The
Journey for
Abhinav
Rajasthan 2016
Birla Auditorium Jaipur ..25 Des. 2016 |
Wild Life care is a
duty of all peoples of our world. I am member of this world family so I know my duty for I am following it time to time .
this week I were shared to my two days
to Abhinav Rajasthan Unite . they are busy in designing work for New Rajasthan
. in this concept they are selecting very important or nature care work or
workers . this kind of concept is giving a positive view or vision to society
so I were joined their event or meeting at Birla Auditorium at Jaipur . the
Center of Rajasthan or my work /education of art place .
Dr. Ashok Choudhary Presenting to Sir Braj Narayan Kiradu ji |
Dr. Devendra Sharma is telling about condition of farming/farmer at Stage of Abhinav Rajasthan |
So on date 25
December 2016 Dr. Ashok Choudhary and His Abhinav Rajasthan
Team Was gave reward to Sir Braj Narayan Kiradu ji , he was sowed Sir Braj Narayan Kiradu Is a role Model and his
work Place is practical model for ABHINAV RAJASTHAN concept .
Here I want to share
that two days Journey for your notice. I wrote that in Hindi . I hope you will translate it on online translator
for your study or reading ..
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ,
माली सींचे सो घड़ा पण रुत आये फल होय !
ये दोहा याद आ रहा है मुझे , मेरी दो दिन की जयपुर यात्रा के बाद ! दो महीने पहले बीकानेर के हनुमान मठ जो की गोचर भूमि में स्थित है ! में डॉ. अशोक चौधरी जी से मिलने का अवसर मिला ! उन्होंने अपने कार्य अभिनव राजस्थान और उसकी ५ साल की यात्रा के बारे में जिक्र किया श्री ब्रजनारायण किराडू जी के समक्ष ! और उन्होंने अपने विचार अभिनव राजस्थान की संकल्पना का एक प्रत्यक्ष और प्रायोगिक स्वरुप देखा बीकानेर की शरह नथानिया गोचर भूमि में ! जिसे साकार किया है श्री ब्रज नारायण जी ने, गो वंश के लिए सेवन घास को पुनः जीवित करने और गो वंश के लिए आहार हेतु ! आठ हजार बिगा भूमि पर केवल और केवल सेवन घास का प्राकृतिक वातावरण में उपज करना डॉ अशोक चौधरी जी के मन मस्तिष्क पर अपने प्रभाव को छोड़े बगेर नहीं रह सका ! उन्होंने अपने अभिनव राजस्थान की २५ दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम के लिए श्री ब्रजनारायण किराडू जी को आमन्त्रित किया, इस मन से की उनके द्वारा गो वंश को गोचर से जीवन देने की वैदिक विचरणा और कार्य प्रणाली को पुरे राजस्थान के लोग जाने समझे और उस पर क्रियान्वयन भी करे !
श्री ब्रज नारायण किराडू जी ने सहमति दी और उनकी सहमति के बाद मुझे सौंपी गयी एक जिमेवारी डॉ. अशोक चौधरी जी के द्वारा की मैं उन्हें अधिक से अधिक द्रश्य चित्र ( फोटोग्राफ ) उपलब्ध करवाऊं उनके अभिनव राजस्थान के प्रोग्राम में प्रस्तुति के लिए ! मैंने गोचर में तालाब निर्माण के कार्य , ११००० पौधा रोपण के कार्य और सेवन घास के बाड़े खोलने के उपक्रम को मेरे कैमरे से शूट किया हुआ था सो वो सारे छायाचित्र मैंने ई मेल से भेजे ! ( ये मेरी वास्तविक जिमेवारी थी एक कलाकार होने के नाते जिव कल्याण के कार्य में जिसे मैंने ईमानदारी से पूर्ण किया बिना किसी स्वार्थ के ! )
दिनाक २४ दिसंबर को हम कोई १० लोग हनुमान मठ ( गोली वाले हनुमान जी बीकानेर ) से जयपुर को रवाना हुए !
यात्रा का वास्तविक रूप २४ को आरम्भ हुआ पर उसका प्रारूप कोई दो महीने पहले ही बन चूका था !
