Wednesday, July 2

Art Vibration-734

Art, Literature & Midical Science are work for “ Manav Kalyan On Our VASUDHA” …

 

Friends Art , literature and medical Science was designed in our human culture for “ Manav Kalyan” Manav Kalyan is a Vedic word in  Hindi Granth Shashtra. Its definition is betterment for each one  Heart & Body of  human of our world . so we are noticing to exercise of Art , literature and Medical Science  in our world, Thats are same . its live example we were looked in covid time , only art , literature and medical science were  activated  in mid of mass for care to life according to word MANAV KALYAN . 


Title cover of Book " From Mashed Dal to Milestone " Author Dr. Shyam Agarwal   

 Today I noticed one more example of this talk  when Dr. Shyam Agarwal child health care Specialist was shared a very important news of his child health care work  exercise with me . his work format was very creative or educative . Because he was wrote a book for health awareness of child .

Dr. Shyam Agarwal  is Know  it,  before medical treatment the parents can care to health of their kids at home from healthy food. So in his book title  “From Mashed Dal to Milestone”   he has been wrote some important  tips of healthy food of Indian culture . In his book writing work  Dr. Yukta Agarwal was helped to him . Now book “ From Mashed dal to Milestone”  was launched  yesterday In Bikaner  for all parents of small kids . I think it is a new and good start from Dr. Shyam Agarwal Bikaner. So thanks to Him .  

 


Dr. Shyam Agarwal  was connected to me very closely  to last 8 years , Actually  he was protected to life of my Niece Miss Gourangi Purohit when she was 15 day old or in a critical health condition.

Doctors Patience give always life to patient”

I gave this caption to child health care specialist senior Dr. P. C. Khatri Bikaner  in year 2000. When he was cared to life of  my nephew Engineer Mayank Joshi .  

That same caption I gave to Dr. Shyam Agarwal Bikaner when he was cared life of my Niece Miss Gourangi Purohit in year 2017  .

My Nephew Engineer Mayank Joshi  & My Niece Miss Gourangi purohit , file photo ..


Dr. Shyam Agarwal is know to this very well and by his patience he is caring every day many life’s of kids from his Hospital . but in Hospital or on his medical practice  he is thinking for art and literature can   a way of  care  to life of kids , art and literature can educate to parents by format of book and art work demonstration or hi know it ,  it is impactful for  educated  parents of small kids . 

Book Launching movement of from  Mashed dal to Milestone Author  Dr. Shyam Agarwal Bikaner & Dr. Rahul Jain Jaipur


So I am welcoming to Dr. Shyam Agarwal for his literature efforts , it is working very well for care to health of kids from their parents at home in natural environment or with natural healthy foods.  .

I also wrote a hindi note on his book launching activity, so that’s text copy is here, I am going to share for  your reading or notice too.  

 मित्रों  चिकित्सक धरती पर दूसरे ईश्वर का  स्वरुप होता है ! पहला ईश्वर स्वरुप हमारे लिए माँ का है जो जीवन को जन्म देती है, इस धरा पर ! हमारा पोषण प्रकृति के पोषक तत्व से होता है बचपन से लेकर अंतिम क्षणों तक ! जिसे हम ईश्वर प्रदत तत्व मानते है इस धरा पर और ये सत्य भी है ! पर एक सत्य ये भी है कि  उस पोषक तत्व को हम तक उपलब्ध करवाने वाले हमारे इस धरा के प्रथम ईश्वर माँ  और उनके बाद दूसरे ईश्वर  चिकित्सक  ही  है ! जो हमारे जीवन विकास में हमेशा तत्पर रहते है एक संगरक्षक की भांति , एक सच्चे जीवन रक्षक की भांति !
 
ये बात मैं इस लिए कह रहा हूँ  क्योंकि अभी अभी मुझे  शिशु  चिकित्सा विशेषज्ञ बीकानेर  डॉक्टर   श्याम अग्रवाल जी ने एक  महत्त्व पूर्ण ज्ञानवर्धक जानकारी मुझसे साझा की हैं ! 

