Two Days I dedicated to late great writer of Dingal Language
Friends in this week on date 18th or 19th AUG. 2025 , I was invited for a literature event of our national literature academy the Sahity Academy New Delhi , Actually the Sahitya Academy new Delhi was organized to two day literature seminar on Dingal language of Rajasthan .Or in this seminar Sahitya Academy was started discuss on Dingal language or that’s writer late great shree Shankar daan samour Bobasar . This two days seminar was focused on writer late great Sree Shankar Daan Samour and his writing work of dingal language .kind your information this year 2025 is 200 birth anniversary year of shri Shankar daan samour. so Sahity Academy New Delhi and Lok Bharty society of Bobasar , Bikaner Rajasthan were organized this great seminar in Bikaner at Hotel Rajmahal Bikaner.
I was invited as a creative person of Bikaner in this seminar for listen or observe to live discuss and research papers of researchers and some important speech of experts of Dingal language of Rajasthani. The seminar was run two days continue with many sessions on Dingal language or that’s writing format in presence of Secretary of Sahitya Academy New Delhi or in presence of Lok Bharti society members shri Bhanwardaan samour .& grand daughter Dr. Geeta samour .
I was attended there all sessions with my full consciousness and I were captured to that seminar sessions from my eye of camera . I also converted to my observation on that seminar in two notes cum posts in my mother tong - Rajasthani language .
Here I am going to share that two notes cum posts with some visuals of that seminar . By that notes and visuals you can know how to I participated in seminar of Sahitya Academy & Lok Bharti society of Bobasar Bikaner Rajasthan and you will know how to I dedicated to my two days to late great writer of Dingal language ..
1. Day first
साथी वाळो संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार री साहित्य अकादमी नई दिल्ली अर लोक भारती बोबासर संस्थान रे भेळप में दो दिन रो जलसो तेवड़ीजियो है बीकानेर री होटल राजमहल माया ( जीके रा प्रबंधक है साहित्य अनुरागी डॉ. नरेश गोयल साब ) ! जलसे ने नाम दियो है " श्री संकरदान सामौर 'स्मृति 'समारोह " जीके रो बगत राख्यो हो आज तारीख १८ अगस्त २०२५ ने दिनूगै १०:१५ बजी !
श्री के श्रीनिवास जी साहित्य अकादमी खानी सु न्यूतियोडे सब परचा पढन वाला साहित्यकारां रो स्वागत करियो तो सेमिनार ने सुण न सारु आयोडा सगळा साहित्य प्रेमियाँ रो भी स्वागत करियो ! सागे सागे दो दिन रे इये सेमिनार रे विषय ने भी सामी राखियो आप रे शब्दा सु ! आप श्री संकरदान सामौर जी रे व्यक्तित्व और कृतित्व पर दो दिन खुलर बात करने और देश रे आजादी रे संग्राम में बियारे रे कवित्व रे योगदान पर बात कारण बात भी राखी !
एस पि व्यास साब इतिहास पेट श्री संकरदान सामौर साब रे साहित्य ने स्वतंत्रता सग्राम रे पेटे ऐतिहासिक दस्तावेज मानता थका केयो की बियारे योगदान ने प्रकाश में लायो कोणी गयो है हाल तक और ओ सेमिनार एक खेचळ ही है श्री संकरदान सामौर जी रे स्वतंत्रता सग्राम पेटे बीयारे योगदान ने याद करता थका प्रकाश में लावण सारू बो भी देश री केंद्रीय साहित्य अकादमी रे तान !
श्रीमती दीपिका विजयवर्गीय जी मंच सूं श्री संकरदान सामौर जी रे १८५७ रे क्रन्तिकारी साहित्य कर्म और लेखन ने पाठ्यक्रम में जोडणं री बात कैयी ! आप बियारे साहित्य पर नवे सिरे सुन शोध करण री बात भी राखी आपरी बात सूं उद्घाटन सत्र में !
