Wednesday, April 16

Art Vibration - 723

I gifted a Portrait of  Sculptor Arun Yogiraj to Dr. Arun Yogiraj at Bikaner 2025...

Friends on date 14th April 2025 Sculptor Sir Arun Yogiraj was came to Bikaner  for collect to his Doctorate degree . This doctorate Degree was presented  to Arun yogiraj  from Maharaja Ganga Singh University  Bikaner . Our Hon’ble Governor of Rajasthan Shree Haribhau Baghde of  Govt. of Rajasthan  and Vice chancellor of Maharaja Ganga Singh University Acharya Manoj Dixit were presented it to him at Campus of Maharaja Ganga Singh University on date 15/4/2025 .

So Congratulation to Sculptor Dr. Arun Yogiraj from my deep heart . 

Myself Yogendra & Dr. Arun Yogiraj at Bikaner 2025


 Dr. Arun yogiraj was came to Bikaner on date 14 / 4/ 2025  at evening time , so for  welcome of  him our Bikaner was organized a welcome event with 25 social community of Bikaner at Bikaner Udhyog Vyapar Sang Bhawan Bikaner  

Dr. Arun Yogiraj  & Trusty of Shree Ram Mandir / temple  Ayodhya Shree Sumadhur Shashtri ji Bikaner 2025

 

That welcome event was coordinated by Social worker  Sir Rajendra Joshi , Add. Director of P.R.O  Bikaner Sir Harishankar Acharya , Dr. Chandrashekhar Shrimali and manager of Besic  P. G. College Bikaner Master Amit Vyas . 

 


 

Mr. Keshyav Acharya, D.P.Pachisiya, DATA shree Rameshwaranand ji , Dr. Arun Yogiraj , M.L.A.West zone Bikaner Shree Jethanand Vyas ji , secretary Mukti sansthan Rajendra Joshi ji , Add. director P.R.O. Bikaner Sir Harishankar Acharya , Trusty shree ram mandir / temple  Ayodhya shree Sumadhur shashtri ji & Manager   
 Basic P.G. College Bikaner Master Amit Vyas, They all  are presenting welcome note to Dr. Arun Yogiraj  . 

 


That  coordinator team was invited to me for participate in that  great event of Bikaner , so as a art master of painting I presented there with a art work /portrait  ( pencil art ) – I created a portrait of Dr. Arun Yogiraj for gift to him from my hand  for his warm welcome by  art sound of Bikaner .

Photo clicked by Art Master Ram Kumar Bhadani Bikaner

Photo clicked  by Add. Director P.R.O  Bikaner Sir Harishankar Acharya Bikaner 

 

There in that welcome event of Dr. Arun yogiraj ,  I participated in a open discuss session ,Dr. Arun yogiraj was expressed his experience of his sculpture art or that’s challenging journey , in question session  I also put up my question in front side of Dr. Arun yogiraj . I asked to him” Your Sculpture of  RAM LALAA is a creation of  your imagination or is that inspiration of old & traditional sculpture art  of INDIA ?  

Dr. Arun Yogiraj Is sharing His art journey from Stage of  his welcome event  Bikaner 2025

 

Sir Arun Yogiraj was answered to me very honestly , That time I felt Sir Arun Yogiraj is following to Indian Art Concept or that’s Aesthetical logic , that is one and only - SATYAM SHIVAM SUNDARAM …! 


 

Sir Arun Yogiraj is a very simple soft heart parson or a very strong conceptual art master in semi  classical sculpture art of INDIA   . when he met to me on stage that time he noticed to my art practice portrait of Arun yogiraj in pencil or that’s presentation for  gift  . he gave me his deep feeling full regards , I read that in his eyes when  he caught my right hand very tit after shake hand with me on stage . in visual you can notice it or in same time I felt my  younger brother is catching to me for show to his  deep love & thanks  without any words .

( now tears in my eyes ..sorry friends ) …!  

 


After that welcome event I came to home or I got busy in write to a note  on that welcome event  for  my social post . I updated that post on my all social networks with selective photographs of that live art event .  I was clicked there . 