A idea from myself  for feeding to milk and water for  small kids


आप को विदित हो मेरी भतीजी गौरांगी पुरोहित ( जब 15 दिन की आयु में थी  ) के आप जीवन रक्षक के रूप में अपनी महत्त्व पूर्ण भूमिका निभा चुके है ! और उस विकट  परिस्थिति में आप ने  अपने धैर्य और चिकित्स्कीय कौशल से मेरी भतीजी  के जीवन  की रक्षा की थी ! आज वो आठ वर्ष की है और अपने जीवन को सहज रूप से जी रही  है !  पर उस समय आप  के साथ बने एक रिश्ते में कोई ऐसी बात मेरी भी रही होगी की आज आप ने मुझे अपनी लिखी पुस्तक " मेशेड दाल टू  माइलस्टोन " शिशु स्वास्थ्य  विषय पर केंद्रित पुस्तक  इंग्लिश में लिखी है उसकी सम्पूर्ण जानकारी मेरे साथ साझा की है  ! ये मेरा सौभाग्य  है की आप के जहन में मेरे लिए अभी भी कोई विशेष स्थान  है ! आभार आप के इस अपार स्नेह के लिए मेरी और से  मेरे परिवार की और से भी !

इस का एक कारण ये भी हो सकता है की मैंने अनेको प्रकार के आयाम रखे डॉ. शयाम अग्रवाल जी के समक्ष चर्चा के दौरान ,  जब मेरी भतीजी उनकी देख रेख में स्वास्थ्य लाभ ले रही थी ! एक बार डॉ. श्याम अग्रवाल जी ने कहा की आप बच्ची को बोतल से दूध नहीं पिलाना ! क्योंकि  बोतल से वेक्यूम बनता है और बच्चे के चेहरे का शेप बिघड जाता  है और दूध को खींचने में श्वांस  नली पर जोर पड़ता है,  जो ठीक नहीं शिशु स्वास्थ्य की दृष्टि से ! मेरी भतीजी गिलास और चमच से दूध नहीं पि पा रही थी ! तो मैंने एक आईडिया क्रिएट किया मैंने बोतल के वेक्यूम को ख़तम करने के लिए दूध की बोतल में ऊपर की तरफ  एक छेद कर दिया ! और चेक किया फिर  पाया की  अब वेक्यूम नहीं हो रहा ! तो मैंने ये आईडिया चिकित्सक  डॉक्टर  श्याम अग्रवाल जी से साझा किया !  आप ने उसे अजीब माना ( कलात्मक प्रयोग विज्ञानं के शोध में )  पर स्वीकारा और अनेको पेशेंट के परिजनों को इस आईडिया को आजमाने का सुझाव भी दिया जो चिकित्सा विभाग का नहीं  मेरी कला शिक्षा विभाग के मास्टर्स  ऑफ़ आर्ट चित्रकार योगेंद्र कुमार पुरोहित का आइडिआ  था ! उस आईडिया से मेरी भतीजी ने दूध बिना वेक्यूम वाली स्थिति में आराम से पिया और उस समय की पौष्टिकता जो की दूध से ही मिलती हैउस   शिशु को वो उसने पूर्ण रूप से लिया ! 

Myself and my Niece Miss Gourangi purohit at home ..file photo


आज ये बात इस लिए भी साझा कर रहा हूँ क्यों की चिकित्सक डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी ने अपनी लिखी शिशु स्वास्थ्य पर केंद्रित  पुस्तक का टाइटल ही मसली हुई दाल से मिलो मिल की यात्रा करने की सिख के साथ प्रस्तुत किया है ! ये पुस्तक शिशु स्वस्थ को स्वस्थ रखने के आईडिया की है ! परिजनों को शिशु स्वास्थ्य के लिए शिक्षित और सझक रखने की है ! जिसे उन्होंने टिप्स के माध्यम से व्याख्यायित किया है  !