अध्यक्ष उद्बोधन देवता थका डॉ. अर्जुनदेव चारण साब केयो की श्री संकरदान सामौर जी राजस्थान रा पेला स्वतंत्रता सग्राम रा कवि अर लिखारा था ! पण राजस्थानी साहित्य समाज हाल ताई बियारे साहित्य ने ठीक सूं समझ कोणी पायो ! कारण श्री संकरदान सामौर जी मंच रा या कोई राज कवि नई हां बे तो बस जनमानस रे हितों री रक्षा करण वाला कवि हा, लोक जन रे विकास और स्वतंत्र जीवन रे पक्ष पेट लिखण वाला कवि हां ! जीका सूं स्वतंत्रता संग्राम रो इतिहास शुरू होयो बीए आदमी ने इतिहास माय भुलादियो गयो ! अब बखत है की राजस्थानी साहित्य समाज बियारे स्वतंत्रता संग्राम पेटे करोडे कर्म ने आज री नुवी पीढ़ी रे सामे लावा बियाने आपारे गौरवमयी भारतीय स्वतंत्रता सग्राम रे इतिहास में उचित ठोड दिरावा !
उद्घाटन सत्र रे समापन सु पेला मंचासीन सगळा अतिथियों ने सोल, साफा , उपरना और प्रतीक चिन्ह सु सम्मान करियो गयो जीके में मने भी मंच सुन न्युतियो गयो संचालक साहित्यकार गजेसिंह जी खानी सु, डॉ. फारूक मोहमद साहब रे सागे साहित्य अकादमी नई दिल्ली रा सचिव श्री के श्रीनिवास राव साब रो सम्मान करण सारू ! मने एक सामान्य से साहित्य अनुरागी और मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट ने ओ मौको देर मने अति सम्मान देवन पेट साहित्य अकादमी नई दिल्ली और लोक भारती बोबासर संस्थान रो घणो घणो मान सत्कार म्हारे कालजे री कौर सु !
साहित्यकार डॉ. रेणुका व्यास जी, अबार एक पोथी रो उथळो करियो है राजस्थानी भाषा में कश्मीरी कवित्री री हिंदी कविता संग्रह "ललरा लाखिना वाख " पोथी रो बीरो मंच सूं लोकार्पण भी होयो गरिमामय मंच रे तान !
उद्घाटन सत्र रे बाद चाय सत्र फेर पेलो सत्र तेवड़ीजियो जीके री अध्यक्षता करी पूर्व सचिव राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर श्री पृथ्वीराज रतनु जी , तो पत्रवाचन / परचा पढनिया हां निकिता शेखावत अर हेमेंद्र सिंह ! इये सत्र रो विषय राखियो हो " श्री संकरदान सामौर का व्यक्तित्व "
पेलो पर्चो पढियो निकिता शेखावत , आप आप रे पर्चे में बाचियो की किंण तरह सु श्री संकरदान सामौर साब आप रे तान आपरी लेखनी रे तान स्वतंत्रता संग्राम री अलख राजस्थान और राजस्थान सु बारे भी फैलाई ! आप ही ताँतिया टोपे ने मदद या संगरक्षण भी दियो बीकानेर संभाग में ! आप बतायो आप रे पर्चे सु की कीकर श्री संकरदान सामौर साब देश ने स्वतंत्र राखन सारू सामंती वाद और ब्रिटिश शासन ने विरुद्ध कलम उठाई बा भी १८५७ में , आप ओ भी बतायो की बे खाली कवि ही नी हां बे सच्चा देश प्रेमी समाज सेवक और एक सफल किसान भी हां !