जयपुर यात्रा में श्री ब्रज नारायण किराडू जी के संग पूर्व सरपंच राजेंद्र सिंह जी, गंगा पिंजरा प्रोल गौशाला निर्देशक श्री राजेश बिनानी जी , राजपूत समाज संघ के श्री अजित सिंह जी , सेवानिवृत उरमूल ट्रस्ट के श्री गोवर्धन किराडू जी , गोपालक मनोज , गोपालक प्रेम , मैं स्वयं और गो सवेक विक्रम सिंह !
यात्रा का प्रथम पड़ाव रहा श्री डूंगरघड़ हाइवे पर बने हनुमान मंदिर पर , वहां से दर्शन के उपरांत हमारी गाड़िया रुकी जाकर सालासर बालाजी मंदिर में दर्शन और फिर चाय नास्ता करके हम पहुंचे सीधे जयपुर ! एक विश्राम गृह में हमने डेरा बनाया ! कुछ पल आराम पाया और फिर उसके बाद हमसे मिलने आये अभिनव राजस्थान के निर्देशक डॉ. अशोक चौधरी जी उनके साथ दो और विशेष व्यक्तित्व के धनि , एक चार्टेंट अकाउंटेन्ट और एक थे दिल्ली हाई कोर्ट के वकील ! उनसे श्री ब्रजनारयण जी ने गोवंश को जीवित् रखने के विषय पर काफी चर्चा की जो ज्ञान प्रदत थी मेरे लिए !
रात्रि में डॉ. अशोक जी के जाने के बाद हम लोग भी चर्चा करते रहे एक दूसरे को सुनते कहते और इस बिच मैंने अपने कैमरे से छाया चित्र लेता रहा मेरी ड्यूटी करता रहा मौन रूप से !
अगली सुबह यानि २५ दिसंबर की सुबह हम १० बजे विश्राम गृह से बहार आये और पहुंचे सीधे बिरला सभागार ( जयपुर का सबसे बड़ा सभागार ) ! वहाँ ११: ३० पर प्रवेश था सो हम वापस निकले नाश्ता करने को और ठीक ११ :३० पर पुनः पहुंचे बिरला सभागार में ! वहाँ हमने देखा अभिनव राजस्थान की टीम स्वागत में उपस्थित थी छोटी छोटी कन्याये अपने हाथ से कुमकुम का तिलक कर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति विशेष का स्वागत कर रही थी ! मैंने तिलक अपने ही हाथ ऊँगली से गलाया मेरे माथे पर ( ये मेरा संस्कार है या आदत पा जो समझे ) !
सभागार में श्री ब्रज नारायण किराडू जी को और उनके साथ हमें भी प्रथम पंक्ति में स्थान मिला ! इस बिच मेरे कॉलेज का सहपाठी भी मुझे वहाँ दिखा ! कभी वो मेरे बगेर रह नहीं सकता था और समय ने हमें २५ दिसंबर को कोई ९ साल बाद वापस मिलने का अवसर दिया !
मित्र से मिलने मैं गया और उस से बोला की मैं प्रथम पंक्ति में हूँ रो तुम पीछे की ! थ्री इडियट फिल्म के एक द्रश्य को मित्र को याद दिलाया हमारी जीवन कहानी से जोड़ते हुए और मित्र अपनी हँसी नहीं रोक पाया ( उस मित्र का मेरे लिए स्टेट मेंट रहा है कॉलेज टाइम में की जितना वो मेरे साथ हँसा उतना वो अपने जीवन में कभी नहीं हँसा ) मेरे लिए तो उसके वो सचे शब्द ही जीवन भर की कमाई है ,उपलब्धि है ! सॉरी अब मेरी आँखों में पानी है सॉरी...