Culture reporter of Dainik Bhaskar reported something wrong about my art gift , i gifted portrait or reporter was wrote and published i gifted cut out of shree RAM LALA In 2D , actually Cut out of Ram Lala  2D art frame was gifted from Master Krishankant vyas Bikaner  to Dr. Arun Yogiraj ..


Here that’s hindi hote copy and some photographs of that live movements of that welcome event  for your reading or visit . ( I sure you will translate to this long hindi note by good translator tool on online .) It is very must  you read this full story of that welcome event of Sir Yogiraj , because I gifted to him my art practice ( his portrait in pencil drawing )  for his memorabilia ..

https://www.facebook.com/share/v/1FkWDHpKw4/ 

  (Reel  link from Facebook page of Dr. Chandrashekhar Shrimali  or Reel Creator is reel maker  Jyoti Daiya Bikaner ..)


https://www.facebook.com/share/v/18kvZCZneM/

 (Reel  link from Facebook page of Dr. Chandrashekhar Shrimali  or Reel Creator is reel maker  Master Suresh Pareek  Bikaner ..)

मित्रों चित्रकला के अध्ययन के दौरान मैंने कला के इतिहास को पढ़ते हुए कई बार कला समीक्षकों के आलेख और अध्याय भारतीय और विदेशी कला  और  कलाकार के विषय में पढ़ते हुए एक शब्द ये भी पढ़ा की "कालजयी रचना " कला के इतिहास में मैंने अब तक जितनी भी कालजयी रचना देखि या  पढ़ी या उनके बारे में जाना तो यही पाया की उनके कलाकारों का कोई नाम ठिकाना प्रामाणिक रूप से सामने नहीं आया इतिहासिक दृष्टि से ! जो खेद जनक बात है ! पर कुछ एक कला कृतियाँ अपवाद स्वरुप हमारे सामने है जिन के रचनाकारों के नाम इतिहास में दर्ज है !

पर अब  समकालीन कला के परिदृश्य में मुझे शुभ संकेत कला इतिहास और उस कला के इतिहास को रचने वाले कालजाई  रचना के रचनाकारों को भी उचित स्थान समाज में उनकी असली पहचान के साथ दिया जाने लगा है ! जो आगे आने वाले कला विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का आधार भी बनेगी  ! इसका भी मुझे पूर्ण विश्वास है !
आज मैं  कह सकता हूँ की  मैंने भारतीय मूर्तिशिल्प कला के तहत कालजयी रचना रचने वाले मेरे समकालीन  मूर्ति शिल्पी से साक्षात् किया है ! मैंने उन्हें देखा और स्पर्श भी किया है  कालजयी रचना को रचने वाले कलाकार  का व्यक्ति चित्र मेरी रचनात्मक अभिव्यक्ति जो कि पेन्सिल ड्राइंग शैली में  से उन्हें भेंट भी किया है और उन्होंने उसे स्वीकारते हुए मुझे कृतज्ञ की अनुभूति से सराबोर भी किया है ! सो साधुवाद उस कालजयी रचना को रचने वाले कलाकार को !
 आप श्री है अयोध्या धाम के श्री राम मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित भगवन राम लला की  कालजयी कृति -मूर्तिशिल्प रचने वाले मास्टर जो की कल से डॉक्टर की मानद उपाधि से भी सुशोभित हो जाएंगे बीकानेर में बीकानेर की महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के उपरांत , बीकानेर से !

आप को ये मानद उपाधि आप की कालजयी रचना भगवान श्री राम लला की प्रतिमा के साथ भारतीय शास्त्रीय मूर्तिशिल्प कला में पारंगतता के लिए  कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित जी महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी बीकानेर के द्वारा महामहिम राज्यपाल  राजस्थान के करकमलों से प्रदान की जायेगी और फिर आप को सम्बोधित किया जाएगा पुरे भारत वर्ष में डॉ. अरुण योगिराज के नाम से !