पेले सत्र रो दूजो पर्चो पढियो हुकुम हेमेंद्र सिंह साब आप श्री संकरदान सामौर साब रे वीर रस रे साहित्य पर केंद्रित पर्चो पढियो ! आप स्वतंत्रता संग्राम १८५७ रे इतिहास री गौरव गाथा ने लिखण वाला में श्री संकरदान सामौर साब ने सिरमौर बतायो ! आप केयो की ताँतिया टोपे भी आपरी लेखनी सु प्रभावित होर बीकानेर पधारिया आप रे सागे समय बितायो ! पर्चे में आप इये बात ने भी कोट करि है की श्री संकरदान सामौर साब देश रा लूंठा स्वतंत्रता सेनानियों रे व्यक्तित्व पर भी वीर रस री कवितावां राजस्थानी काव्य शैली डिंगल में लिखी , जिकी हाल अछूती है राजस्थानी स्वतंत्रता संग्राम रे साहित्य शोध पेटे ! तो सागे सागे राजस्थानी स्वतंत्रता संग्राम रे इतिहास रे शोध पेटे भी !
पेले सत्र री अध्यक्षता करणीया श्री पृथ्वीराज रतनु साब आप री टिप राखता थका केयो की दोनों परचा संतरा और शोध पेटे एकदम खरा बैठे ! आप डिंगल और डिंगल भाषा री सौर्य गाथा ने पुनरुथान सारू खेचळ करण री बात राखी सागे सागे साहित्य अकादमी नई दिल्ली अर लोक भारती बोबासर संस्थान का पदाधिकारी श्री भवँरदान सामौर जी ने लखदाद दी इये दो दिन रे सेमिनार ने तेवडन सारू !
मंच सञ्चालन इये सत्र रो करियो साहित्यकार श्री राजाराम स्वर्णकार जी ! आप सहित सगळा मंचासीन अतिथियों ने भी सम्मानित करियो गयो सोल, साफा , उपरणा और प्रतीकचिन्ह भेंट सूं !
भोजन सत्र रे पाछे आज पेले दिन रो दूजो सेमिनार शुरू होयो , बिरि अध्यक्षता करि साहित्यकार श्री बुलाकी शर्मा जी ! दूजे सत्र में परचा पढनिया हां साहित्यकार श्री नगेन्द्र नारायण किराडू जी अर डॉ. संजू श्रीमाली जी !
साहित्यकार श्री नगेन्द्र नारायण किराडू जी एक अकादमिक शोधपरक परचा पढियो आप बताया की श्री संकरदान सामौर साब रे साहित्य जीवन री यात्र के सागे उणरी लेखन शैली माथे बात केवता थका बियारी वीर रस री कई प्रकाशित डिंगल शैली री कवितावा भी पढ़ी ! कवितावां ने अर्थवत्ता थका केयो की श्री संकरदान सामौर किणी सु डरता नी हां , बियानेआपरो लक्ष पतों थो बे देश खातिर ही बणिया और देश खातिर ही मिटग्या !
डॉ. संजुन श्रीमाली जी आप रे पर्चे ने पढता थका विषयांतर होया जानबूजर ! क्यों की बियारे आ पीड़ उठी की हाल ताई श्री संकरदान सामौर साब बोबासर वाला स्वतंत्रता सग्राम रा साक्षी कवि रे साहित्य जिको डिंगल साहित्य रो लूंठो और जूनो साहित्य १८५७ री आंख्या देखि और आप भोगी पीड़ा ने साहित्य में गढ़ ग्या आपा नुगरा जिया हाल ताई बियाने नुवी पीढ़ी सामे पढ़न पढ़ावन सारू भी नई लाय सकियाँ हाँ क्यों ? इये सवाल सागे आप रे पर्चे ने पुरो करियो !
अध्यक्ष उद्बोधन या टिप देवता थका साहित्यकार बुलाकी शर्मा जी दोनों परचा पढ़न वाला ने शाबाशी देवता थका केयो की शोध और शिक्षण पद्धति दोनों विषय माथे हाल काम कारणों जरुरी है श्री संकरदान सामौर साब रे साहित्य अवदान पेट ! खेचळ शुरू होगी है डॉ. अर्जुन देव चारण साब रे संयोजन में साहित्य अकादमी अर लोक भारती बोबासर संस्थान खानी सुन अबे आ अलख हमेश चालती रेवणी जरुरी है श्री संकरदान सामौर साब रे साहित्य अर स्वतंत्रता संग्राम पेट दियोडे अमिट योगदान सारू !
