Seminar the changing face of media then and now from Rav Bikaji Sansthan Bikaner 2025…
Rav Bikaji was founded to Bikaner or in year 2025 this Bikaner completed 538 years. So the people’s of Bikaner are celebrating to foundation day of Bikaner as a celebration. In this celebration they are organize many cultural activities or activities of literature , in literature they are organize to poetry session and seminars . A community of educative peoples of Bikaner were founded to a society with title RAV BIKAJI sansthan Bikaner ,. So last 40 years to they are continue organizing function of foundation day of Bikaner . They are also organizing to cultural and literature event or in literature activity this year they were organized to a seminar with subject “ the Changing face of media then and now “.

I was invited in that seminar as a art master of visual art . so I were joined that and put to my critical view about media or that’s changing face . That seminar was organized at Hotel Laxmi Niwas Palace Bikaner or its coordinator was Literature person sir Rajendra Joshi and Sir Narendra Singh Siyagh and Poet writer sir Sanjay Purohit .
Kind your information I were wrote to that seminar point to point in my hindi note and I shared that on my all social media . so that’s hindi note copy is here for reading to my view on seminar the changing face of media then and now ..
मित्रों बीकानेर अपना 538 वां स्थापना दिवस 2025 में मना रहा है ! और इस नगर स्थापना दिवस के उपलक्ष में बीकानेर की ही एक संस्थान राव बीकाजी संस्थान विगत 40 वर्षों से बीकानेर के स्थापना दिवस को एक विशेष उत्साह के साथ रचनात्मक और शैक्षणिक दृष्टि तथा सांस्कृतिक गतिविधि के साथ मानते हुए आ रहा है ! इस वर्ष भी राव बीकाजी संस्थान अपनी परंपरा का निर्वाहन करते हुए कई गतिविधियां कर रहा है ! उस क्रम में आज बीकानेर स्थित होटल लक्ष्मी निवास पैलेस बीकानेर में एक सेमिनार आयोजित किया सुबह 11 :15 बजे बीकानेर की होटल लक्ष्मी निवास पैलेस में जिसमे मुझे भी आमंत्रित किया गया बतौर एक वक्ता के रूप में सेमिनार संयोजक श्री राजेंद्र जोशी जी के द्वारा , आप ने पत्राचार के माध्यम से मेरी स्वीकृति और उपलब्धता मांगी जो मेरे बीकानेर के स्थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित होने वाले इस सेमिनार के लिए मैंने व्यस्तता के बावजूद मेरी उपस्थित दर्ज करवाई बीकानेर का वाशिंदा होने के नाते !
सेमिनार का विषय रखा मिडिया का बदलता स्वरुप तब और अब ! मेरे लिए मीडिया जैसा तब था वैसा अब नहीं है ! पहले मुझे समाचार पत्र के माध्यम से कला समीक्षा के रूप में देश और विदेश के जाने माने कलाकारों के कला के सन्दर्भ में पढ़ने को समझने को कुछ मिलता था पर अब वो स्थान रिक्त है न अब क्रिटिक है और न ही क्रिटिक्स के आर्ट नोट्स अब के न्यूज पेपर में !