दीक्षांत समारोह महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी बीकानेर की पूर्व सन्धाय में आचार्य मनोज दीक्षित कुलपति महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी बीकानेर के दिशा निर्देश में एक सम्मान समारोह बीकानेर के बीकानेर व्यापार  उद्योग संघ के सभागार में आयोजित किया गया सायं 5 : 15 बजे से  दिनाक 14 /4 /2025  को !
 
जिसे संचालित किया बीकानेर के चार प्रतिष्ठित कर्मठ सक्रीय व्यक्तित्व वाले श्री राजेंद्र जोशी जी उनके साथ  रहे मास्टर अमित व्यास प्रबंधक बेसिक पि जी कॉलेज बीकानेर ,   डॉ. चंद्रशेखर श्रीमाली जी शिक्षाविद और अतिरिक्त निदेशक जनसम्पर्क अधिकारी बीकानेर श्री हरिशंकर आचार्य जी !

आप ने कार्यक्रम की रूप रेखा बनाते हुए मुझे भी इस महा अनुष्ठान में सहभागिता निभाने का सु अवसर प्रदान किया और आपने मुझ कला साधक को उस कालजयी   रचना  भगवान श्री राम लला की प्रतिमा को रचने वाले कलाकार से साक्षात्  करवाया !  जिसके लिए मैंने एक कला साधक की भूमिका में रहते हुए डॉ. अरुण योगिराज जी का एक व्यक्ति चित्र पेंसिल से बनाया उनके सम्मान में कलात्मक भेंट स्वरुप!  एक कालजयी रचना को रचने वाले कलाकार को बीकानेर के कला साधक की और से कलात्मक भेंट   ! मेरे अलावा बीकानेर की लगभग 25 संस्थाओं ने डॉ. अरुण योगिराज जी का सम्मान अपने अपने संस्कारों और उपहारों से किया ! सम्मान का ये क्रम आरम्भ हुआ पहले पहल  डॉ. अरुण योगिराज जी को गरिमामय मंच पर आसीन करते हुए ! उस मंच को  गरिमा प्रदान कर रहे थे बीकानेर के महंत दाता  श्री रामेश्वरानंद जी  ,   बीकानेर पश्चिम के विधायक श्री जेठानन्द व्यास जी , बीकानेर उद्योग व्यापार संघ के श्री डी पि पचीसिया जी , मुक्ति संस्थान  के सचिव और आज के कार्यक्रम के सयोजक सदस्य श्री राजेंद्र जोशी , मास्टर अमित व्यास और मंच संचालक डॉ. चन्द्रशेखर श्रीमाली जी  और अयोध्या से अरुण योगिराज जी के साथ पधारे श्री राम मंदिर अयोध्या ट्रस्ट के सदस्य श्री  Sumadhur शास्त्री जी !