चिकित्सा विभाग में स्वस्थ शरीर के लिए  बचपन से ही पौष्टिक तत्व के सेवन की बात कही गयी  है अब वो चाहे आयुर्वेद चिकित्सा हो या होमियोपेथी चिकित्सा  या एलोपेथी चिकित्सा ! प्राकृतिक पोषक तत्व का सेवन करने की बात सभी  चिकित्सा प्रणाली में प्रमुख है ! पोषक तत्व का सेवन करने से शरीर की रोग निरोधक  क्षमता बढ़ जाती ! इसी बात को मध्य नजर रखते हुए चिकित्सक डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी ने ये पुस्तक लिखी है  विशेष रूप से शिशु अवस्था के समय बच्चों को अधिक से अधिक पौष्टिक तत्व वाला आहार दिया जाए ताकि उनका शरीर सभी प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता अपने भीतर ही बना ले और बार बार चिकित्सक के पास ना जाना पड़े !
दाल हमारे भोजन का सब से अधिक पौष्टिक तत्व  है और डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी ने इसी दाल के एक विशेष रूप मसली हुई दाल जिसे बिना दांत वाले शिशु भी आसानी से आहार में ले सकते है गरिष्ठ आहार लेने की अवस्था में आने पर ! सो शिशु के परिजन के लिए इस पुस्तक का संकलन और गहन अध्ययन उन्हें शिक्षित तो करेगा ही साथ में सझक  और सतर्क भी अपने शिशु के स्वास्थ्य के लिए !

 यहाँ मेरी इस बात को शिशु के परिजनों के समझने हेतु  और ऊपर लिखी बात को पुख्ता करने को एक बात वरिष्ठ शिशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर पि सी खत्री जी बीकानेर की यहां कोट कर रहा हूँ जिसे उन्होंने मुझे कही थी कभी ! उन्होंने कहा था की शिशु के असली चिकित्सक उसके परिजन होते है , हम डॉक्टर तो बस मुआइना करते है शिशु के स्वास्थ्य का और दवाई आप को थमा देते है ! आप 24 घंटे बच्चों के साथ रहते हो वो आप की देख रेख में रहता और पलता  है सो आप ज्यादा जानते हो  हम से शिशु के स्वास्थ्य के बारे मे ! सो आप ही असली डॉक्टर हो अपने शिशु के हम नहीं !  

यही बात डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी ने अपनी इस पुस्तक मेशेड दाल टू  माइलस्टोन में टिप्स के माध्यम से कहने और समझाने की भरकस कोशिश की है ! जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र  है !
आप इसी प्रकार शिशु जीवन रक्षक के रूप में समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दूसरे ईश्वर के रूप में निभाते रहे ! ईश्वर से आप के स्वस्थ , सकुशल जीवन की मंगल कामना  हमारे मडकोटड़ी पुरोहित परिवार की और से !
यहाँ  डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी द्वारा प्रेषित पुस्तक के टाइटल कवर की एक दो इमेज साथ में पुस्तक लोकार्पण के पल का एक दृश्य जिसमे डॉ. श्याम अग्रवाल जी और जयपुर स्थित नारायण हॉस्पिटल के गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल जैन उपस्थित  है !

 

A comment on my facebook post  from Dr. Shyam Agarwal the Author of book " from mashed dat to Milestone " 


 I sure after read this note  you have understand  to my point of view about great exercise of care to life of kids through art and literature by  Dr. Shaym Agarwal  Bikaner .

So here I wrote about it  Art , Literature and Medical Science are work for MANAV KALYAN On Our Vasudha …

Yogendra  kumar purohit

Master of Fine Art

Bikaner, INDIA

 

 

Wednesday, June 25

Art Vibration - 733

Pandit Shree Narayan Das Ranga  is GURU of Indian Classical Music  

“Gharana Sangeet” ..

 

Friends we know classical music is a real identity of our Indian culture , It can in form of folk  Music or classical music . I am saying it here  about classical music of India . In Indian culture we are calling to GURU to a classical music master . Guru word is in form of a class teacher , GURUKUL PARAMPARA is a traditional format of Education  in Indian Culture . 

Guru Pandit  Narayan Das Ranga and His Student is Busy in practice of Indian Classical Music at Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir Daga Chouk Bikaner 2025 

 

In Indian classical art form GURU is playing very important role for promotion to classical art form and  transfer to his classical art  knowledge with His/ Her students . we are calling to this education system - Guru Shishy parampara in classical art education format.

A institute of Classsical Music is very respected place for all music students , they are taking to that institute as a temple of classical Music .

 Yesterday I was invited for visit to temple of classical Music  in my city Bikaner  . That classical Music  temple name is Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir ( respected classical music art temple ) . it was founded  in year 1964 . late great classical music GURU Pandit shree Moti Lal Ranga was started to it for   provid to education of classical music to students  from his Music temple  .

Guru Pandit  Narayan Das Ranga and His Student is Busy in practice of Indian Classical Music at Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir Daga Chouk Bikaner 2025

 

 Or last 40 years to his son classical music master cum GURU pandit Narayan Das Ranga is teaching to classical music from his music temple . Pandit Narayan Das Ranga was invited  to me for join to his musical class as a classical  music  lover. so I were presented  there or I observed  his classical music class , there I notice  his teaching format was running for  classical Music  according to  GURU SHISHY Parampara culture . it was surprising movement for me . so I said thanks to Pandit narayan Das Ranga . 

Guru Pandit  Narayan Das Ranga and His Student is Busy in practice of Indian Classical Music at Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir Daga Chouk Bikaner 2025


There I noticed many kids and girl child or some mature students were learning classical music with full dedication . or I saw full of commitment for teaching to Classsical Music in Guru Pandit Narayan Das Ranga . it was great combination of GURU and SHISHY for Classical Music .

Pandit Narayan Das Ranga is Master in Gharana Sangeet of Indian Classical Music or In Gharana Sangeet he is perform and teaching  to Haveli Sangeet of Gwalior Gharana of Indian Classical  Music .

Guru Pandit  Narayan Das Ranga  is represent to only Indian classical music from his Classical Music institute . or he is perform  to classical Music on stage with his students. In this exercise he is playing his  real role of GURU according to GURU Shishy parapara of INDIAN classical Music . 

Guru Pandit  Narayan Das Ranga and His Student is Busy in practice of Indian Classical Music at Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir Daga Chouk Bikaner 2025

 

 I were stayed one an half hour at his shree shashtriy sangeet kala Mandir , Daga Chouk Bikaner  or I were noted some classical music activity in mid of GURU & SHISHYA like a RIYAJ ( Practice ) . or I were wrote   to that live observation on Indian classical Music Institute  in a hindi Note . here that hindi note I am sharing for  your reading ..

 

Pandit Narayan Das Ranga Is Busy in classical  music class with His Students 
 

मित्रों कहते है ना ज्ञान पाने को गुरु की आवश्यकता अति आवश्यक होती है ! संत कवि कबीर ने तो कहा भी गुरु के लिए की
 
" गुरु गोविन्द दोनो खड़े काके लागूं पांव !,
बलिहारी गुरु आप ने जो गोविन्द दियो मिलाय !! "

 इस बात का जिवंत प्रमाण मैंने अनुभूत किया जब , आज अवसर बना श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर, डागा  चौक   बीकानेर  के दर्शन करने का ! इस संगीत साधना के मंदिर के दर्शन लाभ का अवसर बनाया स्वयं पंडित श्री नारायण  दास रंगा जी ने जो  इस मंदिर के स्थायी पुजारी भी  है और संगीत सेवक भी !
आप ने बताया की आप के  इस संगीत साधना मंदिर की स्थापना वर्ष 1964  में  आप के संगीत के पथम  गुरु और पिता  संगीत शास्त्री स्वर्गीय पंडित श्री मोती लाल रंगा जी ने की  और अब आप विगत 40 वर्षों से इसे संचालित  और सुचारु रखे हुए है संगीत साधना के लिए संगीत साधकों के लिए !
पंडित नारायण दास रंगा शास्त्रीय संगीत  डिप्लोमा किये हुए है और लग भाग सभी शास्त्रीय गायन  विधाओं में पारंगत है ! आप की मुख्य गायन शैली हवेली संगीत  है जिसे आप हवेली संगीत की सिमित सीमाओं से बहार लाने  और लोक में ले जाने में प्रयास रत  है !
आप नियमित रूप से एक स्वतंत्र संगीत शिक्षक के रूप में शास्त्रीय संगीत की शिक्षा बीकानेर में संगीत के विद्यार्थियों को  दे रहे है ! और इन 40 वर्षों में आप ने करीब 6000 संगीत के विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्रदान की है, उन्हें शास्त्रीय संगीत में पारंगत किया है  ! आप संगीत शिक्षण में  ग्वालियर  घराने के संगीत से तालुक रखते है और उसी का अकादमिक रूप में शिक्षण भी देते है अपने संगीत के विद्यार्थियों को ! आप के पास लखनऊ से संगीत के विद्यार्थी, घराने संगीत की  परीक्षा देने आते है !

आप ने  लगभग भारत के सभी प्रांतों और मुख्य शहरों में अपने संगीत के विद्यार्थियों के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत जिसमे , हवेली संगीत , घराना संगीत , ख्याल , ठुमरी , पद, आदि को बड़े मंचो से प्रस्तुति देते हुए प्रस्तुत किया है ! आप प्रतिवर्ष  जोधपुर के ओसियां धाम में अपने संगीत के विद्यार्थियों के साथ भजन संध्या का आयोजन करते है ये क्रम आप ने वर्ष 1992 से आरम्भ किया जो आज तक चल रहा है !

 बीकानेर में  आप को संगीत के लिए पद्मश्री अल्लाह जिलाई बाई (मांड गायक) के नाम से मांड  गायकी पुरस्कार से नवाजा गया है ! इसके अलावा भी आप को कई निजी सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आप की संगीत साधना के लिए  पुरस्कृत और सम्मान दिए जाते रहे  है ! पर आपके लिए संगीत साधना ही श्रेष्ठ पुरस्कार  है !
ऐसा आप मानते है और यही कला का सच भी है जिसे मई भी स्वीकारता हूँ  एक कला साधक के रूप में !

आप की संगीत साधना का सबसे बड़ा पुरस्कार जो मुझे प्रतीत हुआ वो ये की आप बीकानेर स्थित मुंधड़ा बगेची में बने राधा गोविन्द मंदिर में हवेली संगीत की प्रस्तुति नियमित रूप से और लम्बे समय से  दे रहे है सुबह और सांय को ! ये आप की शास्त्रीय संगीत के लिए प्रतिबद्धता और हवेली संगीत के प्रति समर्पण के भाव से ही   संभव हुआ है और इसी समर्पण के कारण आप को हाल ही में कोलकाता भी आमंत्रित किया गया हवेली संगीत की प्रस्तुति के लिए वो भी आप के संगीत के विद्यार्थियों के साथ ! और वहाँ आप ने हवेली संगीत की छटा बिखेरी अपनी सुमधुर वाणी से और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध भी किया ! तो मान सम्मान भी प्राप्त किया शास्त्रीय संगीत साधना के लिए बीकानेर के लिए !

जब मैं आज आप के श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर में आप के द्वारा दिए जाने वाले  शास्त्रीय संगीत के प्रशिक्षण की  शैली को देख रहा था उस समय मुझे मेरे आर्ट कॉलेज  राजस्थान स्कूल और आर्ट  जयपुर के वो दिन भी   याद आये जब मैं  सुबह के 8 बजे से सायं के 5 बजे तक मेरे  कला शिक्षा के कार्य में व्यस्त रहता जो की चित्र बनाना होता था और मेरे उस व्यस्त मन मस्तिष्क को शुकुन मुझे उसी बिल्डिंग के दूसरे भाग से मिलती ! जहाँ से दोपहर के 2  बजे से सायं 5 बजे तक मुझे शास्त्रीय  संगीत की आवाज के साथ शास्त्रीय वाद्य यंत्रों की मधुर आवाज मेरे कानो से होते हुए मन की शांति तक मुझे पहुंचती मेरे व्यस्ततम चित्रण कार्य के दौरान !

आज भी कब एक से डेढ़ घण्टा बीत गया संगीत साधकों के संगीत अभ्यास को सुनते सुनते ! सरगम से स्वर और स्वर से बोल तक संगीत के विद्यार्थी गुरु श्री नारायण दास रंगा जी के साथ ताल मिलते गए वो भी शास्त्रीय वाद्य यंत्र पेटीबाजे के साथ  मुझे बांध गए संगीत से और समय का ध्यान ही नहीं रहा खो गया मैं संगीत स्वरों में  ! ये सब संभव होता है भारतीय  कला दर्शन के समग्र तत्वों के समावेश से जिसे पंडित  श्री नारायण दास रंगा जी ने आत्मसात किया हुआ है अपनी संगीत साधना में साथ ही  संगीत शिक्षा में भी -  जिसे समत्यं शिवम् सुंदरम कहते है !

मैंने देखा 8 वर्ष के बचे को जो अपनी पूरी इच्छा शक्ति से शास्त्रीय संगीत को आत्मसात करने में लगा  था अपने स्वर अभ्यास से और उसके गुरु  श्री नारायण दास रंगा जी उसे वो बल दे रहे थे अपने मनोबल से अपनी गुरु कृपा रूपी आशीर्वाद से ! मैंने देखा नन्ही बालिकाएं किशोरियाँ संगीत के सभी स्वर अकादमिक स्वरुप में बार बार गायन के साथ सिख रही थी अपने आचरण में ला रही थी गायकी के  ! गायन और वाद्ययन दोनों एक साथ सीखना एक ही समय में मस्तिष्क को दो प्रकार की भिन्न भिन्न क्रियाओं को पूर्ण करना  वास्तव में तपस्वियों का कार्य  है जिसे वे संगीत के विद्यार्थी गुरु के सानिध्य में सिख रहे थे संगीत साधक के रूप में और सार्थक कर रहे थे उस श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर के मंदिर होने को ! और ये सब सहज रूप से होना  बिना गुरु के संभव नहीं !  सो बाराम  बार प्रणाम संगीत गुरु पंडित श्री नारायण दास रंगा जी को ! जो अपने घर से ही समाज में सांस्कृतिक पर्यावरण को प्रतिबद्ध होकर निर्मित कर रहे है संगीत के गुरु और शिक्षक के रूप में !
 सो साधुवाद संगीत सम्राट पंडित श्री  नारायण दास रंगा जी को और उनकी शास्त्रीय संगीत की साधना यात्रा को ! ईश्वर आप को संगीत के  गुरु स्वरुप  में व्यस्त और स्वस्थ रखे ताकि आप शास्त्रीय संगीत की ये अलख यूँ ही निरंतर जगाये रखे और भारतीय शास्त्रीय संगीत अपने वर्चस्व को बनाये रखे हवेली संगीत के माध्यम से बीकानेर की पहचान लिए हुए !

यहाँ कुछ छाया चित्र आज के श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर डागा चौक  बीकानेर  में आप के और आप के संगीत साधकों के साथ बिताये पलों के सभी पाठकों के अवलोकनार्थ !

On facebook Page Patrika Brain Power is Published to My Hindi Note as a Post

 For me it was a live or new experience to join to a Indian Classical Music  Institute in real traditional form of GURU SHISHYA PARAMPARA or this real classical music exercise is completing everyday from Pandit Narayan Das Ranga . Because he is fully committed for his Indian Classical GHARANA SNGEET or he is sharing and giving his knowledge of Indian Classical Music  with next generation of Music learner . 

Guru Pandit  Narayan Das Ranga and His Student is Busy in practice of Indian Classical Music at Shree Shashtriy Sangeet kala Mandir Daga Chouk Bikaner 2025


So here I write about him .. Pandit shree Narayan Das Ranga  is Guru of Indian Classical Music “ Gharana Sangeet “…

Yogendra  kumar purohit

\Master of Fine Art

Bikaner, INDIA