ART
IS NOT A ADVENTURE
Friends we know art is
a tool of peace designer or Creator . but some artist are taking to art like a
adventure . but it is not a right way for social art . for self fun of artist
it is not wrong in form of adventure but when art come in mid of society then ,
there society need some strong mean of that art about use of Society like a
culture or folk activity .
I am saying it because
in this month I were visited a live
performance art work and activity of a International artist Vibha Gahlotra INDIA . she was came in my city Bikaner for create a social art work
like a campaign against pollution of environment ! her art concept was good but
that’s presentation was a very critical and complicated from side of Art medium . Before her art performance I were
talked to her and knew about her art activity or performance , she was
told to me I will create a cloud in sky
by black kites , that will express to pollution of air.
Here concept was nice
and different , she was selected to best kite rider of Bikaner for her art
performance . but she is not know how to fly kite in sky so critical condition
was there with her . A Artist was not knew the medium nature for art work in that case art medium can’t come in control
of artist so it is critical too . this same
condition I were saw in artist VIBHA or her art concept . she told one day air
will empty from our Environment , and she was selected air for her art work
performance , she was used black kits and kite riders of Bikaner , but kite
riders were not visual artist and artist was not a good kite rider so that
condition of both of them was very critical and funny too. I were observed to that live performance as a
visitor . kind your information , I know
how to fly a kite in sky and what nature of a kite , so before of that art
performance of artist Vibha I said to her , your concept is good but it will
not get a perfect visuals just like your
idea because I know kite have a different
type nature with air.
After listen my critical
words Artist Vibha Said to me in Hindi ( PAR YE DIL HAI KI MANTA NAHI ) my
heart is not accepting it ,if can’t
create cloud of kites in sky . ha ha
So First day she was
invited to RAN BANKURA of Bikaner, , traditional dressed mans of Bikaneri , they were fly black CHANDA a round shape traditional kite of Bikaner , we Bikaneri people are
flying chanda kite on foundation day of our Bikaner. That was very artistic
for my observation. I saw a one
traditional dress up person of Bikaner was flying to a black Chanda in sky , that
was very true criticism on our tradition or culture of today , I observed it as
a Bikaneri . after that performance I were told about this think to artist
Vibha and I were inform to her your kite
cloud of kites will not get a right shape because kite have different nature to
visuals art nature.
But artist Vibha was
still with her concept , she was needed a drawing of cloud by kite in sky for her art
performance , but second day air was blowing very fast so kits was going out of
control from hand of best kite rider . I saw there kite riders and artist vibha
was leaved patience and her team was watching to me critically .ha ha..but I were
in peace and gave a idea for patience or post pond for next day that art exercise or adventure of
kite . that day air was teaching to
Artist Vibha , air was saying to her I will
not empty , I will live with lots of flow or blowing on earth in your
environment .
Third day artist Vibha
was not invited to me, but she was again tried for get a success of
her idea but she was not get success of her idea about kite so kite was not
gave to her a perfect visuals of cloud by kites .
But in that two days I were
noticed to concept of artist Vibha and her right aim. I were noticed her
campaign of pollution as a critic and then I were wrote two note in Hindi on
her art exercise . In her campaign concept she was right but in practical life
she was also creating clouds of pollution by her car smoke . she was came Bikaner
by car so pollution stopper was creating pollution , what was that and what I say
to that ? you tell me .
Here my critical Hindi note for your reading .on art
adventure of artist Vibha Galhotra
1. https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10203039936654007&set=a.1159622585403.2025211.1072945182&type=1&theater
मित्रों इन दिनों बीकानेर में एक दृश्य कला की
मास्टर कलाकार विभा गहलोत्रा बीकानेर आई हुई है ! पर्यावरण संग्रक्षण के
लिए सामजिक चेतना जगाने को पर्यावरण को प्रदुषण से बचाने को ! बात सही है
उपयोगी और जरुरी भी स्वस्थ वातावरण के लिए ! कलाकार विभा अपनी बात कलात्मक
अभिव्यक्ति के जरिये कहना चाहती है और इस अभिव्यक्ति के लिए कलाकार विभा
ने बीकानेर के नाथ जी के धोरे पर स्थित पतंग बाजी वाले खेल मैदान को अपनी
कला सृजन स्थली के रूप में चुना है और पत्नग बाजो को अभिव्यक्ति का माध्यम
,अखबार के हिसाब से तीन रोज की इस
कलात्मक गतिविधि का आज पहला दिन था जिसमे मैंने भी अपनी उपस्थिति एक आर्ट
मास्टर के रूप में दर्ज कराई साथ में विभा की कलात्मक अभिव्यक्ति के
प्रस्तुति करण का अध्ययन भी किया एक काल समीक्षक और आर्ट मास्टर के नाते
एक मौन दर्शक के रूप में !
आज पहले दिन कलाकार विभा ने बीकानेर के रोबीले रणबांकुरों को पारम्परिक वेश भूषा में आमंत्रित किया और उनसे काले रंग के पारम्परिक बीकानेर के ऐतिहासिक चंदों को आकाश में उड़वाया ! आकाश में काले चंदे ने प्रदूषित वायु का एक प्रतिक बिम्ब रचा, कलाकार विभा के कला तर्क के हिसाब से ! जो मुझे भी सटीक प्रतिक महसूस हुआ कलाकार की बात के मुताबिक ! कल नयी अभिव्यक्ति होगी बीकानेर के १०० पतंग बाजों के माध्यम से ! पर जब मैंने कलाकर विभा के वैचारिक कलात्मक अभिव्यक्ति और कलाकार विभा के यथार्थ जीवन से जोड़ा तो स्थिति हास्य स्पद और चिंतनीय भी लगी ! उस समय मुझे बचपन में पढ़ी हुई एक सच्ची कहानी याद आई जो महात्मा ग़ांधी जी के जीवन चरित्र से जुड़ी थी ! आप के लिए यहाँ साझा कर रहा हूँ मेरी बात के महत्व को स्पस्ट करने के लिए ! एक बार एक महिला अपने छोटे बच्चे को लेकर महात्मा ग़ांधी जी के पास गयी और उनसे निवेदन किया की बापू मेरा ये बेटा गुड़ बहुत खता है जिस से इसके पेट में कीड़े हो गए है ! ये आप से बहुत प्रभावित है हर दम बापू बापू कहता रहता है हम से आप के बारे मे जो बाते है वो जान ने की कोशिश करता है ! ये आप से बहुत प्रभावित है ! सो आप इसे कहे की गुड ना खाए ये सेहत के लिए ख़राब होता है ! महात्मा गांधी जी ने उस महिला से कहा बेटी तुम इसे मेरे पास पंद्रह रोज बाद लेकर आना तब जो तुम कह रही हो वो मै इसे कह्दुंगा ! वो महिला पंद्रह रोज बाद वापस महात्मा गांधी जी के पास आई और गांधी जी से आग्रह किया की अब आप कहे इसे की गुड ना खाए ! महात्मा ग़ांधी जी ने उस महिला के शब्द उस बच्चे के लिए दोहरादिये की बेटे गुड नहीं खाना चाहिए इस से पेट में कीड़े पड़ जाते है ! महिला साधारण शब्दों को सुनकर गुसा हुई और बोली की इतनी सी बात के लिए आप ने पंद्रह दिन का समय लिया ये शब्द तो आप उसी रोज कह सकते थे मुझे कोसो दूर से आना जाना पड़ा बस इतनी सी बात के लिए क्यों बापू ? तो महात्मा ग़ांधी जी ने मुस्कुराते हुए कहा की ऐसी बात नहीं है बेटी पंद्रह रोज पहले मै भी गुड खाता था ! तो जो काम मैं खुद कर रहा हूँ उसके लिए मै किसी और को कैसे बाध्य कर सकता हूँ ! इन पंद्रह रोज में मैंने गुड नहीं खाया और ये पाया की गुड ना खाने से भी स्वस्थ रहा जा सकता है ! तो अपने अनुभव और त्याग के बाद आज मैं इस स्थिति में हूँ की मैं इस बचे से वो कहूँ जो तुम मुझसे कहलवाना चाहती हो की बेटा गुड मत खाना इस से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है ये तुम्हे तकलीफ देरहा है स्वस्थ रहने में ! महिला ने महात्मा गांधी जी से क्षमा मांगी और बचे को लेकर चली गयी !
कलाकार विभा भी देल्ही से बीकानेर अपनी निजी कार के माध्यम से बीकानेर पहुंची है लगभग ५०० किलोमीटर का सफर कार से आने और उतना ही जाने में होना है ! इस बीच कितना वायुप्रदूषण कलाकर विभा की कार से होना है आप ही सोचे और सोचे कलाकार विभा भी …बीकानेर में एक कहावत भी प्रचलित है इस संदर्भ में की आप व्यास जी बैंगन खावे दुसरा ने परहेज बतावे … जय हो .…
यहाँ एक फोटो कलाकार विभा की आज की कला अभिव्यक्ति की, श्री नाथ जी के धोरे से मेरे मोबाइल सैमसंग ग्लेक्सी डुओस से आप के लिए !
आज पहले दिन कलाकार विभा ने बीकानेर के रोबीले रणबांकुरों को पारम्परिक वेश भूषा में आमंत्रित किया और उनसे काले रंग के पारम्परिक बीकानेर के ऐतिहासिक चंदों को आकाश में उड़वाया ! आकाश में काले चंदे ने प्रदूषित वायु का एक प्रतिक बिम्ब रचा, कलाकार विभा के कला तर्क के हिसाब से ! जो मुझे भी सटीक प्रतिक महसूस हुआ कलाकार की बात के मुताबिक ! कल नयी अभिव्यक्ति होगी बीकानेर के १०० पतंग बाजों के माध्यम से ! पर जब मैंने कलाकर विभा के वैचारिक कलात्मक अभिव्यक्ति और कलाकार विभा के यथार्थ जीवन से जोड़ा तो स्थिति हास्य स्पद और चिंतनीय भी लगी ! उस समय मुझे बचपन में पढ़ी हुई एक सच्ची कहानी याद आई जो महात्मा ग़ांधी जी के जीवन चरित्र से जुड़ी थी ! आप के लिए यहाँ साझा कर रहा हूँ मेरी बात के महत्व को स्पस्ट करने के लिए ! एक बार एक महिला अपने छोटे बच्चे को लेकर महात्मा ग़ांधी जी के पास गयी और उनसे निवेदन किया की बापू मेरा ये बेटा गुड़ बहुत खता है जिस से इसके पेट में कीड़े हो गए है ! ये आप से बहुत प्रभावित है हर दम बापू बापू कहता रहता है हम से आप के बारे मे जो बाते है वो जान ने की कोशिश करता है ! ये आप से बहुत प्रभावित है ! सो आप इसे कहे की गुड ना खाए ये सेहत के लिए ख़राब होता है ! महात्मा गांधी जी ने उस महिला से कहा बेटी तुम इसे मेरे पास पंद्रह रोज बाद लेकर आना तब जो तुम कह रही हो वो मै इसे कह्दुंगा ! वो महिला पंद्रह रोज बाद वापस महात्मा गांधी जी के पास आई और गांधी जी से आग्रह किया की अब आप कहे इसे की गुड ना खाए ! महात्मा ग़ांधी जी ने उस महिला के शब्द उस बच्चे के लिए दोहरादिये की बेटे गुड नहीं खाना चाहिए इस से पेट में कीड़े पड़ जाते है ! महिला साधारण शब्दों को सुनकर गुसा हुई और बोली की इतनी सी बात के लिए आप ने पंद्रह दिन का समय लिया ये शब्द तो आप उसी रोज कह सकते थे मुझे कोसो दूर से आना जाना पड़ा बस इतनी सी बात के लिए क्यों बापू ? तो महात्मा ग़ांधी जी ने मुस्कुराते हुए कहा की ऐसी बात नहीं है बेटी पंद्रह रोज पहले मै भी गुड खाता था ! तो जो काम मैं खुद कर रहा हूँ उसके लिए मै किसी और को कैसे बाध्य कर सकता हूँ ! इन पंद्रह रोज में मैंने गुड नहीं खाया और ये पाया की गुड ना खाने से भी स्वस्थ रहा जा सकता है ! तो अपने अनुभव और त्याग के बाद आज मैं इस स्थिति में हूँ की मैं इस बचे से वो कहूँ जो तुम मुझसे कहलवाना चाहती हो की बेटा गुड मत खाना इस से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है ये तुम्हे तकलीफ देरहा है स्वस्थ रहने में ! महिला ने महात्मा गांधी जी से क्षमा मांगी और बचे को लेकर चली गयी !
कलाकार विभा भी देल्ही से बीकानेर अपनी निजी कार के माध्यम से बीकानेर पहुंची है लगभग ५०० किलोमीटर का सफर कार से आने और उतना ही जाने में होना है ! इस बीच कितना वायुप्रदूषण कलाकर विभा की कार से होना है आप ही सोचे और सोचे कलाकार विभा भी …बीकानेर में एक कहावत भी प्रचलित है इस संदर्भ में की आप व्यास जी बैंगन खावे दुसरा ने परहेज बतावे … जय हो .…
यहाँ एक फोटो कलाकार विभा की आज की कला अभिव्यक्ति की, श्री नाथ जी के धोरे से मेरे मोबाइल सैमसंग ग्लेक्सी डुओस से आप के लिए !
2. https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10203046292612902&set=a.1159622585403.2025211.1072945182&type=1&theater
मित्रों जैसा की मैंने आप से कल जिक्र किया था
की बीकानेर के नाथ जी धोरे पर आज १०० पतंगों के माध्यम से कलाकार विभा
आकाश में पतंग से काले बादल को दर्शाएंगी प्रदुषण के काले बादल के रूप में !
सो निमंत्रण से मै समय पर पहुंचा नाथ जी के धोरे ! आज पहले पहल एक बैनर
पढ़ा जो कलाकार विभा ने अपने कला अभिव्यक्ति के बारे में चित्र और शब्द से
कुछ कहने की कोशिश को व्यक्त किया हुआ था ! मैंने जाना की कलाकार विभा ने
भविष्य की चिंता को अभिव्यक्त करने की कोशशि की है और लिखा है की एक दिन
हवा ख़त्म हो जाएगी जब प्रदुषण की अति हो जाएगी !
यहाँ हास्य और समीक्षात्मक स्थति हुई कलाकर विभा की अभिव्यक्ति के दौरान जो होना लाजमी था ! कलाकार को अपने अभिव्यक्ति के माध्यम की प्रकृति से बखूबी रिश्ता और समझ बना ना अति आवस्यक होता है और ऐसा तालमेल न बैठने से हास्य स्पद घटना ही घटती है इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं !
आज बीकानेर के पतंग बाज भी बहुत उत्साह से पूरी तादात यानी की करीब १०० पतंग बाज या उनसे भी कही अधिक पतंग बाज नाथजी के धोरे पर पहुंचे कलाकार विभा के कलात्मक अभिव्यक्ति को कारनामे अंजाम देने के लिए ! पतंग मास्टर मनोज बिस्सा ( पड़ोस के बचपन के चाचा और आज भी है ) ने बड़ी मेहनत से १०० से भी अधिक पतंगे पतंग बाजों के लिए तैयार कर के रखी एक एक पतंग को टेस्ट करके ! मेहनत भरा काम !
पतंग बाज भी पतंगे उड़ाने को थे तैयार , पर प्रकृति ने छोड़ी आज हवा अपार! जीसे पतंग बाज और उनकी पतंग भी नहीं पा सकी पार , कलाकार विभा का पूर्ण रूप से सफल ना हो सका अभिव्यक्ति का ये नया विचार ! आकाश के उस द्रश्य को कैमरे में कैद करने को फोटोग्राफर भी थे लाचार ! तेज हवा ने ना बनने दिया काले बादल का पतंगों से कोई सही आकार और श्याम होते होते कलाकार विभा भी गयी हवा से हार !
प्रकृति ने तेज हवा के जरिये संकेत दिया की अभी मैं हूँ अपार कलाकार विभा तुम यूँ चिंता ना करो मेरी बेकार !
मैंने जो समीक्षात्मक स्थिति देखि वो ये थी की , कलाकार को पतंग बाजी का अनुभव नहीं , और पतंग बाजों को कलाकार की अभिव्यक्ति की कोई पूर्व परिकल्पना का आभास नहीं ज्ञान नहीं ! वैसे पतंग अपनी स्वयं की एक प्रकृति रखती है जिसे समझकर पतंग बाज पतंग को हवा के माध्यम से कम या अधिक दुरी पर स्थिर या लुढ़काव वाली स्थिति में उड़ा कर नियंत्रण रख सकता है ! पर तेज हवा की प्रकृति में न पतंग की प्रकृति काम करती है न ही पतंग बाज की ओर इस स्थिति में कलाकार की अभिव्यक्ति की प्रकृति का कहा ठिकाना क्यों की वो आधीन है माध्यम के और माधयम( पतंग व पतंग बाज ) नियंत्रण हीन स्थिति में तेज हवा के कारण !
आज के उन तीन घंटों में मैंने देखा कलाकार विभा , फोटोग्राफर टीम , पतंगबाज , सभी कश्मकश में नजर आये की कब हवा बंद हो ,कम हो। अब कहिये हुई की नहीं हास्य स्पद घटना , हवा के खत्म होने की चिंता करने वाले कलाकार को हवा बंद या कम होने का तीन घंटे तक करना पड़ा इन्तजार और उसके बाद भी हवा ने न बदला अपना रूद्र व्यवहार ! सो आज नहीं हो पाया सफल १०० पतंगों से काले बादल का आकार ! कलाकर विभा ने भी समझा होगा आज! की माध्यम की प्रकृति को आत्मसात करके ही कला अभिव्यक्ति को देना चाहिए कोई आकार ! अन्यथा हास्य ,व्यंग,और आलोचना लेकर अनेको प्रश्न रहती है समक्ष कलाकार के हमेशा तैयार !
एक प्रश्न कलाकार विभा के लिए की जब हवा ही नहीं होगी तो पतंग का क्या अर्थ रह जाएगा और क्या पतंग बाज का ? जय हो।
यहाँ हास्य और समीक्षात्मक स्थति हुई कलाकर विभा की अभिव्यक्ति के दौरान जो होना लाजमी था ! कलाकार को अपने अभिव्यक्ति के माध्यम की प्रकृति से बखूबी रिश्ता और समझ बना ना अति आवस्यक होता है और ऐसा तालमेल न बैठने से हास्य स्पद घटना ही घटती है इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं !
आज बीकानेर के पतंग बाज भी बहुत उत्साह से पूरी तादात यानी की करीब १०० पतंग बाज या उनसे भी कही अधिक पतंग बाज नाथजी के धोरे पर पहुंचे कलाकार विभा के कलात्मक अभिव्यक्ति को कारनामे अंजाम देने के लिए ! पतंग मास्टर मनोज बिस्सा ( पड़ोस के बचपन के चाचा और आज भी है ) ने बड़ी मेहनत से १०० से भी अधिक पतंगे पतंग बाजों के लिए तैयार कर के रखी एक एक पतंग को टेस्ट करके ! मेहनत भरा काम !
पतंग बाज भी पतंगे उड़ाने को थे तैयार , पर प्रकृति ने छोड़ी आज हवा अपार! जीसे पतंग बाज और उनकी पतंग भी नहीं पा सकी पार , कलाकार विभा का पूर्ण रूप से सफल ना हो सका अभिव्यक्ति का ये नया विचार ! आकाश के उस द्रश्य को कैमरे में कैद करने को फोटोग्राफर भी थे लाचार ! तेज हवा ने ना बनने दिया काले बादल का पतंगों से कोई सही आकार और श्याम होते होते कलाकार विभा भी गयी हवा से हार !
प्रकृति ने तेज हवा के जरिये संकेत दिया की अभी मैं हूँ अपार कलाकार विभा तुम यूँ चिंता ना करो मेरी बेकार !
मैंने जो समीक्षात्मक स्थिति देखि वो ये थी की , कलाकार को पतंग बाजी का अनुभव नहीं , और पतंग बाजों को कलाकार की अभिव्यक्ति की कोई पूर्व परिकल्पना का आभास नहीं ज्ञान नहीं ! वैसे पतंग अपनी स्वयं की एक प्रकृति रखती है जिसे समझकर पतंग बाज पतंग को हवा के माध्यम से कम या अधिक दुरी पर स्थिर या लुढ़काव वाली स्थिति में उड़ा कर नियंत्रण रख सकता है ! पर तेज हवा की प्रकृति में न पतंग की प्रकृति काम करती है न ही पतंग बाज की ओर इस स्थिति में कलाकार की अभिव्यक्ति की प्रकृति का कहा ठिकाना क्यों की वो आधीन है माध्यम के और माधयम( पतंग व पतंग बाज ) नियंत्रण हीन स्थिति में तेज हवा के कारण !
आज के उन तीन घंटों में मैंने देखा कलाकार विभा , फोटोग्राफर टीम , पतंगबाज , सभी कश्मकश में नजर आये की कब हवा बंद हो ,कम हो। अब कहिये हुई की नहीं हास्य स्पद घटना , हवा के खत्म होने की चिंता करने वाले कलाकार को हवा बंद या कम होने का तीन घंटे तक करना पड़ा इन्तजार और उसके बाद भी हवा ने न बदला अपना रूद्र व्यवहार ! सो आज नहीं हो पाया सफल १०० पतंगों से काले बादल का आकार ! कलाकर विभा ने भी समझा होगा आज! की माध्यम की प्रकृति को आत्मसात करके ही कला अभिव्यक्ति को देना चाहिए कोई आकार ! अन्यथा हास्य ,व्यंग,और आलोचना लेकर अनेको प्रश्न रहती है समक्ष कलाकार के हमेशा तैयार !
एक प्रश्न कलाकार विभा के लिए की जब हवा ही नहीं होगी तो पतंग का क्या अर्थ रह जाएगा और क्या पतंग बाज का ? जय हो।
She was taken her art performance
of kite fly like a adventure , may be that was a good adventure for artist Vibha , kite flyers or some people
of Bikaner . but in real aim that was giving me feeling of a adventure game not
a true art work .it was true .
Artist Vibha was
indicted to our Bikaner society about pollution by her art activity , she was
informed to us about pollution but she was not gave to us a way of stop to
pollution and how to stop to pollution .so I was critical for her art campaign by my art
view.
In answer to artist Vibha for her pollution campaign
concept , I were started a work for creation of oxygen by natural way . that is
one and only farming or green land creation
work . Agriculture science saying only tree and plant can accept and
observe to polluted air and convert to that polluted air in fresh oxygen . oxygen is a pure air for our
life . so its my advice to artist Vibha
.why she is not create a planting concept for stop to pollution of our
Environment , here no any adventure but this concept can give lots of fresh air
and life to our environment and by this natural art activity air will not empty
in our environment .
So here I said art is not a adventure ..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
1 comment:
Yogendra I've read with interest your statements and although I agree with you on your objection to using kites as a way of showing pollution on a windy day is somewhat futile. But every artists in their own way tries new things. Whether they work or not does not diminish the art or the artist. Art is the creation of new ideas, no matter what form it takes, the mere fact that it fails does not reduce its importance. Its the attempt at creation is what's important.
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