सम्मान समारोह आरम्भ हुआ पुष्प हार को भेंट करने से ,  पहले सभी मंचासीन अतिथिगण को पुष्पहार भेट करते हुए उनका सम्मान किया गया फिर डॉ. अरुण योगिराज जी के सम्मान  में पहले मास्टर अमित व्यास और डॉ, चंद्रशेखर श्रीमाली जी ने पुष्पहार भेंट किया फिर मास्टर पवन व्यास (
रिकॉर्ड मेकर ) ने डॉ. अरुण योगिराज जी को बीकानेरी पचरंगा साफा  मंच पर ही बांधकर सम्मान किया ! फिर श्री हरिशंकर आचार्य जी अतिरिक्त निदेशक जनसम्पर्क अधिकारी बीकानेर ने एक अभिनन्दन पत्र का वाचन किया !  जिसे अलंकृ किया बीकानेरी सुनहरी कलम से बीकानेर के युवा चित्रकार मास्टर राम कुमार भादाणी ने , जो डॉ. अरुण योगिराज जी को भेंट भी किया गया  मंच पर उपस्थित सभी अतिथिगण के कर कमलों  से !
सम्मान के  उस क्रम के मध्य  बीकानेर पश्चिम विधायक श्री जेठानन्द व्यास जी ने डॉ. अरुण योगिराज जी को बीकानेर के द्वारा किये गए कारसेवा और सहयोग की कहानी राम मंदिर के सन्दर्भ में साझा की ! आप ने डॉ. अरुण योगिराज को महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी से मानद उपाधि मिलने की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी !
सम्मान के  दूसरे चरण में डॉ. अरुण योगिराज को सम्मान देने में मुझ योगिराज ( योगेंद्र कुमार पुरोहित का मित्रों में योगिराज से  सम्बोधित होने वाला नाम  ) को आमंत्रित किया गया मेरे चित्र  के साथ जो मैंने डॉ. अरुण योगिराज जी के लिए उन्ही का बनाया था वो भेंट किया ! मेरे लिए वो पल ऐसा रहा मानो परिवार के ही एक सदस्य से मिल रहा हूँ और यही भाव मैंने डॉ. अरुण योगिराज के भीतर भी बनते हुए   महसूस किया उन पलों में  जब उन्होंने आत्मीयता से मेरा  हाथ पकड़ा और सहर्ष  सम्मान स्वरुप मेरे द्वारा रचित चित्र कृति की भेंट को स्वीकारी ! सो मैंने उन्हें मंच पर अल्प समय में मेरी कला अध्ययन की जानकारी देते हुए उन्हें मानद उपाधि मिलने की शुभकामनाएं भी दी !
मेरे बाद बीकानेर के कई सामाजिक सरोकार रखने वाली संस्थाओं ने डॉ. अरुण योगिराज जी का सम्मान किया इस बिच मास्टर कृष्णकांत व्यास ने डॉ. अरुण योगिराज जी को राम लला की उन्ही की प्रतिमा का कट आउट वुडेन आर्ट भेंट की !

तो चित्रकार मास्टर रामकुमार भादाणी ने  बीकानेर के लखोटियों के चौक में स्थित भगवान नर सिंह मंदिर में रखे मुल्तान की मिटटी से बने भगवान नर सिंह के मुखोटे पर बीकानेर की पारम्परिक चित्रण शैली में बने उस 500 पुराने आर्ट एंड क्राफ्ट पर प्रतिवर्ष सुनहरी कलम से कार्य करने की जानकारी देते हुए उस ऐतिहासिक और कालजयी रचना की छाया चित्र की प्रति भेंट की अपने संस्था सदस्यों के साथ !
 बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजाराम स्वर्णकार जी ने अपनी साहित्य कृति "तीसरी आँख का सच " की प्रति डॉ. अरुण योगिराज जी को भेंट करते हुए उनका सम्मान किया !
सम्मान के उस क्रम के विराम के बाद कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी ने अपने उद्बोधन में कहा की डॉ, अरुण योगिराज और मैंने अयोध्या में श्री राम मंदिर परिसर में साथ में कार्य किया है ! और हमारे साथ एक और व्यक्ति रहे वे है श्री शास्त्री जी आप मंदिर परिसर के ट्रस्ट का कार्य सँभालते रहे और अभी भी आप वहाँ सक्रीय है श्री राम लला की सेवा में  ! आप ने ही डॉ. अरुण योगिराज  जी को बीकानेर से मानद उपाधि प्रदान की है जो बीकानेर संभाग के लिए अति गौरव की बात तो है ही साथ में महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी की भी विशेष पहचान पुरे भारत वर्ष में बनाने जारही है ! इस विशेष कार्य के लिए कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित जी को मेरी और से  अनेको अनेक साधुवाद !

कुलपति मनोज दीक्षित जी के उपरांत मंच की डेस्क पर आमंत्रित किया गया डॉ अरुण योगिराज जी को , आप ने मंच से पुरे बीकानेर का आभार ज्ञापित किया फिर , अपने सृजन यात्रा के सन्दर्भ में मुख्य मुख्य बात साझा की और भगवान् श्री राम की कृपा से ही अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिमा के बनने की बात को स्वीकारा ! आप ने बताया की उस प्रतिमा के लिए एक हजार मूर्तिशिल्पियों में से तीन का चयन होना उस तीन  में मेरा नाम होना और फाइनल में मेरा ही काम प्रतिसंस्थापित होना उसका प्राणप्रतिष्ठा होना ये सब भगवान श्री राम ने ही करवाया था उन नोह महीने में और मैं  बस निमत ही रहा ! आप ने बताया की मूर्तिशील उनका पांच पीढ़ियों से चलता आरहा काम है परिवार में और शास्त्रीय शिल्प कला के माहौल में बचपन से जी रहा हु सो तब से लेकर आज तक यही अध्ययन और आजीविका का साधन भी है !
डॉ, अरुण योगिराज जी के सम्बोधन के बाद  संवाद सत्र रखा गया जिसमे मैंने डॉ. अरुण योगिराज जी से अकादमिक प्रश्न ही पूछा वो भी अंग्रजी में  ( योर स्कल्पचर ऑफ़  रामलला इज  क्रिएशन फ्रॉम  इमेजिनेशन और इज देट इंस्पिरेशन ऑफ़ ओल्ड / ट्रेडिशनल स्कल्पचर ऑफ़ इंडिया ? ) हिंदी आप ने जो शिल्प रामलला की बनायी वो क्या काल्पनिक थी या किसी भारतीय पौराणिक शिल्प कला से प्रभावित ?
प्रतिउत्तर में डॉ. अरुण योगिराज जी ने बड़े ही ईमानदारी से एक सच्चे कलाकार के रूप में कहा की मैंने शास्त्रीय शिल्प कला से अध्ययन किया पर साथ में ये भी विचार रहा की मुझे मेरे खोजे हुए राम को शिल्प में उकेरना है ! नो महीने में मैंने दो प्रतिमा बनाई पहली जो बनी वो ख़ारिज करदी गयी तो मैंने सिमित समय में मात्र दो महीने में फिर से सहकलाकारों के साथ मिलकर दूसरी प्रतिमा रची और उसका चेहरा बनने में काफी समय लगा और दीपावली के दिन अयोध्या में ही मुझे दीपक की रोशनी में एक बालक के चेहरे में श्री राम के दर्शन हुए मुझे मेरे राम दिखे और अगले दो रोज में मैंने उस राम लला की प्रतिमा को पूर्ण किया और आज मेरे राम को सब पुज रहे है अयोध्या के श्री राम मंदिर में ! डॉ. अरुण योगिराज ने श्री राम की प्रतिमा को रचकर उसे कला की कालजयी रचना बना दिया और उस कालजयी रचना ने अरुण योगिराज जी को डॉ. अरुण योगिराज  !
डॉ. अरुण योगिराज जी के उद्बोधन और संवाद के बाद महंत दाता श्री रामेश्वरानन्द  जी ने डॉ. अरुण योगिराज जी पर पुष्प वर्षा करते हुए उनका सम्मान किया और उनके लिए  ज्योतिष गणनांक के आधार पर 6 अंक वाले के जीवन में ही 51 इंच की प्रतिमा के रचने के योग था , इस बात की जानकरी भी मंच से साझा की !
आभार ज्ञापित किया बीकानेर उद्योग  व्यापार संघ के श्री डी पी पचीसिया जी ने !
यहाँ उस अति भव्य सम्मान समारोह के छाया चित्र मेरे केमेरा के साथ मास्टर राम कुमार भदानी के केमेरा ( मेरे फोटो जो है डॉ अरुण योगिराज जी के  साथ वो ही  )  से  आप के अवलोकन हेतु !

 

Thanks to DIPR team Bikaner  for this Historical Picture of  Dr. Arun Yogiraj

So here I write about it .. I gifted a Portrait of  Sculptor Arun Yogiraj to Dr. Arun Yogiraj at Bikaner 2025

 

Yogendra  kumar purohit

Master Of  Fine Art

Bikaner, INDIA