सो आज का ये सेमिनार का विषय मेरे लिए पुराने घाव को ताजा करने जैसा भी रहा मेरे भीतर में ! उसका एक कारण और ये भी रहा की जयपुर में मेरे मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट करने के तुरंत बाद के समय में दैनिक भास्कर जयपुर संस्करण में एक विज्ञप्ति निकली प्रेस फोटोग्राफर के लिए ! मेरे मित्र सहपाठी मास्टर सोहन सिंह जाखड़ ने मुझे इस बात की जानकारी दी ! चूँकि फोटोग्राफी हमारा सब्जेक्ट भी था और मेरे पास मेरा निजी कैमरा भी सो इंटरव्यू देने पहुँच गया ! कलाकार हूँ सो इंटरव्यू पास करलिया विसुअल आर्ट मास्टर होने के नाते ! अनुबंधन हुआ की 500 रूपए रोज आप को भुगतान किया जाएगा नए अख़बार सिटी भास्कर की टीम में आप को रखा जाता है ! प्रेस फोटोग्राफर के तौर पर , सब कुछ मौखिक हुआ लिखित नहीं ( लिखित माँगा तो कहा गया की जॉब चाहिए की लिखित में अग्रीमेंट ) चूँकि मीडिया यूनिट थी तो मेरा विस्वास था की ईमानदारी के लिए लड़ाई करने वाले छल थोड़े ही करेंगे ! मैंने 60 दिन बिना अवकाश के मेरी सेवा सुबह 8 बजे से रात्रि 9 बजे तक जब तक सिटी भास्कर अख़बार प्रिंट के लिए छूट नहीं जाता तब तक देता रहा ! दो महीने में सिटी भास्कर जयपुर का पहला रंगीन अख़बार भी बन चूका था जिसमे मेरे रंगीन फोटोग्राफ का बड़ा हाथ था ! 60 दिन की सेवा के बाद बिल बनाकर दिया गया तो मेरे लिए उन्हें भुगतान करने की राशि की संख्या हो गयी थी लगभग 22 ,000 रूपए !चोट ये हुई की पहले मेरे द्वारा दिया गया बिल पेपर ही खो गया जिसे कहा गया की चोरी हो गया है जो मानने की बात नहीं थी ! फिर संपादक ने कहा की आप को पर डे 250 रूपए के हिसाब से ही भुगतान कर पाएंगे क्यों की सभी को इतना ही देते है ! जबकि मुझसे सिटी भास्कर के संपादक जी ने 500 रूपए देने की कमिटमेंट की थी ! उस समय मुझे तत्व ज्ञान ये भी हुआ की पत्रकारिता की जॉब में पारदर्शिता नहीं है जब की दैनिक भास्कर जयपुर के ऑफिस में विज़ुअली फुल ट्रांसपरेंसी है ! पूरा ऑफिस कांच की दीवारों का है ( अब पता नहीं कैसा है ) अंतिम कोने से मुख्य द्वार तक सब कुछ स्पष्ट दीखता था ! पर उनकी पॉलिसी में मुझे ट्रांसपरेंसी नहीं दिखी ! वहाँ गधे घोड़े में कोई फर्क नहीं समझा गया ! मैं कला का घोडा ( चित्रकार बीकानेर श्री द्वारका प्रसाद जी के शहर बीकानेर का घोडा ) गधों के बिच रोंदा गया ! आधा ही भुगतान पाकर मीडिया लाइन को बाय बाय भी कहा ! एक तत्व ज्ञान ये भी हुआ की प्रेस में जो काम करते है वे सभी आने वाले कल के लिए आज में भागते है ! ये सोच कर की कल शहर को ये जानकारी देंगे ! और शहर वाले न्यूज़ पेपर हाथ में लेते ही ये देखते है की कल ( अतीत में ) शहर में क्या हुआ ! तो प्रेस वाले भविष्य के लिए आज भागते है पर उसका परिणाम विपरीत होता है समाज के सामने उनका भविष्य के लिए किया गया काम अतीत की सूचना भर ही रहता है ! सो मुझ प्रगतिशील रचनाकार को मीडिया लाइन से ही अलगाव हो गया था फिर कई ऑफर भी मिले लेकिन मैंने दोबारा प्रेस मीडिया के लिए कैमरा नहीं उठाया और ये जान पाया की ईमानदारी की राग अलापने वाले कितने ईमानदार है अपने परिवार वालों के साथ भी !
इस सारी बात को मैंने भी मेरे सिमित समय में सेमिनार में भी रखा पर सब को सुन ने के बाद जब मुझे आमंत्रित किया गया बोलने के लिए संयोजक श्री राजेंद्र जोशी के द्वारा तब !
सेमिनार का आगाज किया राव बीकाजी संस्थान के प्रभारी श्री नरेंद्र सिंह सियाग साहब ने आप ने सब का स्वागत किया तो , गीतकार कवित्री श्री मनीषा आर्य सोनी जी ने एक संवेदनात्मक गीत से सेमिनार को स्वर रंग दिए और विषय परवर्तन किया अतिरित्क निदेशक जनसम्पर्क अधिकारी श्री हरिशंकर आचार्य जी ने !