ओके मंच से एक काव्य अंदाज में सञ्चालन करता सञ्चालन कर रहे थे सहयोगी के रूप में मास्टर गगन जोशी भी उपस्थित थे मेरे बचपन का पडोसी बच्चा क्यों की मुझसे बहुत छोटा है ! उस मंच से पहले पहल अभिनव राजस्थान के बारे में जानकारी दी गयी ! फिर अभिनव राजस्थान की पाँच साल की यात्रा को क्रमबद्ध रूप में मंच से सबके समक्ष रखा गया ! और डॉ. अशोक चौधरी जी ने श्री ब्रज नारायण किराडू जी के कार्य को बड़े ही अच्छे तरीके से मंच से अपने प्रभाव शील शब्दो से प्रस्तुत किया ! फिर बड़ी स्क्रीन पर श्री ब्रजनारयण किराडू जी के कार्य के छाया चित्रो को प्रस्तुत किया ( वो मेरे छायांकन सृजन अभिव्यक्ति का भी प्रस्तुति करण था ) ! श्री ब्रज नारायण किराडू जी के परिचय के बाद उन्हें मंच पर आमंत्रित किया और विशिष्ठ व्यक्तित्व के धनि श्री देवेंद्र शर्मा जी के कर कमलों से उन्हें एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया ! उस पल हॉल में आये हुए सभी लोग अपनी सीट से खड़े होकर श्री ब्रज नारायण किराडू जी के लिए ताली बजा रहे थे ! वो वास्तविक सम्मान था ब्रजनारायण जी को अभिनव राजस्थान के परिवार की ओर से ! श्री ब्रज नारायण किराडू जी के साथ चार और अन्य क्षेत्र जिसमे चित्रकला , रंगमंच , चिकित्सा और पत्रकारिता के लोगो को भी सम्मान दिया गया उनके अभिनव कार्य के लिए !
सम्मान समारोह के उपरांत डॉ. अशोक चौधरी जी की लिखी पुस्तक ** असली लोकतंत्र असली विकास ** का लोकार्पण मंच से हुआ जिसका लोकार्पण अर्थशास्त्री श्री देवेंद्र शर्मा जी ने अपने कर कमलो से किया !
पुस्तक लोकार्पण के तत पश्चात् देवेंद्र शर्मा जी ने अपने अध्यन , अनुभव और समसामयिक कृषि अर्थव्यवस्था और उसके प्रभाव को अपने तार्किक तथ्यों से साथ प्रस्तुत किया ! बड़े ही सरल और सटीक शब्दों में जो मेरे लिए अभिनव अनुभव था सो उस अभिनव अनुभव को प्राप्त करवाने के लिये श्री देवेंद्र शर्मा जी को साधुवाद !
कार्यक्रम के समापन पर वन दे मातरम के गीत को प्रस्तुत किया गया और उस पल तक डॉ. अशोक चौधरी जी मेरे पास वाली सीट पर आकर बैठे। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और गीत के समाप्त होते ही उन्होंने मेरे कान में कहा की अब एक भारत माता की जय हो जाये तो मैंने मेरी पूरी आवाज ( बुलन्द आवाज ) में भारत माता की जय हो की ध्वनि उत्पन की तो पुरे सभागार ने उस जयकार की गूंज को पुनः गुंजाया !
अभिनव राजस्थान के कार्यक्रम की समाप्ति के बाद हम डॉ. अशोक चौधरी जी को वापसी की सूचना देते हुए अपनी गाड़ियों में आकर बैठे और सीधे आगये बीकानेर रोड पर और सफर का उत्साह और अभिनव राजस्थान समारोह की सफलता के विषय की चर्चा करते करते हम पहुंचे बीकानेर और इस प्रकार हमारी यात्रा सम्पन हुई ! और किसी के अपने जीवन में धीरज रखने , निरंतरता रखने से सुख रूपी जो फल मिलता है वो मैंने प्रत्यक्ष देखा अनुभूत किया और इसी कारण मुझे ये दोहा याद आ गया की ** धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ,माली सींचे सो घड़ा पण रुत आये फल होय ! ** और इसी कारण से मैंने इस यात्रा वृतांत को इस दोहे से ही आरम्भ करना उचित समझा !
Dr. Ashok Choudhary and Myself |
So here I said the Journey for Abhinav Rajasthan ..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA