Thursday, October 2

Art Vibration - 760

Sanskritik Srajan Pakhwada 2025 of Culture Ministry of India / Rajasthani Bhasha Sahitya aevam Sanskriti Acadmy Bikaner & My present ...

Friends date 17 sep.2025 to till 2 oct.2025 our ministry of culture department was  celebrated to sanskritik srajan pakhwada ( 15 days dedicate to creation of culture ) .


Law Minister of India & M.P.of Bikaner Hon'ble Sir ArjunRam Megwal with Secretory of Rajasthani Bhasha Sahitya Aevam Sanskriti Academy Bikaner Sir Sharad Kewaliya and Academy editor writer Madhu Acharya Ashawadi were presented in sanskritik Srajan Pakhwada 2025 , Bikaner,Rajasthan ..


 

So In my city Bikaner the Acadmy of Rajasthan Govt. The Rajasthani Bhasha sahitya aevam sanskriti Acadmy Bikaner ( the branch of National sahitya academy New Delhi India )  was  organiseed to this sanskritik srajan pakhwada in Bikaner . In this 15 days Rajasthani bhasha sahity aevam sanskriti academy  was organized many activities on rajasthani lanugage, literature , poetry . folk song, painting , discuss on rajasthani literature books and discuss on  use or benifit of rajasthani language or its final touch was done by discuss on thoughts of MAHATMA GANDHI . 

Hon'ble Sir ArjunRam Megwal Is speaking on local Language of Rajasthani culture ..

Kind  your Information i was specially invited in this  sanskritik srajan pakhwada 2025  as a visual art master from Secretory  of rajasthani bhasha sahitya aevam sanskriti academy Bikaner / Rajasthan - Sir Sharad Kewaliya ji ! 

i noticed many literature persons  seniors or Junirs of Bikaner , many rajasthani culture designers like folk song writers / singers/ rajasthani folk music instrument performers were participated in this sanskritik srajan pakhwada and presented their best performances , i also visited book exhibition in campus of Rajasthani Bhasha sahitya aevam sanskriti acadmy campus there academy presented / exhibited all publication of Rajasthani bhasha sahitya aevam sanskriti academy .in that exhibition i visited three books of JAGTI JOT with title cover design of myself ( publication year -one book cover of 2001/ two book cover of year 2025 ) .


 I  also joined to seminars of Sanskritik srajan pakhwada 2025 , that was focused on rajasthani language or thats future . and on date 2 oct.2025 i joined a live discuss on thoughts of Mahatma Gandhi ji through the  Sanskritik srajan pakhwada 2025 at Rotery club campus of Bikaner  , There society Intach -branch of Bikaner and Rajasthani Bhasha Sahitya aevam sanskriti Academy  were organised that and i also put my thoughts on concept of Mahatma Gandhi , in my speach i said the Mahatma Gandhi was our father of Nation  and i am trying to get myself as a son of nation India .   

Former Editor of Rajasthani bhasha sahitya Aevam sanskriti academy Bikaner , Dr. Namami Shankar Acharya in book exhibition with his edited book of Jagti Jot a special edition on a late senior writer of Rajasthani Language Dr. Narsingh Rajpurohit, Balotra / Rajasthan ! 

 In this Sanskritik srajan pakhwara 2025 , our Bikaner west  City - M.L.A. Sir  Jethanand vyas was joined to it and our Law minister of India and M.P. of Bikaner Sir Arjunram Megwal was also joined as a chair person of this sanskritik srajan pakhwada from   Goverment of India & Rajasthan too. 

Two Title Covers of JAGTI JOT books i designed it for former editor  Dr. Namami Shankar achary year 2025

I registered to my presence in sanskritik srajan pakhwada 2025 as a short note in rajasthani language,  because rajasthani language is my Mother tong and hindi  is my nation  tong and english is our  universal communication tool . 

so here i am sharing that short notes of Rajasthani language - day first to till closing day of sanskritik srajan pakhwada 2025 ..

Day first ;- women writers -

साथीवाळा आज मने न्युतो हो कला  एवम संस्कृति विभाग मंत्रालय , राजस्थान सरकार  खानी सूं ! न्युतो हो सांस्कृतिक सृजन पखवाड़ा रे पेटे जीके री  पेलीपोत कड़ी ही आज रे पेले दिन री "राजस्थानी लेखिका संगोष्ठी " और गोष्ठी तेवड़ी ही राजस्थानी भाषा  साहित्य एवम संस्कृति  अकादमी बीकानेर और महिला लेखक संग बीकानेर भेळप में  , बीकानेर री महिला मण्डल स्कूल माया ! समय राखियो धोले दुपारे एक बजी ! पण  मायड़ भाषा री  हेताळू  महिला लेखिकावां और माहरे  जेड़ा कला संस्कृति सारू प्रतिबद्ध पुग ही ग्या बखत पर सही ठिकाणे महिला मण्डल स्कूल बीकानेर  ! इये संगोष्ठी में महिला लेखिका ,महिला चिकित्सक , महिला शिक्षिका सागे महिला समाज सेवक भी उपस्थित होया और आप री पूरी सहभागिता दिनी !  



संगोष्ठी राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी री  उपस्थिति में संचालित हुई ! तो सञ्चालन करणीया हां राजस्थानी महिला साहित्य रा लूंठा साहित्यकार श्रीमति मनीषा आर्य सोनी जी ! मुख्य वक्ता रे रूप माया बोलणिया हां लोक संस्कृति रा पोषक और समाजसेवी साहित्यकार श्रीमति डॉ. सुधा आचार्य जी !

 

राजस्थानी लेखिका संगोष्ठी री  शुरुवात माँ शारदे री तस्वीर पर पुष्पमाला चढ़ार करी जी ! इन मौके सरस्वती वंदना भी प्रस्तुत करि महिला मंडल स्कूल री शिक्षिकावां  अर महिला लेखिका समूह गान स्वरुप माया जिकी शानदार प्रस्तुति रैयी ! 


फेर संगोष्ठी रे विषय ने सामी राखियो संचालक श्रीमति मनीषा आर्य सोनी जी ! आप केयो की लेखन कारणों कोई नारी या पुरुष रो विषय कोणी लोक संस्कृति री  पिछाण करावण रो सांतरो काम है ! साहित्य लोक ने समृद्ध और प्रचारित करे इमे   महिलावां री  महताऊ भूमिका हमेश रैयी है और आगे भी रेसी ! आप संगोष्ठी में राजस्थानी महिला लेखन री  दशा और दिशा पर भी आप री  बात राखी ! इन बखत आप केयो की महिला खातिर लेखन सारू घणी अबखायां है , घर ग्रहस्ती , संस्कृति , नौकरी रे माय सु बखत ने बचावणो लेखन पेटे  कोई सोरो काम कोणी ! पण आप हूंस भरता थका केयो की सब अबखायां रे बाद भी आज री  राजस्थानी भाषा री  लेखिका आप री भूमिका समाज और संस्कृति सारू बखूबी निभा री है जिके  रो मने हरख है ! आप कई वरिष्ठ महिला लेखिकावां  रा नाम भी मंच सु लेवता थका बियाने आदर्श रूपक मानियो  राजस्थानी महिला लेखन सारू ! 


आप रे बाद राजस्थानी भाषा एवम संस्कृति अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी आप री बात राखी ! आप सांस्कृतिक  सृजन पखवाड़ा री  पेली कड़ी राजस्थानी लेखिका संगोष्ठी  ने  इये  सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े री  शुरुवात बतायी और बधाई दिनी सब महिला लेखिकावा ने इये  संगोष्ठी में भाग लेवण सारू ! 

आप आभार दिनों महिला मंडल स्कूल ने भी जीका आप रे पूर्ण सहयोग सु इये संगोष्ठी ने सफल करदी !  


संगोष्ठी में बीकानेर री कई वरिष्ठ और युवा लेखिकावां शिरकत करि सागे सागे महिला मंडल स्कूल री  समस्त शिक्षिकावां भी आप आप री  बात राजस्थानी भाषा और बिरे लेखन पेटे राखी ! 


युवा राजस्थानी लेखिका हर्षिता जोशी आप री  बात राखता  थका केयो की समय साथे बदलियोडे  संस्कृति रे रूप ने पाछो  लोक संस्कृति सु जोडणं री  खेचळ महिला लेखिकावां ने करनी पड़सी ! आ बात इये  महिला लेखिका संगोष्ठी री  उपलब्धि मानी जा सके क्यों की एक युवा लेखिका संस्कृति री  चिंता जाहिर कर रही थी वरिष्ठ लेखिकावा रे सामे ! ( लेखिका हर्षिता जोशी पुत्री है माहरे बी के  स्कूल  रे सहपाठी अबे समाज सेवी मास्टर  आनंद जोशी री ) 


राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी के कर्मचारी गण भी आप री  बात अकादमिक परिदृश्य माय राखी   ! तो कई  और वरिष्ठ और यवा राजस्थानी लेखिकावां  भी आप रा विचार संगोष्ठी में राखिया !  माहरे वास्ते  भी संचालक जी श्रीमति मनीषा आर्य सोनी जी दो शब्द केवण रो अवसर बणायो तो हूँ केयो की हूँ तो अकादमी रे न्यूते  पेटे सुणनं ने ही आयो हूँ आप सब गुणी जन ने,  पण फेर बियारो मान राखते थके चार शब्द ही केया " १ महिला २ लेखन ३ सशक्त ४ हो ! 


 फेर मुख्य वक्ता रे रूप में डॉ. सुधा आचार्य जी राजस्थानी लोक संस्कृति मर्मज्ञ मंच सूं बोल्या ! आप महिला लेखन रे  सागे सागे संस्कृति धरोहर ने संजोने री  सिख भी  महिलाओं ने लेवण  री बात मंच सूं केयी ! आप केयो आधुनिकता  रे सागे संस्कारा ने संजोना पड़सी संस्कृति और लोक ने जीवित राखण  सारू ! आप राजस्थानी भाषा एक है इये  बात ने भी कई निजी यात्रा वृतांत रे उदाहरण सूं प्रमाणित करता थका  राखी राजस्थानी भाषा रे पेटे ! 

आप केयो लोक बचसी तो संस्कृति हाफ़ेई बच जासी जे लोक नहीं तो पाछे लारे कई नई रेसी  ! 


संगोष्ठी रे लारले छेड़े माथे श्रीमती मनीषा आर्य सोनी जी आप रो एक समकालीन लोक गीत राजस्थानी भाषा ने मान्यता रे पेटे  आप री  निजु पीड़ जिकी आखे राजस्थान री  पीड़ है बिने  साफ़ चेतावनी  देवन रे भाव में स्वर बद्ध करता थका गायो और गीत समर्पित करियो डॉ. सुधा आचार्य जी ने मंच सु ! 


अठे  कई चितराम महारे केमेरा सु लियोडा आप री  निजर जीका है महिला लेखिका संगोष्ठी रा सांस्कृतिक सृजन पखवाड़ा री  पेली कड़ी रा ! 


2. Rajasthani Folk song writers / folk song performance with musical instruments ...

साथीवाळा राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रे सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े री  आज दूजी कड़ी राजस्थानी लोक गीत अर देश भक्ति गीत री प्रस्तुति  अकादमी रे सभागार माया ही राखीजी ! अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी रे संयोजन माया ! इये राजस्थानी लोकगीत अर देशभक्ति गीत री  प्रस्तुति रा अध्यक्ष रेया प्रोफ़ेसर भवर भादाणी जी (पूर्व  प्राचार्य  अलीगढ मुस्लिम विश्व विद्यालय ) तो मुख्य अतिथि रेया अकादमी रा पूर्व सचिव और इंटेक बीकानेर शाखा रा निदेशक श्री पृथ्वीराज रतनु जी , विशिष्ठ अतिथि रेया राजस्थानी रा वरिष्ठ  साहित्यकार श्री कमल रंगा जी ! राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी खानी सु सब रो स्वागत करियो अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी !  


राजस्थानी लोकगीत अर देश भक्ति गीत री  प्रस्तुति रा संचालन करणिया हां  राजस्थानी  लोग गीतकार श्रीमति मनीषा आर्य सोनी जी ! आप लोक गीत और देशभक्ति गीत री  प्रस्तुति सु पेला मंच ने डेस्क पर न्युतियो आप री  बात राखण  सारू ! तो मुख्य वक्ता रे रूप माया बोलता थका श्री पृथ्वीराज रतनु जी राजस्थानी लोक गीत   ने राजस्थानी संस्कृति री पुख्ता पिछाण केयो ! आप हरख करता केयो की मांड गायकी रा पदमश्री अल्लाह जिलाई बाई बीकानेर रा हां और राजस्थान सरकार बियारे रचोड़े लोकगीत पधारो म्हारे देश ने राजस्थान पर्यटन विभाग रो टाइटल अर टैग बनायो आ ताकत है राजस्थानी लोक गीत री  जीके ने आखो विश्व  आज माने ! आप केयो जद  ताई लोक गीत जीता रेसी तद ताई राजस्थान री लोक  संस्कृति ने कोई आंच कोणी आवे ! 


अध्यक्ष प्रोफ़ेसर भवर भादाणी जी आप री बात केवता थका केयो की  लोक संस्कृति री पेली कृति ही लोक गीत है ! इये लोक गीता में राजस्थान रो से कुछ है इतिहास, गाथा , जोहर, आगम सु आगोतर तक रो ज्ञान और भी से कुछ लोक जीवन ने जीवन समझण पेटे री  सिख सार ! लोक साहित्य ही है राजस्थानी लोक गीत ! 


अध्यक्ष उद्बोधन पछे  बीकानेर रा पांच लोक गायक आप आप री लोक गीत अर देश भक्ति रे गीत री  प्रस्तुति दिनी ! सगळी लोकगीत प्रस्तुति संगीत रे सागे प्रस्तुत करीजी जीके सु लोकगीत प्रस्तुति रो कार्यक्रम सुणनिया  ने बंधियोडो रखियो और ओ सुण निया ने संगीत सु बांधन रो काम करियो हो संगीत रा मास्टर चंद्रेश जी ! आप राजस्थानी लोकगीत री  गूंज अमेरिका तक गुंजार आयोडा है  ! और आज आप आप रे लोक  संगीत सु अकादमी रे सभागार ने भी गुंजा दियो ! 


पेलो लोकगीत प्रस्तुत करियो राष्टीय पटल पर आप री  लोकगीत  री छाप और पीछाण बना वाणिया  वरिष्ठ लोक गायक डॉ. पदमा व्यास जी ( माहरी भुआ / थे के सको लाडे री  भुआ  हा हां  ) आप एकदम अकादमिक रूप में जिया रेडियो और दूरदर्शन में लोक गीत री प्रस्तुति दी जावे बियाही आप री प्रस्तुति देर  श्रोताओं ने राजस्थानी लोक गीत रे तान लोक संस्कृति सु सिद्धो वैचारिक रूप सु जोड़ियों ! 


दूजी प्रस्तुति रैयी लोक गीत मर्मज्ञ डॉ. सुधा आचार्य जी  री , आपक सामाजिक लोक रीत रो गीत आप री  मीठी राजस्थानी में गायो जोको श्रोताओं ने खूब रास आयो ! 

 

तीजी प्रस्तुति रैयी  श्रीमति मनीषा आर्य सोनी जी री , आप पणिहारिन लोक गीत संगीत पर गायो और सागे सागे गीत रे बोल ने भी अरथायो ! अबे गीत या लोक गीत ने सुनर जिकी अनुभूति होव बिने  सबद में केवणो बीए संगीत प्रस्तुति सागे न्याव कोणी होव इन खातिर क्षमा ! 


चौथी प्रस्तुति रैयी लोक गायक /लेखक श्री सुशिल छंगाणी जी री आप दो  लोक गीत गया जीके में एक लोक गीत आप आप रे पिताजी राजस्थानी रा साहित्यकार स्वर्गीय श्री शिवराज छंगाणी जी ( पूर्व अध्यक्ष राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादेमी ) रो  लिखोड़ो गायो  और बिचाळै भावुक हो ग्या !  उन बखत श्री शिवराज छंगाणी जी रो पोतो  दर्शक दीर्घा माय सु उभो होयर आप रे दादा जी री लोकगीत री  कृति ने गायर पूरी करि सदन पुरो भावुक होग्यो उन बखत और मैं देखि लोक संस्कृति री  जीती जागती  तस्वीर तीन पीढ़ी रे तान लोक संस्कृति रे पेटे सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े रे तान राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादेमी रे परिसर  माय !  


अंतिम प्रस्तुति रैयी देश भक्ति गीत री  जिकी प्रस्तुत करि श्री महेंद्र पुरोहित जी !


लोकगीत अर देश भक्ति गीत री  प्रस्तुति रे बाद अकादमी सम्मान करियो  मंचासीन अतिथि गण रो और लोक गायन और संगीत री  प्रस्तुति देवण  वाला रो ! इण  मौके  संचालक श्रीमति  मनीषा आर्य सोनी जी  सम्मान करण  पेटे मने  बुलायो और माहरे हाथ सु प्रतिक चिन्ह संगीतकार श्री चंद्रेश जी ने दरवायो ( जीका री  फोटो हूँ ले कोणी पायो  फेरु क्षमा। . )  


आभार या आज रे लोकगीत अर देश भक्ति गीत री  प्रस्तुति रे समाहार पेटे राजस्थानी रा वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमल रंगा जी ने डेस्क पर संचालक जी न्युतियो और आप सगळा रो आभार करता थका केयो की राज रो काज और हुकुम  रे हलकारे री सांतरी पैरवी लोक संस्कृति पेटे इन तरह सु सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े रे रूप माया होवणी  ही चईजे ! 


अठे कई चित्रराम  मने टाल करते थके आप री  निजर लोक गीत अर देश भक्ति गीत री प्रस्तुति रा अकादमी रे सभागार सु माहरे केमेरा सु !

3. Discuss on book of poets of Rajasthan  & exhibition of all Books of Rajasthani Bhasha sahitya Sanskriti Academy Bikaner . 

साथीवाळा आज मने राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी खानी  सु न्यूतो हो सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े पेटे  चालरिया सांस्कृतिक अर साहित्य आयोजन रे माय हाजरी देवन सारू  ! बखत राखियोडो हो 12 बजी तो आदतन बखत पर हूँ पुग्यो राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी माया ! बैठे ऊपर ले माळे में वाचनालय / पुस्तकालय माया अकादमी खानी  सू छापोड़ि  पोथ्यां री  परदरसनी  लागयोड़ी ही ! जिकी ने मैं  डॉ. नमामि शंकर आचार्य ( पूर्व संपादक राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर ) रे सागे देखि ! पोथी प्रदर्शनी में वर्ष 2001 अर 2025 माया माहरे बणयोडे पुठे रा चितराम  वाली जागती जोत  री पोथ्यां भी देखि तो  साहित्यकार मनीषा कुमार जोशी री पोथी  खेलरा रो खेल भी साथै ही डॉ. नमामि शंकर आचार्य री पोथी उत्तर पातर भी देखि और राजस्थानी में अनुवादित संविधान री  पोथी भी ! इण पुस्तक परदरसनी माया अकादमी आपरो लगभग सगळो प्रकाशन ( एक एक प्रति पोथी री  )  

सझायोड़ी  ही  जीके ने मैं माहरे कैमरे सु अलग अलग ऐंगल सु कैद करियो हो  , बे  इये  पोस्ट सागे आप रे निजर है !


परदरसनी रे बाद पोथी चर्चा राखी जी जिकी ही " राजस्थान रा कवि " पोथी माथे ! पोथी चर्चा रा अध्यक्ष हा बीकानेर पश्चिम रा विधायक श्री जेठानन्द व्यास जी तो मुख्य वक्ता हा वरिष्ठ साहित्यकार अर संपादक राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर श्री मधु आचार्य आशावादी जी ! आप रे सागे  मंच साझा करियो अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी तो मंच रो संचालन करियो साहित्यकार चित्रकार श्री नगेन्द्र किराडू जी ! 


पोथी चर्चा पर परचा बाचनीया हां  डॉ. गौरीशंकर प्रजापत जी और श्रीमती सीमा पारीक जी ! स्वागत करणीय हां अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी ! 


पेलड़ो परचो पढ़ियो डॉ. गौरीशंकर प्रजापत अर  आप आ जानकारी दिनी पोथी पेटे  की राजस्थान रा कवि पोथी आज राजस्थानी  शिक्षा में पढाईजे है ! पोथी रे मूल स्वरुप में राजस्थान रा कोई 60 कवि संकलित हां पण  पाठ्यक्रम ने संकड़ो करता थका पोथी में अबे खाली 11 कवि ही राखिया है ! डॉ. गौरी शंकर प्रजापत अकादमिक तरीके सु आपरे पर्चे ने बाचियो और एक एक कवि रे काव्य ने व्याख्या करता थका बियारे काव्य री महताऊ बाता  ने बताया ! सही अर्थों में सांतरो पर्चो हो आप रो पोथी राजस्थान रा कवि रे पेटे ! 


दूजो पर्चो बाचियो साहित्यकार श्रीमती सीमा पारीक जी , आप भी आप रे पर्चे माया संस्कृति और मायड़ भाषा रे मिठास रे काव्य रचन वाला कवियां री  खूबियां सागे पर्चो पढियो ! पण  दोनों परचा एक ही पोथी माथे हां इण  सारू दोहराव होवणो  स्वाभाविक भी हो !




मुख्य वक्ता रे रूप माया साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी जी  राजस्थान रा कवि पोथी री  तर्ज पर अकादमी सामे सुझाव रखियो की वर्तमान रा कवि जीका है बियारी भी एक पोथी जल्द ही अकादमी खानी  सु प्रकाशित होवनि चईजे ताकि विद्यार्थी वर्तमान रे राजस्थानी काव्य ने भी पढ़े जियां ! आप नगर विधायक जी ने आग्रह करियो की  राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रो स्वरुप एडो होवणो चईजे की बो अकादमी री  परिभाषा में एक मिशाल बण  जावे आखे राजस्थान और भारत में  और अठे  जे कोई बारलो साहित्यकार आर पाछो आपरे प्रदेश या देश जावे तो सब ने अठेरी अकादमी रा गुण गान सुनावे एडो की होवणो चाइजै आप रे कार्यकाल में राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रो स्वरूप !  


अध्यक्षीय उद्बोधन देवता थका नगर विधायक पश्चिम बीकानेर केयो की राजस्थानी भाषा नुवी  शिक्षा पद्धति में लागु होगी है ! अबे समय है की आपा मिलपरार जन चेतना लावा आर्ट्स लेवण वाले ने एक विषय राजस्थानी जरूर लेवण री समझाइश करा ! आप आ जानकारी भी दी की राजस्थानी भाषा सागे इये  सत्र में सब विधायक विधान सभा सु हस्ताक्षर करपरार केंद्रीय सरक़ार  ने ज्ञापन भी भेज दियो है ! आप एक बात ख़ास तौर सूं  केयी की सरकार आप रो काम कर रही पण  राजस्थानी भाषा खातिर आपा ने भी मेहनत करणी  पड़सी ! 


बिण  बखत मने भी विचार आयो की जे   राजस्थान री सगळी  कॉलेज स्कूल सु जे राजस्थानी विषय पेटे सालान वजीफों दियो जावे सरकार खानी सुन तो पछे राजस्थानी विषय लेवण वाला टाबरां री  कोई कमी कोणी रेसी , अबार राजस्थानी विषय महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर  में सेल्फ फाइनेंस रे ताण  टाबर पढ़ रिया है बति फीस देपारार !  जिकी शर्म करण वाली बात है राजस्थानी भाषा री पढाई  सारू  राजस्थान माया ही बति फीस जिकी अठे   फ्री या फेर वजीफों देर होवणी चाइजै राजस्थानी ने बचावण सारू !


पोथी चर्चा रे लारले छेड़े माथे अकादमी खानी सु सम्मान स्वरुप प्रतिक चिन्ह भेंट करिया अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी , जिके में अध्यक्ष श्री जेठानन्द व्यास जी ने , साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी जी ने , दोनों परचा पढनिया  डॉ. गौरीशंकर प्रजापत अर श्रीमती सीमा पारीक जी  ने और संचालक श्री नगेन्द्र किराडू जी ने दिनों ! 

Former editor of Rajasthani bhasha sahitya aevam sanskriti academy  Bikaner  Dr. Namami Shankar Acharya with magazine JAGTI JOT edition year 2001, on this book my title cover was published by editorial team of  former Editor Sir Prithaviraj Ratnoo !

अठे   कई चितराम पोथी चर्चा राजस्थान रा कवि रा आप सब री  निजर राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति  अकादमी बीकानेर रे सभागार सु !

4. Discuss on subject In Education or busianess how to helpful local language ( Rajasthani ) 

साथीवाळा आजु  महाराजा नरेंद्र सिंह सभागार माया तेवडियोड़ी परिचर्चा में भाग लेवण रो मौको बणायो राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी और सपादक श्री मधु आचार्य आशावादी जी ! परिचर्चा सिंज्या 4 बजी तेवड़ी ही जीकेरो विषय रखियो हो " मायड़भाषा राजस्थानी : शेक्षणिक अर आर्थिक विकास " राजस्थानी में इने  इया या  किया लिख सका  "  मायड़ बोली राजस्थानी पोशाळ अर रकम रो बधापो " !  परिचर्चा ( हथाई / बंतळ )  संचालित करि साहित्यकार गीतकार श्री संजय पुरोहित जी तो मंच पर अध्यक्षता करि भारत देश रा कानून मंत्री अर बीकानेर रा लाडला सांसद श्री अर्जुन राम मेगवाल जी ! आप रे सागे मंच साझा करियो मुख्य वक्ता रे रूप में श्री मधु आचार्य आशावादी जी अर राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रा सचिव श्री शरद केवलिया जी ! 



स्वागत करियो मंच सु  सचिव श्री शरद केवलिया जी !  तो मुख्य वक्ता रे रूप में आप री  बात राखी परिचर्चा रे विषय माथे साहित्यकार / संपादक श्री मधु आचार्य आशावादी जी ! आप केयो की अबे राजस्थानी ने मान्यता मिलन में कोई घणो बखत  कोणी लागे ला क्यों कि आपा रा सांसद और केंद्रीय कानून मंत्री श्री अर्जुन राम जी   संविधानिक रूप सु काम कर रिया है और बीरो परिणाम जल्द ही अगले दो तीन महीना में आपा ने बेरो हो जासी ! 


अध्यक्षीय उद्बोधन देवता थका सांसद श्री अर्जुनराम मेगवाल जी केयो की , कई अबखायां है हाल ताई राजस्थानी रे सामे पण बीरा संवैधानिक निवारण भी है काम चालरियो है ! जल्द ही आप सब ने की राजस्थानी भाषा पेटे खुश होवण री बात सुणने मिलसी ! आप क्षेत्रीय भाषा रे पेटे एक तर्क ओ  भी सामे राखियो  की जिको व्यक्ति / बच्चो आपरी क्षेत्रीय भाषा में पढाई करे बिरि तर्क शक्ति 30 % प्रतिशत बति होव दूजी भाषा में पढाई रे बजाय !आप थोड़े में संकेत करता थका से की केदियो इसारा समझण वाळा  बुद्धिजीवियों ने ! 


राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी खानी  सु सांसद महोदय जी रो प्रतिक चिन्ह भेंट करता थका सम्मान करियो गयो सागे सागे मुख्य वक्ता और संचालक जी रो भी सम्मान अकादमी खानी  सु प्रतिक चिन्ह भेंट करता थका सचिव महोदय करियो ! श्री शरद केवलिया जी ( सचिव साहित्य भाषा एवम संस्कृति अकादमी )इन मौके आप री  दो पोथ्यां सांसद श्री अर्जुनराम मेगवाल जी ने मंच सु  भेंट करि ! 


परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकार राजस्थानी भाषा रा हेताळू श्री पृथ्वीराज रतनु जी ,वरिष्ठ  साहित्यकार राजेंद्र जोशी जी , अर वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमल रंगा जी भी आप आप री बात मायड़ भाषा और बिरे  ताण  होवण वाळी पढाई और कमाई विषय पर बोल्या ! 


साहित्यकार श्री पृथ्वी राज रतनु जी केयो की हिंदी सु पुराणी भाषा राजस्थानी है जिकी कोई 1000 साल सु भी पुराणी है और बीरा प्रमाण राजस्थानी ग्रन्था रे रूप माया  संभियोडा पड़िया है ! आप सांसद मोहदय री  भी राजस्थानी संस्कृति ने धारण करण री  बियारी रूचि री आ केव ता थका  बड़ाई करि की आपा रा सांसद दिल्ली री  सब सु बडी पंचायत में भी राजस्थानी वेश भूषा सागे -माथे पर पाग पैर परार बैठे और आखो  देश आप ने देखे जणे आपरी राजस्थानी वेश भूषा भी देश ने निजर आवे आप रे ताण ! इन सारू आप ने लख दाद एडा वचन आप मंच सु साझा करिया ! 


साहित्यकार श्री राजेंद्र जोशी जी  पढाई में राजस्थानी और राजस्थानी में पढाई माथे आप री बात राखी !  क्षेत्रीय भाषा में सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरेरी स्कूल पोशाल ने सरकार बांधे राजस्थानी में पढवान सारू ! जिकी जरुरी है बच्चा रे सांगो पांग मानसिक विकास सारू ! आ बात जोर देवता थका केयो ! 


साहित्यकार श्री कमल रंगा जी भी नवी शिक्षा निति रे सागे ही राजस्थानी हर एक पोशाल में जरुरी करणी चईजे ताकि बच्चा आप रे स्वभाव  भाषा रे सायरे / छांव में सांगोपांग व्यक्तित्व और बुद्धि रो विकास कर सके ! आप भाषा पेट राजस्थानी बाजार और बिरे विज्ञापन पर भी बात राखी , आप केयो की राजस्थानी व्यापारी भी आप रे उत्पाद ने बाजार में चलावन सारू बेचन सारू मायड़ भाषा खानी  झुकाव  कर रियो है ! जीकेरा कई उदहारण आप दिया मोबाइल / सोशल मीडिया / रील , अख़बार रा विज्ञापन , टीवी रा विज्ञापन  आदि ! 

आभार परिचर्चा में हाजरी लगवाण  वाळा रो दियो साहित्यकार / चित्रकार श्री नगेंद्र किराडू जी !


अठे कई चित्रराम  माहरे केमेरा सु आप री  निजर महाराजा नरेंद्र सिंह सभागार मायली राजस्थानी  भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी री  परिचर्चा " मायड़भाषा राजस्थानी : शैक्षणिक अर आर्थिक विकास "  रा ! 

5 . Thoughts of Mahatma Gandhi and thats importance in presence ..

साथीवाळा तिथी 17 सितम्बर 2025  सु लेर तिथी 2 अक्टूबर 2025 तक राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी  बीकानेर तेवडियो सांस्कृतिक सृजन पखवाड़ों और इण  पखवाड़े माया अकादमी लगोलग राजस्थानी भाषा साहित्य अर संस्कृति पेटे नीरा सारा जलसा तेवड़िया जीके में महिला साहित्य लेखन सु सुरु करियो अर आज समापन बेळा पर तेवड़ी एक संगोष्ठी महात्मा गाँधी रे विचार पर मंथन पेटे ! संगोष्ठी रो विषय राखियो " विश्व - परिदरसाव मांय गांधी जी रै विचारां री प्रासंगिकता " 

 

Secretory sir Sharad kewaliya is giving welcome speech . Former Editor Sir Prithaviraj Ratnoon , Rajasthani language  Dr. Sudha Acharya  and Book Publisher  Shree Manmohan Klyani Bikaner on stage of Sanskritik srajan pakhwada 2025 at Rotary Club Bikaner .


संगोष्ठी बीकानेर री  रोटरी क्लब परिसर रे इंटेक रे सभागार माया तेवड़ी जी राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रे भेळप में ! जीकेरी अध्यक्षता करि लोक साहित्य रा डॉ. सुधा आचार्य जी  अर मुख्य अतिथि हा श्री मनमोहन कल्याणी जी ( प्रबंधक कल्याणी प्रिंटिंग प्रेस बीकानेर ) संगोष्ठी में मंच साझा करियो राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रा  सचिव  श्री शरद केवलिया जी तो संगोष्ठी ने संचालित करि साहित्यकार अर पूर्व सचिव राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी  बीकानेर और अबार इंटेक बीकानेर शाखा रा निदेशक  श्री पृथ्वीराज रतनु जी ! 

सब रे स्वागत रे सागे आज री संगोष्ठी रे  विषय ने   राखियो अकादमी रा सचिव  श्री  शरद केवलिया जी ! 

फेर संचालक श्री पृथ्वीराज रतनु जी संगोष्ठी रे विषय पर बात  अर विचार साझा करण सारू हाजिर होयोड़ा प्रभुद्ध जन ने बारी बारी मंच सु न्युतियो , तो पेली आप री  बात राखणिया हां डॉ. एम एल जांगिड़ साब , आप गांधी जी रे जीवन ने ही सिख केवता थका आप री  बात राखी ! आप गांधी जी री  जीवणी अर अहिंसात्मक आंदोलन पर बोल्या ! 

फेर वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोविन्द जोशी जी आपरी बात केवता थका बोल्या की गांधी ने देखलो या पछे बीकानेर रा श्री मुरलीधर जी व्यास ने देख लो एक ही बात  है  ,  क्यों कि श्री मुरलीधर जी व्यास महात्मा गांधी जी रा पूरा अनुयायी हा या ईया केदो की गांधी जी रे विचार रो पुरो प्रभाव श्री मुरलीधर जी व्यास पर हो ! आप संगोष्ठी में श्री मुरलीधर जी व्यास री  प्रतिमा सागे हालही में बीकानेर रेलवे स्टेशन पर छेड़ा छाड़ होवण री बात सु जिकी निजु  पीड़ हुई बीने  भी साझा करि ! 


डॉ. फारूक मोहम्मद  साहब भी गांधी जी रे जीवणी रे सागे सत्य रे अनुसरण करण री  विशेषता सु आप री  बात ने राखी ! आप बताया की गांधी जी ईता  सत्यवादी हां की बिया आप री  आत्मकथा में  बो सब भी लिखियो जीकेने हरेक व्यक्ति लिखतो संकोच करे ! 

साहित्यकार श्री जुगल पुरोहित जी भी   री बात रखता थका केयो की आज रे समय में भी गांधी जी रा विचार प्रासंगिक है ! मार्ग दिखावण वाला है ! देश ने जोड़न वाला  है ! 

डॉ. रितेश व्यास  आप री  बात राखता थका केयो की गांधी जी अंग्रेजा री जरुरत हा, गांधी जी रो अहिंसात्मक आंदोलन अंग्रेजा री  ढाल हो ! अंग्रजो ने बेरो  हो की जे गांधी नहीं रेया तो अंग्रेजों ने अगले दिन ही भारत सु पाछो लंदन जाणो पड़सी ! आप ओ  भी बताया की किया गांधी जी आपरे तन रा कपडा कम कर दिया देश री नारी रे वस्त्रा रे अभाव री व्यथा ने कस्तूरबा गांधी जी री  जुबानी सुण परार ! 

फेर इंटेक रा पदाधिकारी श्री अभय सिंह जी का पछे श्री अमर सिंह जी ( नाम में उलझज्ञो हूँ )  ! आप री बात राखी गांधी जी ने याद करता थका बियार विचारा ने आज रे बखत सु जोड़ता हुआ ! 

आपरे पछे  डॉ. नमामि शंकर आचार्य ( पूर्व संपादक राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी बीकानेर ) आपरी  बात राखी डॉ. नमामि केयो की गांधी जी अहिंसा  रा पुजारी हां पण अबे बखत लाता रा भूत बाता सु कोणी माने  वालो हुग्यो है , डॉ. नमामि शकर आ बात  पाकिस्तान ने आड़े हाथो लेवते थके  कैयी ! 

प्रोफ़ेसर श्री भुवनेश स्वामी भी  गांधी जी रे विचारा री  विदेशों में किती प्रासंगिकता है इये पर बोलता थका कई विदेशी लेखका रे लिखोड़े इतिहास रा उदहारण भी राख्या ! 

साहित्यकार कवि बाबूलाल छंगाणी जी भी गाँधी जी रे विचार ने सर्वोपरि और समाज हित  रो बतावता थका आप री  बात राखी ! आप हास्य रा कवि हो तो आपरी बात में व्यंग अर हास्य  री पूट भी आप दिनी ! 

Myself is speaking on thought of MAHATMA GANDHI in discuss of " thoughts of Mahatma Gandhi and thats impression on present .from stage of Sanskritik srajan pakhwada 2025 at Rotary club Bikaner .


सगोष्ठी में संचालक जी श्री पृथ्वीराज रतनू जी मने भी बोलण सारू डेस्क पर बुलायो ! मैं पेला तो आभार दियो राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रो जिकी इये  सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े ने जोरदार तरीके सु सफल कीनोअर  बीकानेर में  लोक सांस्कृतिक माहौल बणा  दियो ! फेर आभार दियो इंटेक री टीम ने जीका मने चित्रकार ने  बोलन सारू मंच दियो ! शायद हूँ आज इये  सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े रो  वक्ता मोयलो / श्रोता मोयलो अंतिम वक्ता ही हो अर ओ  माहरो सौभाग्य भी हो की मने भी मन रा भाव केवण सारू जागा दिनी ! हूँ केयो की गांधी जी ने मैं एक दर्शन शास्त्री रे रूप में चित्रकला री  पढाई  में पढियो " सत्यम शिवम् सुंदरम रे तर्क रे सागे ,"  चित्रकला में भारतीय  सौन्दर्य शास्त्र " री पढाई री  पोथी रे ताण  ! और ओ जाणियो की गांधी जी भारतीय कला सौन्दर्य री  किती गहरी समझ राखता था ! माहरी बात मैं पूरी  करि आ केपरोर की गांधी जी राष्ट्र पिता हा और हूँ राष्ट्र पुत्र  बणन री कोशिश में हूँ ! 

Myself is speaking on thought of MAHATMA GANDHI in discuss of " thoughts of Mahatma Gandhi and thats impression on present .from stage of Sanskritik srajan pakhwada 2025 at Rotary club Bikaner .


फेर संचालक जी संगोष्ठी रा मुख्य वक्ता श्री मनमोहन कल्याणी जी ने डेस्क भोळायी इंटेक री अतिरित्क अधीक्षक री  जिमेवारी रो पद भोलावता थका ! श्री मनमोहन कल्याणी जी भी गांधी जी रे विचारा री  प्रासंगिकता पर बोलता थका केयो की अबे सरकार भी गांधी जी रे विचार ने मिशन जिया परोट रही है जीके में महिला शिक्षा/  सशक्तिकरण  , स्वच्छता / कृषि प्रधान देश / स्वदेशी और स्वरोजगार जेड़ा विचार आज सरकारी योजना बणग्या है आइज प्रासंगिकता है गांधी जी रे विचारा री  ! 

अध्यक्षीय उद्बोधन देवता थका डॉ. सुधा आचार्य जी भी श्री मुरलीधर जी रे विचारा री  बात सुं गांधी जी ने  याद करता थका आप री  बात राखी ! पछे आभार दियो अकादमी रा पदाधिकारी जी और आभार रे बाद गरिमामय मंच ने प्रतीकचिन्ह भेंट करिया राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी रा सचिव अर संगोष्ठी में  पधारोडा प्रबुद्ध जन ! 



अठे  कई चितराम महारे केमरा सु लियोडा  आप री निजर सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े री 2025 , प्रथम कड़ी री  अंतिम प्रस्तुति रा रोटरी क्लब बीकानेर रे सभागार सु !



i hope you will visualize to sanskritik srajan pakhwada 2025 of culture ministry of India / Rajasthani bhasha sahitya aevam sanskriti academy Bikaner/ Rajasthan  from my text visuals in  Rajasthani Language . 

Yogendra Kumar Purohit

Master of fine Art

BIkaner, INDIA

Thursday, September 25

Art Vibration - 759


Natural Sculpture of Greenery -2025 In Its Final Stages...

Friends, the concept/idea/concept behind my 2025 installation/installation art presentation, Sculpture of Greenery, has begun to reach its tentative state after two months and will naturally take its final form in the next ten to fifteen days.


Due to abundant rainfall in these two months, the Natural Sculpture of Greenery has created abundant greenery and oxygen for nature through natural action. This should be considered a natural achievement of my art work by global environmentalists. Point to be noted, please!

Secondly, it has also provided food in the form of raw, green leaves for countless birds. It has also improved the fertility of the soil through the natural process of agriculture.

Yesterday, I saw that my Natural Sculpture of Greenery has, with the help of nature, brought itself back to the state of producing seeds. This proves the usefulness of my Natural Sculpture of Greenery, in nature, for nature!

I selected millet and cowpea seeds for my installation art work, titled "Sculpture of Greenery." Now, the Bajra sparrow will provide food for other birds, as well as insects! The pods formed from the cowpea plants will be used to make cowpea, a native Rajasthani vegetable, and the ripened pods will also provide cowpea seeds!

Here, I'm sharing some photographs of my art work installation - Natural Sculpture of Greenery - reaching its final stage. These were taken today, September 25, 2025, exactly two months later, on July 25, 2025. You can experience the results yourself through the photographs of my art work installation - Natural Sculpture of Greenery!

This art work of mine, the Natural Sculpture of Greenery, is a journey from nature to nature for nature! Purifying and nourishing the environment, in a natural way, without the use of pesticides or other pesticides! Simply put, it's a battle for purity, combining artistic logic and natural techniques with agricultural work!


Installation Artist

Yogendra Kumar Purohit

Master of Fine Arts

Bikaner, India

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In Hindi 


मित्रों स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी के मेरे वर्ष 2025 के प्रतिसंस्थापन/ इंस्टालेशन   कला प्रस्तुति के तर्क / विचार / कन्सेप्ट ने  अपने अंतरिम स्थिति को पुरे दो महीने के बाद अब प्राप्त  करना आरम्भ कर दिया  है और अगले दस से पंद्रह दिन में पूर्ण रूप से अंतिम स्वरुप को पालेगा प्राकृतिक रूप से ! 



 इन दो महीनो में प्रकृति द्वारा अच्छी वर्षा  होने से नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़  ग्रीनरी ने प्रयाप्त हरियाली के साथ भरपूर ऑक्सीजन का निर्माण प्रकृति के लिए किया है प्राकृतिक क्रिया के साथ ! जो मेरे इस कला कर्म की प्राकृतिक उपलब्धि में लिया जाना चाहिए विश्व पर्यावरण संगरक्षकों के द्वारा ! पॉइंट बी नोटेड प्लीज ! 


 

दूसरा ये की असंख्य परिंदों के लिए कच्चे कच्चे हरे ताजे पत्तों  का भोजन भी उपलब्ध करवाया है ! तो जमीन की उर्वरकता को भी विकसित किया है कृषि की  प्राकृतिक क्रिया से ! 

कल मैंने देखा की मेरे नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी ने पुनः बीज के निर्माण करने  तक की स्थिति में खुद को प्रकृति के सहयोग से ला दिया है ! जो मेरे इस नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी की उपियोगिता को सिद्ध कर रहा है प्रकृति में प्रकृति के लिए ! 


 

मैंने बाजरा और गंवार के बीज का चयन किया था , मेरे इंस्टालेशन  आर्ट वर्क के लिए जिसे टाइटल दिया था  " स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी ", अब बाजारा गौरैया नाम की चिड़िया अन्य पक्षियों के लिए  दाना बनेगा साथ में कीड़े मकोड़ों का भी  ! तो गंवार के पौधों से जो फली बनी है उस से राजस्थान की देशी  सब्जी गंवार फली की सब्जी  बनेगी और उसके  साथ साथ पक्की हुई फली से वापस बीज भी गंवार का ! 

यहाँ कुछ छाया चित्र साझा कर रहा हूँ मेरे आर्ट वर्क इंस्टालेशन - नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी की फाइनल स्टेज तक पहुँचने के ! जो आज 25 सितम्बर 2025 को मैंने लिए है ठीक दो महीने बाद यानी की 25 जुलाई  2025  के बाद आज ही ! परिणाम आप स्वयं अनुभूत कर पाओगे मेरे आर्ट वर्क इंस्टालेशन नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी के छाया चित्रों के जरिये  !


 

मेरा ये कला कर्म प्रतिसंस्थापन / इंस्टालेशन आर्ट नेचुरल स्कल्पचर ऑफ़ ग्रीनरी कला तर्क है प्रकृति से प्रकृति तक का सफर प्रकृति के लिए ! पर्यावरण की शुद्धि और पोषण के लिए वो भी प्राकृतिक तरीके से बिना किसी पेस्टी साइट आदि के उपयोग के ! साफ शब्दों में कहूं तो शुद्ध के लिए युद्ध कलात्मक तर्क और प्राकृतिक तकनीक  कृषि कर्म से   ! 

प्रतिसंस्थापन / इंस्टालेशन आर्टिस्ट 

योगेंद्र कुमार पुरोहित

मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट 

बीकानेर, इंडिया

 

Yogendra kumar purohit

Master of fine Art

Bikaner, India

Wednesday, September 24

Art Vibration -758

Another pilgrimage to Shri Sachchiyya Mata Osian Dham, Jodhpur 2025 registered in 15 water colour paintings...



 Friends, from 21/9/2025 to 23/9/2025, I was on a pilgrimage. I started on the 20th from Bikaner at 5 am on the road via bus to Osian Dham. The first bus stop was Phalodi, and from there, I changed buses to the Rajasthan Transport Corporation bus to reach Osian Dham. Around 9 am, my pilgrimage/Mother Sachchiya Mata Osian Dham 2025 concluded.


 

Arriving at Osian Dham, I first booked a single-bed room at the International Dharamshala, Shri Sachchiya Mata Ji Trust, for good rest and relaxation. After completing my verified registration, I then took my art kit of watercolors, art paper pad, and water bottle and proceeded to visit the Mother Sachchiya Mata temple.


 At the same time, the walking group, Shri Sachchiya Mata Pedestrian Mandal Bikaner, also arrived from Bikaner, completing the pilgrimage with great pomp and show. So I relived that first pilgrimage of my childhood, which took place in 1982. The only difference was that, in addition to a few seniors, including Pehalwan Kaka, Lallu Kaka, and Haji Saab, the pilgrims were all from the younger generation, including men and women, as well as boys and girls. The scene was delightful. All the pilgrims, dressed in red robes, carrying flags, and the echoing voices of Mata Osian Ji's hymns made the entire Osian Dham feel as if we, the devotees of the Mother Goddess, had once again returned to pay our respects to her. The native residents of Osian Dham were eagerly awaiting their arrival. All the pilgrims were greeted with a shower of flowers. This was amazing, and for this, I thank all the enlightened people of Osian Dham from the bottom of my heart. Being from Bikaner, I also had the privilege of joining that group of pilgrims and receiving their darshan. After the darshan, I also had the opportunity to participate in the aarti and bhajans, which was a wonderful experience for me on this pilgrimage to Osian Dham in 2025.






 After the darshan of Shri Sachchiya Mata Ji, I sat on an open, grand, and quiet platform on the left side of the Osian Mata Ji temple complex and painted eight paintings of the temple from 1 pm to 6 pm. These included the scenes of the Osian Dham pilgrimage that I captured with my own eyes, without stopping or taking any breaks. In those five hours, I painted eight watercolor paintings, which are small in size but are suitable for visual accounts of time and travel, and are also a great way to practice painting that shows more development with less. The first day's paintings included a landscape from the bus window, a view of a green field as we enter Osian Dham, a view of two historic temples preserved by the Archaeological Department along the roadside, the bell tower of the Nij temple, and three relief sculptures from the circumambulation outside the ruined Nij temple, dating from the 6th to the 9th century.


 The second day's painting was supposed to begin with the preparation of the offerings for Maa Sachchiya Mata Ji in the temple kitchen, where entry is prohibited for anyone except the priest's family or group. I was invited for this painting by the priest, Shri Jeetu Maharaj Ji. However, due to a delay in my turn to bathe in the Dharamshala, I was unable to complete the painting, but I had to endure the priest's taunts.

But I told the priest, Mr. Jeetu, that I would return early the next morning. With that agreement, I went back to the same platform and started painting, and the time was around 11 o'clock. From 11 a.m. to 4 p.m., I painted four more relief sculptures of the temple complex. During this time, several curious young children came to me and shared their curiosity about painting. I made every effort to awaken and nurture their interest. So, I combined this art discussion with a painting workshop, sharing the basics of art with the children (child artists). After that, I reached Katan Bawdi, a historical site in Osian Dham. Now preserved by the Archaeological Department, the stepwell is completely unused. I created a view of the Osian Mataji temple from Katan Bawdi. I also painted the current state of Katan Bawdi. Also painting a temple of International Shri Sachchiya Mata Ji Trust located on Dharamshala Road, I paused my painting work on the second day of my religious journey and reached the Jagrata of Mata organized in Bikaner Dharamshala! Which is organized every year by Ranga family and Shri Sachchiya Mata Ji Pedyatra Mandal / Sangh Bikaner! I participated in it as a religious traveler! I also visited the idol of Mata Ji made symbolically there! Then applied mehandi tilak on my palm as per tradition and also took a cup of kheer as prasadi! Which was lovingly presented to me by my younger brother Haji Bhai (Master Ashutosh Ranga singer / son of Shri Ghota Maharaj Ranga - Shri Sanwarlal Ranga - Bhajan singing emperor - in the Pedyatri Sangh you are also known from Ranga Jilaibai Gharana, in a joke)! Then we listened to the singing of bhajans by Maa Sachchiya Mata Ji, in which the first presentation of bhajan singing was by the group of girls and then Bhajan Samrat Shri Ghota Maharaj Ji recited his bhajan composed in the first yatra of 1982, the lyrics of which were "The flag was hoisted above the temple, and the temple became huge.....!



 At around 2 o'clock I again remembered that I have to go to Maa Sachchiya Mata Ji's dining hall tomorrow morning as a contracted artist to paint the portrait of Pandit Ji Shri Jeetu Maharaj Ji, free of cost / for the service of the self-motivation of the human mind / for the true religion of art!





 

So I returned to the resting place and towards my registered room in International Shri Sachchiya Mata Trust Dharamshala and before going to sleep at 3 o'clock I set the wake up time on my mobile for 6 o'clock in the morning! The interesting thing here was that at 5:45 in the morning I felt a sound / noise of someone knocking on the closed door of my room from outside while I was sleeping, and I woke up suddenly and my eyes opened and when I looked at the clock it was 5:45 in the morning! I was a little sleepy, or perhaps our trainer had planted this talent or ability within me during my training for the NCC Air Wing in 1992. Perhaps that was the reason, so my eyes opened upon hearing a sound or a mere sensation! What would you call this, a miracle, a blessing from Mother Sachchiya? This question is from me to you!


 

After completing my morning rituals, I was at Mother Sachchiya's temple at exactly 7:50 am. While offering prayers, I was asking all the security personnel where the dining hall was located in the temple premises, where the priest prepares the offerings for Mother Sachchiya. Since I hadn't asked the priest's name, I was unable to articulate my point, and the security personnel thought I was lying in the greed for darshan. Just then, the same priest suddenly came down from the front platform and told the security personnel, "Let him come, don't stop him; he's an artist; I've called him!" This was another signal from Mother Sachchiya? What would you say now?


Then, all doors opened for me, just as if all the prison doors had opened for Vasudev at the birth of Lord Krishna. I followed the Panditji right to the dining hall, bowed from outside, and entered, thanking Mother Sachchiya. The Panditji introduced me to all the other senior and young Pandit/Priest families and then asked them to sit here and paint a picture of us preparing offerings for Mother Sachchiya!

As I looked at the dining hall, I had witnessed the Sita Hill and Mother Sita's kitchen on it, which I had witnessed during the Art Yatra to Chitrakoot Dham. That scene flashed in my memory, and I felt a sense of inner bliss, in the same spirit, in the dining hall of the Mother Sachchiya Mata temple complex. I then noticed that the Panditji or the priest would be busy preparing food, so I took a photo of them in a pose and then told them to go about their work as usual. I will not cause any disturbance to them. That priest was busy preparing the offerings and I was painting his picture, both of them were performing their duties at that religious place! One was busy satisfying God and the other I was busy giving self-satisfaction to the one who satisfies God through the picture, this is not possible without God's grace, what do you say on this subject? Tell me?



 

In no time, many dishes were prepared in the dining hall for the offering to Mother Sachchiya Mata! In the same time, two people from the priest's family who prepared those dishes, one Hukum Gulab Singh Chauhan ji and the other who had invited me for painting, the picture of priest Shri Jeetu Sharma ji was also made without any hindrance! All the other members of the priest family saw, understood, felt, and then appreciated the spiritual power I had gathered for my expression. (By the way, the priest family was also practicing the art of cooking in the dining hall. In my eyes, they too are skilled artists in the daily routine of this religious ritual. So, my congratulations to them for immersing themselves in this hidden art of cooking and creating it, daily, every moment, from the dining hall for Mother Sachchiya Mata.)


 After the painting, the senior members of the priest family blessed me, and the younger priests, with immense affection, also offered me the prasad from their temple. I accepted it, saying, "I will distribute this prasad to everyone as soon as I leave the dining hall." And I did just that. By the time I left the temple, I had distributed almost all of it to all the visitors, devotees, and security personnel. It is said that the more you share knowledge and prasad, the more you accumulate.

Regarding the painting of Shri Jitu Ji, the priest I tried to satisfy this thirst completely. I obtained his contact information and shared the picture with him in the dining hall, along with Hukum Gulab Singh Chauhan.

Then, while descending the stairs of the Maa Sachchiya Temple, I came down, distributing Prasad, and went to the washroom to relieve myself. On the way, in a room on one side, a man was looking at numerous ledgers (called Tally in computer language) and writing down the accounts of the Maa Sachchiya Temple Trust. After seeing him and taking his permission, I drew a picture of him as well in about an hour. When I started drawing the picture, my parents had already arrived from Bikaner to Osian Dham and the temple complex for darshan. By the time they returned, I had drawn the picture and then showed him the picture I had drawn. His name is Hukum Ranjit Singh. He said wow after seeing the picture and then took a photo of it with his mobile phone. of the pictures and I also shared a photo of that painting with him on his mobile number!


 

Here, my project for the pilgrimage of 2025, 15 paintings created in watercolor in two days, was successfully completed! Along with practice, I also utilized my time wisely. I inspired and influenced children through the art of painting, planting the seeds of art education in their young minds. I depicted the temple complex in the form of a pilgrimage/picture, winning the trust of the Maa Sachchiya Mata Temple Trust with my creative work, and was able to bring you this travelogue with a new look of the pilgrimage!

Here, through photographs from the first, second, and third days, I am presenting my three-day painting work, as well as interesting moments from this pilgrimage "Maa Sachchiya Mata Osian Dham 2025" captured by my camera for your viewing pleasure.

In Hindi 


मित्रों दिनांक 21  /9 /2025 से दिनांक  23 /9 /2025  तक मैं धर्म यात्रा पर था जिसे बीकानेर से 20 तारीख को सुबह 5  बजे  सड़क मार्ग से बस रूपी वाहन  के माध्यम से ओसियां धाम के लिए आरम्भ की , पहला बस स्टॉप रहा फलोदी और फिर वहां से बस का परिवर्तन करते हुए राजस्थान परिवहन निगम की बस से ओसियां धाम तक का पहला पड़ाव पूर्ण हुआ करीब 9  बजे के आस पास मेरी   धर्मयात्रा/  माँ सच्चियाय माता ओसियां धाम 2025 का ! 

ओसियां धाम में पहुंचकर मैंने पहले अंतराष्ट्रीय धर्मशाला श्री सच्चियाय माता जी  ट्रस्ट में एक सिंगल बेड वाला रूम गुड रेस्ट और रिलैक्स के लिए लियामेरा सत्यापित  पंजीकरण करते हुए ! फिर  मेरी आर्ट किट ऑफ़ वाटर कलर विथ आर्ट पेपर पैड के साथ पानी की बोतल केलर मैं पहुंचा माँ सच्चियाय माता जी के मंदिर दर्शन  के लिए !

 ठीक उसी समय  बीकानेर से पैदल यात्री संघ श्री सच्चियाय माता पैदल मंडल बीकानेर का भी पहुंचना हुआ  धूमधाम से यात्रा को पूर्ण करते हुए ! सो बचपन की उस प्रथम यात्रा की अनुभूति हुई जो वर्ष 1982 में हुई थी फर्क इतना था की कुछ वरिष्ठ जन जिनमे पहलवान  काका , लल्लू काका , हाजी साब , के अतिरिक्त सब युवा पीढ़ी के पदयात्री थे जिनमे महिलायें और पुरुष के साथ बालक और बालिकाएं भी थी ! दृश्य आनंदित करने वाला था सभी पदयात्री लाल रंग की पोषक में हाथ में ध्वजा और माता ओसियां जी के भजनो के गूंजते स्वर पुरे ओसियां धाम को ये आभास करवा रहे थे की  लो हम माँ के भक्त फिर से हाजरी  लगाने आ गए है माँ के दरबार में ! ओसियां धाम के मूल निवासी भी उनकी प्रतीक्षा  के साथ स्वागत के लिए  तत्पर थे सभी पदयात्रियों का स्वागत अभिनन्दन उनपर पुष्प वर्षा करते हुए किया गया ! जो अध्भुत था और इसके लिए ओसियां धाम के सभी प्रबुद्धजन  को साधुवाद मेरे हृदय की गहनतम गहराई से ! उस पदयात्री संघ के साथ मुझे भी शामिल होने और दर्शन पाने का सु अवसर मिला बीकानेर का  होने  के नाते ! दर्शन  के बाद आरती और भजन में भी शामिल होने का लाभ मिला जो अध्भुत था मेरे लिए इस धर्म यात्रा  2025 ओसियां धाम में ! 

श्रीसच्चियाय माता जी के दर्शन के उपरांत ओसियां माता जी के मंदिर परिसर में बने बायीं और के एक खुले , भव्य और शांत चबूतरे पर बैठ कर  मैंने मंदिर के कोई आठ  चित्र 1 बजे से  लेकर सायं के 6 बजे तक बनाये ! जिसमे  ओसियां धाम की धर्म यात्रा के वे दृश्य जिनको मैंने मेरी आँखों से कैप्चर ( कैद ) किया उन्हें बनाया बिना रुके बिना मध्यांतर के ! उन 5  घंटों में मैंने आठ  चित्र वाटर कलर से रचे जो आकार  में छोटे है पर समय और यात्रा के दृश्य वृतांत के लिए उपयुक्त भी है कम में अधिक विकसाव दर्शाने वाले चित्र अभ्यास भी ! पहले दिन के  चित्रों में बस की खिड़की से दीखता एक  लैंडस्केप /दृश्यचित्र , ओसियां धाम में प्रवेश के साथ एक हरिये खेत का दृश्य , सड़क के किनारे पुरातत्व विभाग द्वारा  संग्रक्षित दो ऐतिहासिक मंदिरों के दृश्य के साथ निज मंदिर का घंटाक्ष और तीन रिलीफ स्कल्पचर भग्नावस्था की निज मंदिर के बाहर की परिक्रमा से जो की 6 ठी सताब्दी से 9 वी सताब्दी के काल के है  ! 

दूसरे दिन की चित्र क्रिया आरम्भ तो होनी थी माँ सच्चियाय माता जी के लिए बनने वाले भोग के निर्माण की क्रिया से मंदिर के रसोई घर से जहां किसी का भी प्रवेश वर्जित है सिवाय पुजारी परिवार या दल के ! मुझे इस चित्रण कार्य के लिए आमंत्रित किया था पुजारी श्री जीतू महाराज जी ने ! पर धर्मशाला में स्न्नान करने के लिए नंबर आने में देरी होने की वजह से वो चित्र तो नहीं बन पाया पर पुजारी जी का ओलमा मुझे झेलना पड़ा  ! 

पर मैंने पुजारी जी श्री जीतू जी से कहा की कल मैं सुबह जल्दी आप के पास आता हूँ ऐसा अनुबंधन कर के मैं पुनः उसी चबूतरे पर जाकर चित्रण कार्य करने में व्यस्त हुआ  और समय रहा कोई 11 बजे के आस पास का ! 11 बजे से सायं 4 बजे तक मैंने फिर 4 चित्र रिलीफ स्कल्पचर के बनाये मंदिर परिसर के ही , उस बिच कई जिज्ञासु नन्हे बालक मेरे पास आये और चित्रकला से सम्बंधित अपनी जिज्ञासाएं मेरे साथ साझा की और मैंने भी पूर्ण प्रयास किया उनकी अभिरुजी को और तीव्रता से जाग्रत और पोषित करने का , सो उसे मैंने कला चर्चा  के साथ चित्र कार्यशाला का भी स्वरुप देते हुए बालकों ( बाल कलाकारों ) को  कला का मूल ज्ञान साझा किया और उसके उपरांत मैं पहुंचा ओसियां धाम के ऐतिहासिक स्थल कातन बावड़ी पर!  जो अब  पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रक्षित है पर बावड़ी उपयोग हेतु बिलकुल नहीं है ! मैंने कातन बावड़ी से ओसियां माता जी के मंदिर के दृश्य / व्यू को बनाया  ! तो  साथ ही कातन बावड़ी के वर्तमान स्थिति को भी चित्रित किया ! साथ ही अंतराष्ट्रीय श्री सच्चियाय माता जी ट्रस्ट की धर्मशाला रोड पर स्थित एक मंदिर को भी चित्रित करते हुए दूसरे दिन की मेरी धर्म यात्रा में चित्रण कार्य को विराम देते हुए  बीकानेर धर्मशाला में आयोजित माता के जगराता में पहुंचा ! जो की रंगा परिवार और श्री सच्चियाय माता जी पैदल मंडल / संघ बीकानेर  के द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है !  उसमे शामिल हुआ बतौर एक धर्म यात्री ! प्रतिक रूप से बनायी गयी   माता जी की प्रतिमा  के वहां भी दर्शन किये !  फिर मेहँदी का टिका हथेली पर परंपरा अनुरूप लगाया साथ भी प्रसादी स्वरुप एक प्याली खीर ग्रहण की !  जिसे मुझे सप्रेम भेंट की अनुज हाजी भाई ( मास्टर आशुतोष रंगा गायक  / पुत्र श्री घोटा महाराज रंगा -श्री  सांवरलाल रंगा -भजन गायकी सम्राट - पदयात्री संघ में आप की पहचान रंगा  जिलाईबाई घराना से भी है विनोद में ) ! फिर माँ सच्चियाय माता जी के भजन गायन को सूना जिसमे प्रथम प्रस्तुति भजन गायकी की समूह गान बालिकाओ की रही और फिर भजन सम्राट श्री घोटा महाराज जी ने 1982 की प्रथम यात्रा में रचा अपना भजन सब को सुनाया जिसके बोल थे " मंदिर ऊपर ध्वजा फरुके,और   मंदिर बण्यो विशाल ..... !  करीब दो बजे मुझे पुनः स्मरण हुआ की मुझे कल  सुबह माँ सच्चियाय माता जी की  भोजन शाला में जाना है पंडित जी श्री  जीतू महारज जी का चित्र रचने को अनुबंधित कलाकार के रूप में , निशुल्क / सेवार्थ मानव मन के आत्म उत्साह के लिए / कला के सच्चे धर्म के लिए ! 

सो मैंने वापसी की विश्राम स्थल की और अंतराष्ट्रीय   श्री सच्चियाय माता ट्रस्ट धर्मशाला के मेरे पंजीकृत कमरे की ओर और तीन बजे सोने से पहले मैंने मोबाइल में जाग लगायी सुबह 6 बजे की ! यहाँ रोचक बात ये हुई की सुबह 5 : 45  बजे मुझे नींद में कमरे के बंद दरवाजे को कोई बाहर से थप थपा गया मुझे जगाने को ऐसी  एक  आवाज / आहट की अनुभूति हुई , और मैं एदम से जगा और मेरी आँख खुल गयी घड़ी देखि तो उसमे बजे थे 5 : 45  सुबह के ! मैं नींद का कच्चा हूँ या शायद ऍन सी सी एयर विंग की टैनिंग 1992 में मेरे भीतर हमारे  ट्रेनर ने ये खूबी या योग्यता मेरे में प्लान्टेशन कर दी थी शायद यही कारण था सो  मेरी आँख खुली आहट  की अनुभूति या अहसास मात्र से ! इसे आप क्या कहोगे चमत्कार की आशीर्वाद माँ सच्चियाय का ? ये प्रश्न आप के लिए मेरी और से ! 


सुबह नित्य कर्म आदि करने  के बाद ठीक 7:50   बजे मैं माँ सच्चियाय के मंदिर में था पेड़िया चढ़ते हुए सभी सुरक्षा कर्मियों से पूछ रहा था की भोजन शाला कहा  है मंदिर परिसर में ? जहां पंडित जी भोग बनाते है माता जी का ! चूँकि मैंने पंडित जी का नाम नहीं पूछा था सो असमर्थ था अपनी बात को स्पष्ट रखने  में और सुरक्षा कर्मी मुझे दर्शन लाभ के लोभ में मिथ्या बोलता हुआ समझ रहे थे !  तभी वही पंडित जी एकदम से सामने की पेडियों से उतारते हुए आये और सुरक्षा कर्मी से बोले इन्हे आने दो रोको मत कलाकार है मैंने इन्हे बुलाया है ! ये दूसरा संकेत माँ सच्चियाय का ?  अब आप क्या कहोगे ? 


फिर तो मेरे लिए सारे दरवाजे इस प्रकार खुले मानो श्री कृष्ण जन्म पर वासुदेव जी के लिए जेल  के सारे दरवाजे खुले थे ! मैं पंडित जी के पीछे पीछे चलता हुआ ठीक भोजन शाला तक पहुंचा बहार से प्रणाम करते हुए माँ सच्चियाय का आभार करते हुए अंदर प्रवेश किया ! पंडित जी ने मेरा परिचय अन्य सभी वरिष्ठ और युवा पंडित /पुजारी परिवार से करवाया और फिर कहा आप यहाँ बैठकर हमारा चित्र निर्माण कीजिये माँ सच्चियाय के लिए भोग बनाते हुए का ! 

मैंने उस भोजन शाला को देखते हुए चित्रकूट धाम की कला यात्रा के दौरान दर्शन किये हुए सीता पहाड़ी और उसपर माता सीता की रसोई के साक्षात् दर्शन किये थे , वो दृश्यावली मेरी मेमोरी में दृश्यमान होने लगी और मैं आत्म  आनंद की अनुभूति को महसूस कर रहा था उसी भाव में माँ सच्चियाय माता के मंदिर परिसर की भोजनशाला में  ! फिर मैंने देखा की पंडित जी या पुजारी जी भोजन पकवान बनाने में व्यस्त रहेंगे तो मैंने उनकी एक तस्वीर ली एक मुद्रा की और फिर उन्हें कहा अब  आप सामन्य रूप से अपने कार्य को करे मेरी और से आप को कोई बाधा  उत्पन नहीं होगी ! वे पुजारी जी भोग  बनाने में व्यस्त हुए और मैं उनका चित्र दोनों ही अपने धर्म का निर्वाहन कर रहे थे उस धर्म स्थल पर !  एक इस्वर को तृप्त करने में व्यस्त थे और दूसरा मैं ईश्वर  को तृप्त करने वाले को आत्म तृप्ति देने में व्यस्त   चित्र के जरिये ,  ये ईश्वर की अनुकम्पा के बगैर संभव नहीं आप क्या कहते हो इस विषय पर ? बोलिए ? 

देखते ही देखते भोजन शाला में कई पकवान बने माँ सच्चियाय माता के भोग के लिए !  उतने ही समय में उन पकवान को बनाने वाले पुजारी परिवार के दो जन जिनमे एक हुकुम गुलाब सिंह चौहान जी और दूसरे जिन्होंने मुझे आमंत्रित किया था चित्र सृजन के लिए पुजारी श्री जीतू शर्मा जी का चित्र भी बन गया बिना किसी विघ्न बाधा  के  ! जिसे अन्य सभी पुजारी परिवार के सदस्यों ने देखा , समझा, अनुभूत किया और फिर सराहना भी मेरी अभिव्यक्ति के लिए संगृहीत आत्म शक्ति की ( वैसे पुजारी परिवार भी भोजन शाला में कला का ही कर्म कर रहे थे पाक कला का ! तो मेरी नजर में वे भी दक्ष कलाकार ही है इस धार्मिक अनुष्ठान की नित्य क्रिया में सो उन्हें साधुवाद भी इस छुपी हुई कला को जो पाक कला है उसमे तलीन होकर सृजन करने के लिए ,  नित्य , प्रतिदिन, प्रति पल के लिए भोजन शाला से माँ सच्चियाय माता के लिए ! 



चित्रण के उपरांत पुजारी परिवार के वरिष्ठ जन ने मुझे आशीर्वाद दिया तो युवा पुजारी जन ने  अपार स्नेह के साथ निज मंदिर का प्रसाद  भी !  जिसे मैंने ये कहते हुए ग्रहण किया की ये प्रसाद मैं  सब में बांटूंगा भोजन शाला से बाहर जाते ही और मैंने वैसा ही किया मंदिर से बाहर आया तब तक लगभग वो सारा प्रसाद मैंने सभी दर्शनार्थी और भक्तगण के साथ सुरक्षा कर्मियों में बांटा ! कहते है ज्ञान और प्रसाद जितना बांटते है वो आप के पास उतना ही अधिक अर्जित होता जाता है !

पुजारी जी श्री जीतू जी की चित्र को लेकर जो तृष्णा थी उसे मैंने पूरी पूरी शांत करने की कोशिश करते हुए उनके संपर्क सूत्र को अर्जित करते हुए उस चित्र को वही भोजन शाला में ही उन्हें साझा किया उनके साथ हुकुम गुलाब सिंह चौहान जी को भी ! 


फिर वापस माँ सच्चियाय के मंदिर की सीढियाँ उतरते हुए प्रसाद बांटते हुए निचे आया और लघु शंका के लिए वाशरूम की ओर गया  तो रास्ते में एक तरफ एक कमरे में एक व्यक्ति खूब सारी बही खाते ( जिसे आज कंप्यूटर की भाषा में टैली बोलते है ) की पोथियों के मध्य लेखा जोखा देख रहे थे लिख रहे थे माँ सच्चियाय मंदिर ट्रस्ट का ! उन्हें देख कर उनसे  आज्ञा लेते हुए एक चित्र उनका भी  बनाया करीब एक घंटे में , वो चित्र जब मैंने बनाना आरम्भ किया उस समय मेरे माता पिता भी बीकानेर से ओसियां धाम और मंदिर परिसर में दर्शन  लाभ के लिए पहुंच चुके थे ! जब तक वे दर्शन करके लौटे उतने समय में मैंने वो चित्र बनाया और फिर उन्हें दिखाया जिनका  मैंने बनाया था वो चित्र , उनका नाम है हुकुम रणजीत सिंह जी , आप ने चित्र देख कर कहा वाह , फिर एक फोटो आप ने अपने मोबाइल से भी ली उस चित्र की और मैंने  भी उन्हें साझा की उस चित्र की एक फोटो  उनके मोबाइल नंबर पर!


 यहां  मेरी  धर्म यात्रा 2025 का  प्रोजेक्ट 15 चित्र  दो दिन में वाटर कलर से निर्माण , सफलता पूर्वक पूर्ण हुआ ! मैंने अभ्यास के साथ , समय का  सदुपयोग भी किया तो चित्रण जैसी अभिव्यक्ति की क्रिया से बच्चों को प्रेरित और प्रभावित करते हुए कला शिक्षा का बीज भी उनके बाल मन मस्तिष्क में रोपित किया , मंदिर परिसर को धर्म यात्रा के स्वरुप में/  चित्र स्वरुप में अंकित  किया तो माँ सच्चियाय माता मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्ट को भी जीता सृजन कर्म से और आप के लिए ये यात्रा वृतांत भी ला सका एक नए कलेवर चित्र  यात्रा के साथ  ! ! 

यहाँ क्रम वार प्रथम दिन / द्वितीय दिन और तृतीय दिन के  छाया चित्र के माध्यम से मेरे तीन दिन के  चित्रण कार्य के साथ ही इस धर्मयात्रा " माँ सच्चियाय माता ओसियां धाम 2025 " के रोचक पलों को यहाँ प्रेषित कर रहा हूँ आप के अवलोकन  हेतु मेरे कैमरा से !


Yogendra kumar purohit

Master of Fine Art

Bikaner, India