आपने मीडिया के तब से लेकर अब तक के सफर को व्याख्यायित करते हुए विषय को रखा !
आप के बाद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादक मास्टर राघव राव जी ने अपने विचार रखते हुए कहा की समय के साथ मीडिया का स्वरुप बदलना स्वाभाविक है ! क्यों की समय साक्ष्य और सत्यापन मांगता है और त्वरित भी !
मीडिया कर्मी सुमित शर्मा ने भी अपने विचार रखते हुए कहा की समाज की भी जिमेवारी है मीडिया के साथ खड़े रखकर सत्य को स्थापित करने की !
समाज सेवी श्रीमती विमला मेगवाल ने भी मीडिया को समाज के मुलभुत तत्व को प्रकाशित करने की बात कही ! साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार जी ने भी अपने शब्दों में मीडिया से साहित्य कला संस्कृति के उथान के लिए ठोस कार्य करने की मांग को प्रकाशित किया अपने शब्दों में !
वरिष्ठ पत्रकार श्री धीरेन्द्र आचार्य जी ने कहा की मीडिया कर्मी भी एक व्यक्ति हे जिसे आजीविका चलानी होती है और वो चलाता है साथ ही यही बात मीडिया हाउस यानी की मीडिया कंपनी के लिए भी होती है ! फिर भी उन्होंने कहा एक दो उदहारण देते हुए कहा की पत्रकारिता में नीतिगत पत्रकारिता करने का प्रयास रहना जरुरी है तब का मुझे पता नहीं पर अब ये बहुत जरुरी हो गया है !
महाराजा गंगा सिंह विश्व विद्यालय के उप कुल सचिव डॉ. बिठल बिस्सा जी ने कहा की मीडिया के आज कई प्रकार हो गए है ,मीडिया में प्रचार के लिए भी कुछ लोग अनायास ही आ गए है प्रेस कार्ड भी उन्होंने धारण कर लिए है पर वे पत्रकारिता या मीडिया के चौथे स्तम्भ की गरिमा को संभाल ने में असक्षम ही है ये आज के मीडिया के लिए हानि वाली बात है !
साहित्यकार कमल रंगा जी ने अपनी बात को रखते हुए कहा की अर्थ पार्जन का आधार बन रहा है मीडिया मीडिया हॉउस वालों के लिए या वे उसे ऐसा ही बनाना चाहते है जो आज मीडिया की साख को बड़ा नुकसान है ! व्यवसायी और समाज सेवी डॉ. नरेश गोयल जी ने भी कहा की मीडिया को अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाना होगा तो समाज को सही दिशा और दशा मिलेगी !
साहित्यकार और आकाशवाणी बीकानेर के उद्घोषक श्रीमती मनीषा आर्य सोनी जी ने भी पत्रकारों के द्वारा पत्रकारिता के नाम पर किये जारहे दोहन को सांकेतिक रूप से कहा ( अब के सन्दर्भ में ) ! डॉ. पूजा जी ने भी पत्रकार की मीडिया की स्वतंत्रता के विषय में बात रखी ! तो साहित्यकार मोइनुदीन जी ने मीडिया में होरही पक्ष पात की अब की स्थिति को न्यूज़ के विवरण के उदहारण से सब के सामने रखा !
साहित्यकार , वरिष्ठ पत्रकार श्री मधु आचार्य आशावादी जी ने मीडिया के सभी माध्यमों को मीडिया ही माना ! आप ने कहा की समय के साथ मीडिया भी बदला है और उसका ये ऐसा होना स्वाभाविक भी है और जरुरी भी ! मीडिया तब भी देश की व्ववस्था का चौथा पिलर था और वो आज भी है बशर्ते समाज देश उसे माने तो न !
वरिष्ठ रंग कर्मी डॉ. दयानन्द शर्मा जी ने भी अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा की रंगकर्म भी एक मीडिया रहा है तब जिसका स्वरुप बदल गया है अब ! खेल लेखक और व्यंगकार श्री आत्माराम भाटी जी ने भी वही चिंता जाहिर की जो मैंने कला के लिए की है ऊपर ! आप ने कहा की कभी मीडिया के जरिये ही हम किसी बड़े खिलाडी या खेल या फिर किसी खास खेलमैदान के बारे में आर्टिकल के जरिये ही जान पाते थे ! यहाँ तक की खेल की आगे की प्रणाली भी खेल लेखक के आलेख के विवरण के आधार पर की जाती थी पर अब सब न के बराबर ही है गिने चुने चार पांच खेल लेखक ही देश में लिख रहे है उसमे मैं भी एक हूँ हमारे बीकानेर से अब !
साहित्यकार अशफ़ाक़ कादरी जी ने भी साहीत्यिक विवेचना के प्रकाशन में कमी आने की बात को कहा तो कला समीक्षक इस्रारहसन कादरी जी ने भी बताया की अब कला समीक्षक के लिए जगह ही नहीं है आज के मीडिया के पास वे स्पेस देते ही नहीं है कला संस्कृति को जैसे की तब दिया जाता रहा है !
शिक्षाविद डॉ. यशपाल आचार्य जी ने माना की मीडिया को अपने धर्म को निभाना पड़ेगा अगर समाज को सही अर्थों में मार्ग दिखाना है तो ! डॉ. रितेश व्यास ने पत्रकारिता में हो रहे आलसी पन की व्रती को प्रकट किया ! सांस्कृतिक संवादाता किसी कार्यक्रम में जाते नहीं रिपोर्टिंग वे करते नहीं जो मिला उसे लिया कॉपी पेस्ट किया वाक्य त्रुटि अशुद्धि जैसी हे वैसी ही प्रकाशित करदी तो आने वाले या अब के समय में जो भाषा गत निर्माण होना है वो कमजोर ही हो रहा है अब !
डॉ.रितेश के तुरंत बाद मुझे बोलने को कहा गया और मैंने दो बिंदुओं में मेरी बात रखी पहले बिंदु में कला पक्ष के लिए कला समीक्षकों और उनकी समीक्षा का अभाव जो मीडिया में तब नहीं था पर अब है ! दूसरा मीडिया में ईमानदारी के लिए लड़ने वाले स्वयं ईमानदारी के पथ से कोशो दूर है अब !
साहित्यकार गीतकार श्री जुगलकिशोर पुरोहित जी ने भी मीडिया की दशा और दिशा के सन्दर्भ में सकारात्मक बात रखते हुए कहा की मीडिया समाज का आइना है उसे साफ सुथरा रखना हमारा और हमारे समाज का काम भी है !
आभार ज्ञापित किया राव बीकाजी संस्थान कीओर से डॉ.मोहमद फारूक साहब ने पुरे सेमिनार को संयोजित और संचालित किया श्री राजेंद्र जोशी जी ने !
राव बीकाजी संस्थान के सदस्य साहित्यकार श्री संजय पुरोहित जी ने सेमिनार मिडिया का बदलता स्वरुप तब और अब की पूर्ण भूमिका / परिकल्पना के साथ आयोजन को सफल बनाने की विचारणा को साझा की ! ( आप द्वितीय पंक्ति में बैठे थे सो मेरे स्थान से आप का फोटो लेने के बाद भी आप की स्पष्ट छवि न आने के कारण फोटो साझा नहीं कर रहा हूँ क्षमा प्रार्थना के साथ )
यहाँ पुरे सेमिनार के छाया चित्र मेरे कैमरा की नजर से आपके अवलोकन हेतु !
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Photo from Poet Rajaram Swarnkar |
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Photo from Poet Rajaram Swarnkar |
As a art master of visual art I also shoot some pictures of that seminar so here I am sharing with you for your visit ..
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photo from Poet Jugal Kishor Purohit |
I joined that seminar because I am master of visual art or I hope to media for promote to culture and I was worked for media as a press photographer so I were put a critical question from my side as a critic or as a former press photographer , because in both point I noticed to changing face of media then and now .
So here I write about it ..Seminar the changing face of media then and now from Rav Bikaji Sansthan Bikaner 2025
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
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