आज रे इये अंतिम सत्र रो सञ्चालन करियो साहित्यकार डॉ. रेणुका व्यास जी , मंच रो सम्मान सोल, साफा , उपरणा और प्रतिक चिन्ह सु करियो गयो !
सेमिनार श्री संकरदान सामौर " स्मृति " समारोह रा कई महतावु छणो ने हूँ कैद करिया म्हारी केमेरारी निजर सु जीका आप रे निजर सारू हाजिर है सा !
जय राजस्थान .. जय राजस्थानी .. ।
2 . Day second
साथी वाळा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार री साहित्य अकादमी नई दिल्ली अर लोक भारती संस्थान बोबासर खानी सूं तेवड़ीजियोडो साहित्य समारोह " श्री संकरदान सामौर " स्मृति " समारोह " रे दूजे दिन होटल राजमहल बीकानेर रा प्रबंधक डॉ. नरेश गोयल जी रे सांतरे होटल प्रबंधन माया पूर्ण होयो !
साहित्य अकादमी अर लोक भारती रे भेळप में तेवड़ीजियोडे इये समारोह रे दूजे दिन तीन सत्र तेवड़ीजिया और समाहार होयो एक व्याख्यान सु !
आज रे दूजे दिन रे पेलडे सत्र रो विषय राखियो हो " संकरदान सामौर का कृतित्व " ! इये सत्र री अध्यक्षता करि डॉक्टर गजेसिंह राजपुरोहित तो परचा पढनिया है डॉ. रेणुका व्यास जी और डॉ गौरीशंकर प्रजापत जी !
आप दोना रा परचा श्री संकरदान सामौर रे कृतित्व माथे शोध करपरार बाच्या हां ! डॉ. रेणुका व्यास जी बतायो की संकरदान सामौर साब भक्ति काल सु प्रभावित हां तो बे लोक जीवन रे हेत सारू लोक जीवन ने बचावन सारू आपरी डिंगल काव्य सु जन मानस ने चेतायो हो ! आप श्री संकरदान सामौर साब ने आधुनिक भारत रा लोक देवता भी केयो ! आप आ बात भी पर्चे में राखी की १८५७ री क्रांति रे बखत बियाँ जीवन री कई अबखायां झेलीं पण गुलामी या कीरोइ पख खुद रे सुरक्षित रेवन सारू कोणी लियो ! आप आ भी बात केयी की बे देश री जनता ने डिंगल काव्य रे मार्फ़त समझायो की मुग़ल फगत राजा रो राज किला ही लूंटता हां पण गौरा तो गरीब री झूंपड़ी ने भी लूटी गांव रा गांव या गांव री संस्कृति ने ही नष्ट भ्रष्ट कर रिया है, बेआम जन ने सावचेत कर रिया हा आवन वाली अबखाया सु समाज अर पुरे भारत देश ने ! श्री संकरदान सामौर जी रेबारे में बे किया की स्वतंत्रता संग्राम री आगली कतार रा ओजस्वी कवि सागे किसान भी हां ! बियारो जीवन ही अपने आप में एक स्कूल हो स्वतंत्रता संग्राम ने देखन और समझण सारू !
पेले सत्र रो दूजो पर्चो बाचियो डॉ गौरीशंकर प्रजापत जी , आप आपरे पर्चे में श्री संकरदान सामौर साब रे लिखोड़े डिंगल साहित्य और बीमे लिखोड़े इतिहास रे सूरवीरा री गाथा रो जीकर करियो ! आप कवि संकरदान जी रे कवि मन री पीड़ और सझक दोनों पर बात राखी ! आप आपरे पर्चे में लिखियो है की संकरदान सामौर साब जन कवि हा बिया बगत सु पेली बगत री होवण वाली हालत ने भांपली और देश ने चेताया की अबे राज और गौरा सुन मुक्ति पावण रो बगत आयग्यो है !डॉ गौरीशंकर लिखियो है की कवि समाज ने चेतावन सारू संकेत और प्रतिक में बात कई आप रे काव्य सु और प्रतिक में बिया लियो शब्द अधपति, तेलियो , राम जेड़ा शब्दा ने !
दोय परचा रे वाचन रे बाद अध्यक्षीय उद्बोधन दियो डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित जी ! आप दोनों शोधपरक परचा पढ़न वाला डॉक्टर ने केयो की परचा और संतरा हो सकता हां जे संकरदान सामौर साब रे बारे में की और शोध और माध्यम पकड़या जाता तो ! इये सत्र रा संचालक हां साहित्यकार डॉ. नगेन्द्र किराडू जी !
पेले सत्र रे बाद चाय रो सत्र सुरु होयो और फेर सुरु होयो दूजे दिन रो दूजो सत्र साहित्य अकादमी रे समारोह रो ! जीके री अध्यक्षता करि शिक्षाविद मंजुला बारठ जी तो परचा पढनिया हां साहित्यकार कथाकार श्री राजेंद्र जोशी जी अर स्कॉलर मास्टर गोविन्द गौरवसिंह !
इये दूजे सत्र रो पेलो पर्चो पढियो मास्टर गोविन्द गौरवसिंह , आप आपरे पर्चे ने एक शोधार्थी जिया ही राखियो जीके में आप संकरदान सामौर साब रे जीवन री अबखायां , अध्ययन , रोजगार, जनचेतना , संग्राम रो डंको ,काव्य री अभिव्यक्ति और बिरि प्रस्तुति जेडे विषय ने परोटता पर्चे ने बाचियो ! एक शोधार्थी रो पर्चो एडो ही होवणो चाइजै हो जिको बो हो !
दूजे सत्र रो दूजो पर्चो बाचियो साहित्यकार राजेंद्र जोशी जी , आप आपरे पर्चे में संकरदान सामौर साब रे जीवन में काव्य सिरजण किया सुरु होयो इये विषय पर बात राखी ! आप बताया की संकरदान सामौर साब कविता सीखण सारू गुजरात भी गया हां ! फेर आप स्वतंत्रता सेनानी ताँतिया टोपे रे संपर्क में आया अर बियारे ऊपर भी डिंगल काव्य में शौर्यगाथा ने लिखि जीके ने पुरे भारत वर्ष पढ़ियो ! आप बताया की संकरदान सामौर साब किया ताँतिया टोपे ने राजस्थान मांय आप रे गाँव बोबासर सु बीकानेर और बीकानेर सु आगे तक संगरक्षण देता थका मदद करि और गोरा ने चकमो दियो !
दोनों रा परचा पाछे अध्यक्ष मंजुला बारठ जी दोनों पत्रवाचक रो आभार करियो सागे आभार करियो साहित्य अकादमी रो भी ! सत्र संचालक हां डॉ गीता सामौर जी !
दूजे सत्र रे पछे भोजन सत्र होयो और फेरु आज रे दूजे दिन रे तीजे और अंतिम सत्र ने साहित्य अकादमी और लोक भारती बोबासर संस्थान सुरु करियो ! इये तीजे दिन रो समापन सत्र जीके रा अध्यक्ष हा वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधु आचार्य आशावादी तो मुख्य अतिथि हां श्री भंवर सिंह सामौर ( आप संकरदान सामौर जी री छठी पीढ़ी है ) तो विशिष्ठ अतिथि हां शिक्षा विद श्री लक्ष्मीकांत व्यास जी (डीडवाना )
विशिष्ठ अतिथि श्री लक्ष्मीकांत जी संकरदान सामौर साब रे ऐतिहासिक जीवन और काव्य दोना पर आप री बात राखी अर थोड़े में घणो केयो शिक्षाविद होने रो प्रमाण देवता थका !
तो मुख्य अतिथि श्री भंवरदान सामौर साब आप री बात राखता थका केयो की संकरदान सामौर स्कूल ऑफ़ चारण पोएट्री हां १८५७ रे स्वतंत्रता संग्राम रे बगत ! बे खाली संग्राम रा कवि ही नी हां बे सागे सागे जन कवि , प्रकृति रा कवि अर लोक देवता री गाथा गावणिया कवि भी हां ! मौखिक साहित्य सामौर कुल री धरोहर है जिकी आज भी सामौर कुल रा लोग बीने सम्भालियोड़ी है ! बे जद आ बात के रिया हां तद में विचारियो की संकरदान सामौर या स्कूल ऑफ़ चरण पोएट्री करणिया कोई विशेष साहित्य कोणी रच रिया हां बे तो फगत आप री बोलण गत में बात कहानी केवे हां जिकी ही डिंगल शैली री मौखिक बातो चितो, अलायदो ढब बात करण रो लय बद्ध ! डिंगल सु ही बे पिछाणीजता की ऐ लोग सामौर कुल रा का पाछे स्कूल ऑफ़ चारण पोएट्री वाळा है ! ( ओ विचार म्हारे मन माय बणियो श्री भंवरदान सामौर साब ने सुनता थका ) ! जद श्री भंवरदान सामौर साब डिंगल भाषा में संकरदान सामौर साब री काव्य रचनावाना सुणा रिया हां बी बगत ईया लगे हो जाने कोई संकरदान सामौर साब ही बोल रिया है आपरी छठी पीढ़ी रे वंश पुत्र रे मुंडे सु !
अध्यक्षीय बात राखता थका श्री मधु आचार्य जी संकळप लियो की राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी खानी सुन १५० पाना रो विशेषांक खाली संकरदान सामौर साब रे माथे माहरी सम्पादकीय टिप सागे छापसूं अकादमी रे सहयोग सूं ! िये सत्र रा संचालक हां साहित्यकार श्री राजेंद्र जोशी जी !
समापन सत्र पछे एक साहित्य मंच केर व्याख्यान भी राखियो गयो दोनों संस्थाओ खानी सूं ! जीकेरो शीर्षक राखियो " राजस्थानी में २१ वीं सदी का महिला लेखन " व्याख्यान प्रस्तुत करणीया हां डॉक्टर गीता सामौर जी ( आप श्री संकरदान सामौर साब री सांत वी पीढ़ी है )
व्याख्यान सत्र रो सञ्चालन करियो निकिता शेखावत तो अध्यक्षता करि श्रीमती अच्छन राठौड़ जी !
आज रे सब सत्र रे अध्यक्ष अर पत्रवाचकां ने मंच सुन उपरणा , प्रतीकचिन्ह , पुष्पमाला ,सोल अर साफा पहनार सम्मान करियो ! इये मौके माइक्रोफोन वाला प्रबंधक अर फोटोग्राफी करण वाला दो जना ने भी प्रतिक चिन्ह भेंट कर बियारो भी सम्मान करियो और आज विश्व फोटोग्राफी दिवस माथे मने बीए साहित्य अकादमी नई दिल्ली अर लोक भारती बोबासर संस्थान रे मंच पर उभा समारोह रे फोटोग्राफर साब रे सम्मान री बेला रो बियारे ही स्टील कैमेरा ( डिजिटल कैमरा /एस एल आर कैमरा ) सु फोटो खिंचन रो मौको भी मिलियो कलाकार / फोटोग्राफर होवण सारू !
अठे आज रा की टाळवा छाया चित्र महारे मोबाइल कैमरा सु लियोडा आज रे समारोह रा आप री निजर !
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So here I write about it .. Two days I dedicated to late great writer of Dingal language …
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA