में आरम्भ करने की बात कही और उसका जिम्मा बताया समाज के बुद्धिजीवी वर्क का ! आप ने अपनी बात रखते हुए आचार्य तुलसी के कई दोहे सोरठे भी पढ़े , जब आप बोल रहे थे तो मझे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो घर की कोई बुजुर्ग माँ दादी नानी परिवार के समझदार लोगो को कोई विशेष बात परिवार के भविष्य को सुधारने के लिए बता रही हो ! उनके कहने में भाव अपनत्व का था और सन्देश आचार्य तुलसी के अणुव्रत के नियमों का जो जीवन को सफल बनाने का कारगर सिद्धांत है ! वे अपने लगे ये भी तो गुरु की कृपा से ही संभव होता है की पराये भी अपने और सम भाव वाले लगने लगते है !
आज के आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के बुद्धिजीवी सम्मलेन के समाहार से पूर्व सभी मुख्य वक्ताओं को प्रतिक चिन्ह और उपरना पताका भेंट की गयी इस क्रम में सभी कवियों को भी आचार्य तुलसी के जीवन पर आधारित साहित्य के साथ उपरना , पताका भेंट की गयी ! मुझे भी इस उपक्रम में शामिल किया गया और आचार्य तुलसी के जीवन साहित्य के दो खंड के साथ उपरना पताका से नवाजा गया ! ये एक और गुरु कृपा हुई मुझ पर !
आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के पदाधिकारियों ने आभार के साथ प्रसादी पर सभी बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया ! मैंने में मित्र डॉ. रितेश व्यास के साथ प्रसाद ग्रहण किया ! फिर आचार्य तुलसी की समाधी स्थल पर गया और वहाँ आचार्य तुलसी को धोक अर्पित करते हुए अपनी आँखों से दो अश्क भेंट करते हुए घर की और मुड़ा .. ॐ अर्हम। ..
यहाँ आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के आशीर्वाद भवन में संचालित हुए बुद्धिजीवी सम्मलेन के आज के कुछ छाया चित्र मेरे कैमरा से आप के अवलोकन हेतु , नोट मेरी फोटो ली श्री संजय श्रीमाली जी ने और उपरना प्राप्त करते हुए की फोटो ली डॉ. रितेश व्यास ने सो दोनों को साधुवाद भी ॐ अर्हम के साथ !
Here that’s hindi note copy I am sharing for your reading . I hope you should translate it for your reading .
I am sharing some visuals of seminar “ANUVRIT “ for your visit .or for know to exercise of seminar ANUVRIT of Achary shree Tulsi and presence of myself .
So here I write about it . “ Anuvrit “ of Achary shri Tulsi and Myself ….
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA