Sunday, July 20

Art Vibration - 330



NATURAL CANVAS IS IN UNDER PROCESS OF NATURAL PAINTING


Friends After Fifa world cup of football , I were got busy to myself in natural painting process . before two year I were shared a post with you on this natural art work . but that time  I were did that in very hurry .so I were not worked for a perfect or a complete natural canvas . 

In this days I am busy for right shape of my natural canvas that’s size is 825X825 feet’s in squire shape . it is a natural canvas here natural canvas mean is a farming land .i have a historical farmland of our family . so before two year I were worked on that farm land as a artist or in short time I were painted green land by natural leafs of nature . but that time our farmland in  my view natural canvas  was not in a squire shape so that was not a academic art work by me . 

But this year I am busy in creation of a perfect natural canvas  for a natural painting . so I got our  squire farm land ( 25 Bigga) from rule of Government of Rajasthan .Govt. was gave to us , our  four right corner of farm land in  my words for natural canvas, that right corner is giving me full confidence for natural painting with full freedom so I am very thankful for our RAJASTHAN GOVERNMANT , or our Patwari ji . 

On facebook I have shared my daily work about natural canvas with visuals . in that notes or visuals you can see the progress of creation of natural canvas  for natural painting. In that art action I were leaved shared  my art time with facebook communication , so  you can say to my condition I have leaved  facebook and working on field book .field book is a subject of math’s . so a art master is working with math’s for a right natural canvas or for natural painting after good rain in this rain time . 

Here I want to share that all facebook notes and visuals  for your visit and reading . ( that note is in hindi and my work is on for a perfect natural canvas …) 

I know this post is  get a very long post shape by text and live visuals in words or pictures but it is must if I share a true art work story of  myself for preparation of a right natural canvas creation about natural painting . I sure  you notice  to  my heard work and dedication for a natural canvas creation.

 Note -1 date 9 july 2014 


Near Our Farm land ..it is farm clay cake for construction
मित्रों आज का दिन भी बिता हमारे खेत की सफाई के कार्यक्रम में ! आज खेत में करावा नाम के उपकरण से ट्रेक्टर के माध्यम से रेट के टीबों को समतल करने का प्रयास किया गया जिसमे नुबे फीसदी कामयाबी मिली ! कल हमारे खेत के उस हिसे में काम करना है जी हिसे की उपजाऊ मिटी पडोसी खेत के मालिक ने उपियोग में ले ली ईंटे बनाने में और उसके बाद बरसात ने हमारे खेत की मिटी को ओर काट कर के कोई १० फिट गुना ६० फिट गुना १० फिट का एक बड़ा घढा बना दिया है ! कायदे से घढे की भरपाई का जीमा पडोसी खेत के मालिक श्री मोती लाल पालीवाल जी का है ! पर उनका हमारी चिंता व नुक्सान की तरफ कोई रुझान ही नहीं है! ऐसा उनसे कई बार बात करने से जाहिर हुआ है ! सो ये एक अलग और पेचीदा मसला है की घढा भी हम भरे और उसके खर्च का हर्जाना भी हम ! ये न्याय संगत नहीं है सो आप लोग भी गौर करे !
वैसे कल हम काम शुरू करेंगे घढा भरने का साथ में भुकतान भी करेंगे उस घढे को भरने वाले मजदूरों को लगभग १०,००० से १५, ००० तक ! पडोसी खेत के मालिक श्री मोती जी को सुचना कर दी है की कल हम काम शुरू कर रहे है ! बाकि आगे इस्वर जाने या फिर भारत सरकार। क्यों की सरकार का ही नारा है जय जवान, जय किशान ,
गौर तलब बात ये भी है की हमारे खेत के दो सिरे उत्तर और दक्षिण दिशा में दो ईंट भटे है ! सो भटों की गर्मी से खेत की उपजाऊ मिटी के उर्वरक तत्व भी नष्ट से हो रहे है और फसल समय से पहले ही जल जाती है क्यों की बरसात भी प्रयाप्त नहीं मिल पाती है बरसात के इस चौमासे में !
आप की जानकारी के लिए मैं बताना चाहूंगा की हमारे खेत की स्थिति ये है की ये स्थित है सांखला फांटा पर जैसलमेर रोड ,श्री कोलायत धाम , बीकानेर , राजस्थान , भारत में।
सकारात्मक दृस्टि कोण को हमेशा जूझना पड़ता रहा है नमकरात्मक परिस्थितियों से ,सो आप के लिए मेरी एक सकारात्मक दृष्टि आप के समक्ष मेरे द्वारा इस नकारात्मक परिस्थिति से जूझते हुए ! जय हो
 

Note -2 date 10 july 2014 

JCB Machine is busy in our farm land for cleaning to dooms .
Natural cleaning work by nature rule on our farm land , natural canvas 
मित्रों आज का दिन भी मेरा गुजरा हमारे खेत में ! सुबह ११ से रात के ८ बजे तक पुरे दिन खेत की रेत से उस घढे को भरने में गुजरा जिसका जिक्र मैंने कल आप से साझा किया था यहाँ पर ! आप के साथ साथ महामहिम राष्ट्रपति भारत, और माननीय प्रधान मंत्री जी भारत व् माननीय राजयपाल राजस्थान को भी इस बात की सुचना की थी ! उम्मीद है वे न सिर्फ गौर ही करेंगे बल्कि एक सकारात्मक परिणाम से भी हमें लाभान्वित करवाएंगे ! आज एक दिन में करावा नाम का उपकरण कोई ६ घंटे चला और कोई तीन चौथाई हिसा ही ठीक से भर पाया उस घढे का जिसे पडोसी खेत के मालिक ने ईंट भटे के उपियोग के लिए हमारे खेत से मिटी लेकर उस घढे का निर्माण हमारे खेत के हिस्से में कर दिया था ! काम पेचीदा है एक दिन में करीब आठ हजार का खर्च पड़ा है इतना ही खर्च लग भग तीन रोज तक और होना है फिर भी पूर्ण रूप से घढे की भरपाई हो भी या नहीं ये तय नहीं है ! पडोसी खेत के मालिक मोती लाल पालीवाल जी का भी कोई सांत्वना जनक या सहायता के भाव की बात नजर नहीं आ रही ! उन से संपर्क करना चाहा पर फ़ोन ही बंद था सो ये एक अलग चिंतन का विषय है , हमारे लिए !
आज उस घढे की ट्रैक्टर से जुड़ने वाले करावे नाक के उपकरण से रेत भरते समय मैंने कुछ तस्वीरें ली जो आप के मूल्यांकन करने हेतु यहाँ प्रेषित कर रहा हूँ। इन तस्वीरों में आप देख सकेंगे की वास्तविक स्थिति कितनी सोचनीय है जिसका निर्माण पडोसी खेत के मालिक की ना समझी, नादानी और आर्थिक लाभ लेने के उदेश्य में प्राकर्तिक उपजाऊ भूमि का नुक्सान किया गया है और अब हम पर आ रहा है अतिरिक्त व्यय भार भी उसी पडोसी खेत के मालिक की गलती की वजह से ! अब आप ही कहे ये कितना न्याय संगत है और कितना उच्चित ? … जय हो …
 
 Note -3 date 12 july 2014 

Tea brake in work of natural canvas
Myself is Busy in drawing work in our farm land , ( Natural canvas )
मित्रों आज मै आभारी हूँ भारत सरकार और चक बंधा एक के तहसीलदार और पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी का ! आज एक ही दिन में हमें खेत के पैमाइश का आदेश मौका मुआइना पटवारी जी के करने के बाद मिला ! चालान कटा तब तक दो बज चुके थे तो विनम्र आग्रह करने पर एस बी बी जे बैंक शाखा कोलायत ने भी हमारेचालान के भुगतान की राशि २०० रूपए जमा कर लिए सो एस बी बी जे बैंक कोलायत को भी आभार !
आलोचनात्मक दृश्य ये देखा कोलायत तहसील में की वह इतनी गर्मी में भी कूलर की व्यवस्था नहीं थी कर्मचारियों के कमरो में और नहीं पटवारी हॉस्टल में वे छोटे कमरे बिना कूलर इतनी गर्मी दे रहे थे की कोई वहाँ बैठे भी कैसे सो अधिकतर कमरे जो की पटवारीयो को दिए गए है भारत सरकार के द्वारा उनपर ताले बंद मिले !
इधर मैं तहसील में व्यस्त उधर खेत पर पडोसी खेत के मालिक वरिष्ठ किशान भैर जी पालीवाल के बताये अनुसार खुदाई करने पर हमें मिला मुरब्बे का पैमाइश वाला एक पत्थर ! जिस से ज्ञात हुआ की बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी ने मुरब्बे बंदी की पैमाइश की कितनी सुव्यवस्थित व्यवस्था भविष्य को ध्यान में रखकर की जो कारगर है और मदद गार भी और वो आज भी भारत सरकार के बीकानेर संभाग के तहसीलदार और पटवारी आदि के लिए खेतों की पैमाइश ( नपाई ) में एक मजबूत और प्रमाणित इकाई के रूप में सहायक है !इस लिए मैं स्व . महाराजा गंगा सिंह जी का भी आज आभारी हूँ ! क्यों की उनकी दूरंदेशी के दृश्टिकोण से हमें हमारे खेत का एक ऐतिहासिक कोण और प्रमाण मिला जो पैमाइश के काम में मदद करेगा. और हमें एक मुरब्बा खेत ( २५ बीघा ) पूर्ण पैमाइश से ठीक वैसे ही मिलेगा जैसा की महाराजा गंगा सिंह जी के राज में मुरब्बा बंदी के हिसाब से था !
Stone  of  Murba bandi  for right condition of our farm land . its fixed from time of State of Maharaja GANGA  Singh ji 

खेत में दूसरी तरफ ट्रैक्टर के माध्यम से आज फिर ६ घंटे करावा नाम का उपकरण चलाकर मिटी के घढे भरने का काम जारी रहा ! पर अंत में खेत की अतिरिक्त मिटी जो झाड़ और केर के कारण टिबे के रूप में जमा हुई थी वो भी समाप्त हो गयी पर घढे की भरपाई नहीं हो सकी ! सो आज फिर से फ़ोन किया हमने पडोसी खेत के मालिक मोती लाल पालीवाल जी को , हमसे न्याय सँगत बात करने को ! ८ बजे के बाद उनके एक बन्दे ने हमसे मुलाकात की हमने स्थिति का जायजा उन्हें मौके पर लेजाकर करवाया और आगे के लिए जो रास्ता हो सकता हैं उसके बारे में भी जानकारी दी ! उनके बन्दे ने कहा ये बात में मोती जी से कहूंगा और फिर वे आप से बात कर लेंगे ! कल गुरु पूर्णिमा है ! मेरे स्वर्गीय दादा जी श्री बुलाकी दास पुरोहित जी के स्वर्गवास का दिन है सो कल उनसे बात नहीं कर सकेंगे न ही खेत जापायेंगे सो परसो पुनः मोती जी से बात होगी कृषि भूमि की उपजाऊ मिटटी के हुए नुक्सान और उसकी भरपाई के लिए ! संभवतः परसो पटवारी बंशी लाल पड़िहार जी भी अत्याधुनिक पैमाइश वाली मशीन के ठेकदार के साथ पैमाइश के लिए समय निकाल कर खेत की और पहुँच जाए !

आज इस सारे उपक्रम में मैंने कोई ४ बजे भोजन लिया खेत में ! फिर खेत में ही समय चुराकर एक ड्राइंग बनायी और आत्मशांति की अनुभूति की अपने सृजन कर्म को करने से। वैसे हमारे खेत को समतल और सम चोरस करने में भी मुझे प्राकृतिक चित्रण का कैनवास तैयार करने की अनुभूति हो रही है जिसमे प्रकृति स्वयं रंग भरेगी बरसात के पानी से ऑक्सीजन की उपज से बीज के नए अंकुरण से। ज़य हो
 Note - 4 date 13 july 2014



Myself is busy in temporary boundary creation for natural canvas .
मित्रों आज का दिन भी मेरा बिता कृषि भूमि के संगरक्षण के प्रयास में ! आज हमारे घर से कोई ३० पट्टी के टुकड़े हमने हमारे खेत में लेजाकर ३० फिट की बाड़ बंदी की अपने ही हाथों से , काम वजनी था पर जरुरी भी , क्यों की हमने, खेत में हुए घढे , जिसे पडोसी खेत के मालिक मोती लाल पालीवाल जी ने रचा हमारी परेशानी के लिए वहाँ लगाये ! १०० फिट से भी अधिक बड़े उस घढे को आज हमने हमारे अतिरिक्त उपियोग हीन पट्टी के टुकड़ों से कोई ३० फिट तक बाड़ बंदी कर के रोकने का प्रयास किया है ताकि अगर बर्षात हो तो उस हिसे की मिटटी तो न बहे बर्षात के पानी के साथ ! वैसे अभी भी ७० फिट से भी अधिक हिस्सा खुला पड़ा है ! जहा बाड़ बंदी अतिआवश्यक है बरसात से पहले ! अन्यथा हमने जो मिटटी खेत के टीबों से इधर उधर से एकत्रित कर के घढे भरे है वो फिर से बह जायेगी पडोसी के खेत में ! सो ये एक बड़ी चिंता का विषय है हमारे लिए क्योंकि हमने खेत के घढे भरने में अब तक कोई २२ से २५ हजार रूपए का निवेश कर दिया है ! पर स्थिति अभी भी चिंताजनक बिना पूर्ण बाड़ बंदी के !
आज पडोसी खेत के मालिक इंटभटे के मालिक ( कृषि भूमि को व्यावसायिक भूमि के रूप में उपियोग कर के कृषि भूमि का दुरुपयोग और नुक्सान करने वाले ) मोती लाल पालीवाल जी से बात हुई ! उन्हें अवगत कराया गया की हमने अब तक २२ से २५ हजार रूपए का खर्च खेत के घढे भरने में व्यय किये है ! और अब खेत की अतिरिक्त मिटटी भी लगभग ख़त्म है सो आप से ये कहना जरुरी हो गया है की आप इस उपजाऊ मिटी के हुए नुक्सान को भरपाई कर के पूरा करवाये ! उन्होंने मिटटी देने का आस्वासन तो दिया पर मिटटी की ढोवाई के अतिरिक्त खर्च को देने से साफ़ मना कर दिया ! सो ये नियम बध बात नहीं लगी मुझे ! उनसे कहा गया की ये नियम की बात नहीं कायदे की बात नहीं! तो वे व्यंग्यात्मक स्वर में बोले की नियम धरे रह जाते है ( आप गौर करे इस बात पर , सरकारी नियम के प्रति आलोचनात्मक व्यंग जो मुझे तो बिलकुल नहीं जमा और आप को भी नहीं जमेगा ये मुझे पता है ! ) जय हिन्द
सो मेरा आग्रह है भारत सरकार से की उन्हें भारत सरकार के नियमावली से और नियम से ठीक ठीक रूबरू करवाये तथा नियम धरे नहीं रहते इस बात से भी उन्हें अच्छे से वाकिफ करावे भारत सरकार के नियम अनुसार !
मोतीलाल पालीवाल जी से बात के दौरान जब उन्होंने कहा की मिटटी लेलो तो मैंने कहा हम कल जे सी बी मशीन मंगवा लेते है ताकि अगर बर्षात आये तो हमारी मिटटी बाड़ बंदी के बाद बहने से रुक जाए ! तो उन्होंने एक नया प्रशन रखा की पहले आप खेत के चारो कोने पटवारी से मिलवाओ फिर मेरे खेत से मिटी लेना सम्भव हो पायेगा आप के लिए , खेत की नपाई से पहले मिटटी नहीं मिलेगी ! सो ये एक और चिंता का विषय की पटवारी जी बंशी लाल पड़िहार जी कब नापेंगे हमारा खेत ? क्या तब , जब बह जायेगी हमारे खेत की रेट ?
आज सायं के समय आकाश में बादल नजर आने लगे , सावन भी कल से शुरू हुआ अब बर्षात ज्यादा दूर नहीं ! दूर है तो हमारा खेत , और उसकी असुरक्षित उपजाऊ कृषि भूमि की रेट। पटवारी जी के खेत नापने में लेट , बाड़ बंदी भी नहीं हुई है ठेठ और मेरे पिता जी भी नहीं कोई धनि सेठ ,अन्याय की हो रही गहरी पैठ ! क्यों? … जय हो।
 Note - 5 date 15 july 2014

 मित्रों आज का दिन दोपहर के बाद बिता हमारे खेत में ! कारण ये रहा की जो घढे हमने भरे रेत से उस रेत का बारिष के पानी से पुनः कटाव ना हो और जो व्यय हमने घढे भरने में किया है उसका नुक्सान न हो ! सो आज मैंने मेरे एयर विंग एन सी सी ( नेशनल केडिट कोर ) के अनुभव को काम में लिया जो मैंने वहा से २ साल की ट्रेनिंग के जरिये हासिल किया था मेरे स्कूल टाइम में ! मुझे याद है की किस प्रकार हमारे गाइड ने हमसे भेड़ अनुसंधान केंद्र जोधपुर की बाड़ बंदी करवाई थी !कई प्रकार के पिलर और रेत के कटे भरवाकर दिवार नुमा बाड़ बंदी जो मैंने अन्य कैडिट्स के साथ अपने हाथों से बनायी थी कुछ फिट तक !
आज उस अतीत के अनुभव को पुनः चरितार्थ किया हमारे खेत में ! मिटटी की ठोकर के लिए मैंने सीमेंट की बाड़ बंदी का सामान बनाने वाली फैक्ट्री से खली सीमेंट के कोई ४०० कटे ख़रीदे और खेत में लेजाकर उनमे से कोई ५० कटों में २ घंटे में रेत भरी, फिर कटों की सिलाई और फिर ठोकर बनायीं रेत की घढे वाले स्थान के आगे ताकि अगर आज कल में बर्षात हो तो मिटटी बहने से बचे ! ये क्रम कल भी जारी रहेगा पर अतिरिक्त मजदूरों के साथ क्यों की घढे का आकार काफी विस्तृत और बरसात के आने की सम्भावनाये अति शीघ्र सी है सो कम समय में अधिक और जल्दी काम युद्ध स्तर पर फौज की कार्यप्रणाली आधार पर !
आज हमें काम करते देख पडोसी खेत के मालिक वरिष्ठ किशान श्री भैर जी पालीवाल ने अपने अनुभव के आधार पर मुक्त कंठों से कहा की ये काम खूब कर रहे हो तुम लोग , इस मामले में तो तुम हमसे भी आगे हो पक्के किशान हो ! उनकी सराहना से सराबोर वे शब्द मुझे मेरी एन सी सी के जोधपुर कैंप की यादें ताजा करवा गए ! वहाँ भी एक अफसर और पाइलेट सर एस एन थम्पी ने मुझे कुछ ऐसे ही शब्द कहे थे हमारी ट्रैनिंग के दौरान, उन्होंने कहा था की तुम सब फौज में नहीं जा पाओगे पर जिस फिल्ड में भी जाओगे वहाँ फौज जैसा ही माहोल पाओगे ! वहाँ फौज की वर्दी और बन्दुक गोले नहीं होंगे पर फिर भी तुम्हे लड़ना होगा अपने आस पास के माहोल से परिस्थिति से एक फौजी की तरह तो तुम सब फोजी ना होकर भी फौजी ही रहोगे अपने जीवन में ये मै एक फौजी अफसर तुम सब से कह रहा हूँ ! इसे हमेशा याद रखना याद रखना अपने जीवन में ! मुझे आज भी याद है उनके वे आदर्श पूर्ण सत्यता लिए हुए शब्द !
आज का दिन अगर मै मेरी एयर विंग एन सी सी ट्रेनिंग को समर्पित करू तो इसमें मुझे कोई अतिश्योक्ति नजर नहीं आर ही ! और एक आर्मी सल्यूट अगर एयर विंग एन सी के सभी अफसर और गाइड्स को दूँ तो ये उनके लिए बनता है मेरी और से एक भूतपूर्व एयर विंग एन सी सी सार्जैंट के तौर पर !
आज का हमारा लक्ष्य था खेत में बर्षात के पानी को बहने से रोकने के लिए ठोकर का निर्माण फौज के तरीके से साथ में पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी से खेत की पुख्ता नपाई पैमाइश! पर पटवारी श्री बंशीलाल जी से फ़ोन पे बात हुई तो वे बस में थे और कोलायत तहसील अपने ऑफिस को जा रहे थे ! सो बात नहीं हुई ! फिर हमने दोपहर में बात की तो उन्होंने कहा की बाद में बात करते है अभी मै व्यस्त हूँ ! सो आज फिर खेत रह गया नपने से सरकारी आदेश के उपरांत भी। कल फिर प्रयास करेंगे संपर्क साधने का पटवारी श्री बंशी लाल जी से ताकि खेत नापने के काम से हम जल्द मुक्त हो और आगे की पुख्ता बाड़ बंदी के प्रयास में लगे बर्षात और खेत की बुवाई से पहले हमारे खेत में । जय हो


 Note - 6 date 16 july 2014 

   मित्रों आज फिर से महसूस हुआ की ईश्वर साथ है ! आज पुरे दिन समय बिता फिर से खेत की उपजाऊ मिटटी को रोकने के लिए ठोकर बनाने के काम मे जिसे कल शुरू किया और आज लगभग सम्पन भी ! दो फौजी जैसे कर्मठ मजदुर साथियों की मदद से ! मैंने भी उनके साथ बराबर सहयोग किया रेत के भरे कट्टों को सिलने में ! आज करीब ३०० रेत के कटे हमने भरे और खेत की अनुमानित परिधि की सीमा पर क्रमवार खेत की उपजाऊ मिटटी को रोकने के लिए ठोकर का निर्माण किया उन ३०० रेट के कटों के जरिये ! और जैसे ही आज हमने काम बंद कर के व्यवस्थित हुए बीकानेर लौटने को तो खेत से बाहर आने से पहले पहले मैंने बर्षात की बून्द को अपने शरीर पर गिरते हुए महसूस किया और सड़क पर आते आते तो तेज बर्षात शुरू ! दोपहर में इतनी तेज गर्मी थी की काम करना मुश्किल पर फौजी तर्ज पर काम करने वाले वे दो मजदुर और साथ में मैं भी नहीं रुका और न काम को रोका ! परिणाम स्वरुप हमने लगभग समय पर रेत के कटों से ठोकर का निर्माण कर दिया ! ३ बजे के बाद आसमान में भी बादलों ने कब्ज़ा कर लिया और हमें मिली राहत प्राकृतिक ठंडी हवा और घनी छाँव से प्रकृति के संगरक्षण के काम में ! आज खेत की एक सीमा मिल्ट्री ट्रेनिंग कैंप जैसी नजर आने लगी तो एक मजदुर ने बॉर्डर फिल्म को भी याद किया काम करते करते उस रेत के कट्टों की दिवार नुमा ठोकर को देखते देखते !
आज काम के मध्य पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी से फ़ोन पे बात हुए और उन्होंने कल सुबह जल्दी खेत की नपाई के काम के लिए हमें सूचित किया ! सो कल हमें उन्हें ५ बजे सुबह सूचित करना है की हम तैयार है और खेत की रोड पर आप के लिए उपस्थित है आगे के सरकारी पुख्ता काम के लिए जो विगत दो साल से पेंडिंग पड़ा था समय अंतराल के कारण !संभवतः कल पैमाइश का काम सम्पन हो जाएगा पटवारी बंशीलाल जी की सूचना के आधार पर फिर आगे की गति विधि को गति मिल पाएगी कृषि भूमि के संगरक्षण और उपजाऊ मिटटी में प्राकृतिक बुवाई कृषि के लिए ,हमारे देश के लिये। जय हो
आज दो फोटो आप के लिए प्रेषित है मेरे अतिरिक्त वे दो फौजी मजदुर और खेत के रखवालीदार व्यस्त है रेत के कट्टों में रेत की भराई और फिर सिलाई में !

 Note - 7 date 17 july 2014 
 मित्रों आज दो साल के बाद आखिर हमारे खेत की पैमाइश का काम सम्पन हुआ पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी के कर कमलो से ! उन्होंने अत्याधुनिक पैमाइश करने वाले उपकरण के नियंत्रक भूतपूर्व गिरदावर सरकारी अधिकारी श्री विश्नोई जी के सहयोग से हमें हमारा २५ बिगा सम चोरस खेत वर्गाकार आकार में पैमाइश के उपरांत दिया, ठीक वैसे ही जैसे की स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय में मुरब्बा बंदी खेत का जो हिसाब था , खेत की पैमाइश के लिए !
आज आलोचनात्मक बात ये नजर आई की स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह के समय के मुरब्बा बंदी के चिन्ह जिसे मुरब्बे का पत्थर कहा जाता है उस चिन्ह को ही समाप्त कर दिया गया है अधिकतर खेतों के कोनो से जिस से पैमाइश में पटवारी और अत्याधुनिक पैमाइश की डिजिटल मशीन को भी दिकत आती है पैमाइश में सो ये एक और विषय है की मुरब्बा बंदी की पैमाइश की भविष्य में कैसे हो पाएगी सही सही पैमाइश खेतो की बिना मुरब्बा बंदी के चिन्ह के ? ? इस विषय पर भारत सरकार , राजस्थान सरकार को सोचना अति आवश्यक है सो मेरा आग्रह है मेरी भारत सरकार और राजस्थान सरकार से की इन मुरबों के चिन्हों को मिटाने वालो को पाबन्द किया जाए ! पैमाइश के लिए मुरब्बा पत्थर भी लगवाए खेत के कोने पर ताकि भविष्य में पैमाइश की परेशानी ना हो साथ ही स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी की इस पुख्ता मुरब्बा बंदी पैमाइश के चिन्हों को जो बचे हुए है उन्हें संघरक्षित और सुरक्षित किया जाए ! शीघ्र अति शीघ्र !
आज सुबह ४ : ४५ बजे मैंने हमारी बात के अनुसार पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी को फ़ोन कर के सूचित किया की हम खेत की रोड पर तैयार है और आप के आने का इन्तजार कर रहे है ! उन्होंने हमें सूचित किया की आप खेत पहुंचे हम आप के पीछे पीछे लगभग २ घंटे में पहुंच रहे है ! हम सात बजे हमारे खेत में थे ! आज मौसम भी था बरसात का और ठंडी हवा का सो कुछ देर ठंडी खुली खेत की हवा लेने के बाद हमने इन्तजार के उस समय का सदुपयोग किया कल के बचे हुए खाली कटों को रेत से भरकर और व्यवस्थित रूप से रख कर रेत के कटाव को रोकने के लिए। जैसे की फौजी छावनी में नजर आता है !

सो उस वजनी काम में पटवारी जी का लंबा इन्तजार हमें नहीं खला क्यों की हम काम में व्यस्त हो गए थे ! इस बीच पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार जी खेत में आये जीप में बैठकर ! उन्होंने आते ही हमारे खेत के कोने वाले मुरब्बे के पत्थर को जांचा परखा , फिर सड़क से नक्से के मुताबिक गणनांक कर के ज्ञात किया की मुरब्बे का पत्थर सही है ! फिर उन्होंने मुझे और पडोसी खेत के मालिक श्री भैर जी पालीवाल को अपनी जीप में बिठाकर खेत के चारो कोनो को अत्याधुनिक पैमाइश के उपकरण से जो दिखने में नोकिआ मोबाइल जैसा ही था , उस से कोई १५ मिनिट में हमें खेत के चारो कोने दे दिए ! जिस पर मुझसे फावड़े के जरिये कच्चे चिन्ह भी लगवाए !बीच बीच में भूतपूर्व सरकारी अधिकारी गिरदावर , विश्नोई जी ने मेरी गणित और बौद्धिक शक्ति व् कृषि भूमि के काम की भी लघु परीक्षाएं ली और मुझे लग भाग पास भी कर दिया ! वो मेरी आज की अध्ययन की सच्ची कमाई थी जो मुझे भारत सरकार के भूतपूर्व अधिकारी जी ने दी ! सो उन्हें साधुवाद ! 
Patwari and farmer of our Chakbanda 1 , they are talking for right angle of farm land ..before right corner of our farm land

दो साल पहले खेत की पैमाइश न हो सकी पर मैंने आस पास के खेत के पड़ोसियों से स्पस्ट कहा था की जब खेत नापेगा तो चुप चाप नहीं आप सब को सूचित कर के और आप की उपस्थिति में हमारे खेत की नपाई होगी ताकि कोई किन्तु परन्तु की बात ही न रहे ! किन्तु परन्तु होते होते आखीर आज दो साल बाद हमारे खेत को वो प्रारूप वापस मिला जो स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय मुरब्बा बंदी का था हमारे खेत के लिए ! आज सभी खेत के पडोसी जो पालीवाल परिवार के और जहां तक मुझे पता है एक ही परिवार के है वे पैमाइश के समय पटवारी श्री बंशीलाल पड़िहार के समक्ष उपस्थित थे और जमीं की १५ से २० फिट की बांच के गोल माल को समझा दिशाओं के जरिये पैमाइश और डिजिटल उपकरण के गणनांक से जो सही भी था और प्रामाणिक भी क्यों की स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय की मुरब्बा बंदी की व्यवस्था उस उक्ति की तरह है की * जाटा काम जदंडा * !
सो मेरी और से एक साधुवाद कोलायत तहसील के तहसीलदार जी के लिए साथ मे पटवारी श्री बंशी लाल जी के लिए भी की उन्होंने अपने पैमाइश के काम को हमारे लिए समय निकाल कर सरकारी नियम के तहत कोई ३ घंटे की मशकट के बाद हमें हमारा संमचोरस मुरब्बा दिया जैसा की मेरे स्व. दादा जी श्री बुलाकीदास पुोरहित जी हमें अक्सर बताया करते थे ! पर अफ़सोस ये है की आज उनका खेत तो सम चोरस है पर वे हमारे साथ नहीं ……।
फोटो आप के अवलोकन के लिए जिसमे पटवारी जी और आसपास के खेतों के मालिक मुरब्बे के पत्थर की खोज और पैमाइश की बात करते हुए खेतों के पास बने स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय के पक्के बन्दे पर खड़े खड़े !
मेरा साधुवाद माननीय राष्ट्रपति जी के लिए , माननीय प्रधान मातृ जी के लिए , माननीय राजयपाल राजस्थान के लिए , आप सब ने भी मेरी वास्तु स्थिति और हमारे खेत की वास्तु स्थिति को जाना समझ और उस पर आदेशात्मक कारवाही भी की अल्प समय में !
कल से खेत में चारों कोनो पर पक्के पिलर का निर्माण कार्य शुरू करने को पुनः जल्दी रवानगी होगी खेत के लिए ताकि बर्षात से पहले और बुवाई से पहले बाड़ बंदी हो सके और खेती को नुकसान न पहुंचे !साथ ही कलात्मक दृस्टि कोण से एक नया सम चोरस कैनवास प्राकृतिक हरे चित्रण के लिए तैयार हो सके ! जय हो

 Note - 8 date 18 july 2014

मित्रों आज फिर मेरा समय व्यस्तता में बिता हमारे खेत में ! जैसा की आप को विदित है की कल राजस्थान सरकार ने पटवारी जी के माध्यम से हमें हमारे खेत के चारो कोने सरकारी पैमाइश के मार्फ़त दिए ,ठीक वैसी ही स्थिति में जैसा की स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय हमारे परिवार के पुरखों को मिला था !
आज का दिन बिता खेत के चार कोनो पर सही स्थिति में पक्के पिलर के निर्माण कार्य में ताकि भविष्य में कोई कृषि भूमि पर और मुरब्बा बंदी की भूमि पर किसी भी प्रकार की अतिरिक्त बांच जैसे गोल माल को पुनः न दोहराये ! सो आज मुरब्बा बंदी के ऐतिहासिक चिन्ह रूपी छोटे पत्थर के कोने से हमने २४ इंच का सम चौरस एक ८ फिट का पिलर निर्मित कर के खेत के एक कोने को पक्का चिन्ह बना दिया है , भविष्य के लिए कल यही क्रम जारी रहेगा अन्य तीन कोनो के लिए हमारे खेत में ! 
Myself busy in planing for next work after got a right one corner of our farmland ( natural canvas )

 
हमारे खेत के इस नए चिन्ह निर्माण में आज पडोसी खेत के रखवालीदार लाल सिंह जी ने हमें पूर्ण रूप से सहयोग किया जिससे हमें बर्षाती खेत की भूमि पर पानी का टेंकर ,और अन्य निर्माण सामग्री को उपलब्ध कराने में महत्व पूर्ण भूमिका दी ! उनकी वजह से हमारे आज के दिन खेत में काफी समय बचा ! सो आज समय को बचाना मेरी कमाई मानी जा सकती है !
सांखला फांटा पर हमने पिलर निर्माण की सामग्री सीमेंट के कटे की खरीद की तो वहाँ एक समूह के बीच होती चर्चा से पुख्ता हुआ की हमारे पुरखों की पैठ कितनी गहरी है उस क्षेत्र में ! वहाँ एक व्यक्ति ने मेरे चहरे को देख कर मेरे पड़ दादा स्वर्गीय श्री शिवरतन जी पुोहित के परिवार से होने की पहचान निकाली और सीधा मुझसे पूछा अरे तुम शिवरतन बाबा के पड़पोते हो क्या ? मैंने कहा हाँ , तो वो बोले मैंने उन्हें देखा है उनसे कृषि का काम भी सीखा है ! उस पल मेरी आँखे नम हुई और मैंने खुद को संयमित करते हुए , सीमेंट का कटे की दूकान वाले मेरे हम उम्र से पूछा की तुम्हारा नाम क्या है तो वो बोला मोती , तो मैंने चुटकी भरी और कहा हमारे यहां कितने मोती है ! तो व्यक्ति समूह में से में से एक बुजुर्ग बोले यहाँ लाल भी बहुत है ! तो मैंने भी उन्हें सुनाया लाली मेरे लाल की जीत देखू उत लाल , लाली देखेन मैं चली ते मैं भी हो गयी लाल , पालीवाल परिवार भी लाल पगड़ी पहनते है उस क्षेत्र में उस उसका भी उलेख हुआ बात ही बात में !
आज खेत के चारो कोनो के पुख्ता प्रमाण के निर्माण में मैंने सिर्फ दिशा और कोण की स्थिति कारीगर को बतायी बाकि दिन एक निरीक्षक के रूप में बनते पिलर को देखा साथ में कुछ आराम भी किया क्यों की काम करने को हमारा पुराना मजदुर अर्जुन हमारे साथ अपने दो साथियों सहित , सो उसने मुझे काम नहीं करने दिया ।
यहाँ एक फोटो आप के लिए मेरा, आज के दिन का ! मैं मेरी डाइरेक्टर वाली कुर्शी पर बैठे बैठे आगे के काम की योजना में व्यस्त और पीछे कारीगर अपने काम में मस्त हमारे खेत के पुख्ता चिन्ह बनाने में , सरकारी पैमाइश और मुरब्बा बंदी के आधार पर।
कल का दिन जितना मस्कत भरा था आज का दिन उतना ही शांत और संयमित साथ में निर्माण और सुधार का भाव लिए सरकारी पैमाइश और मुरबा बंदी के हिसाब से।
खेत के कोने पर जब हमने पिलर बनाया तो हमने तार बंदी को हटाया ताकि काम ठीक से आराम से हो और आज के काम को सम्पन करने के बाद जब हम वापस आने लगे तो मैंने पुनः तारबंदी की तार को सही स्थान पर अटकाया ,तार अटकाने में मेरी नयी टीशर्ट अटक गयी तार के कांटे में और फिर फट भी गयी ! अपना नुक्सान करके भी मैंने पडोसी खेत को नुक्सान होने से बचाया जैसे तैसे सही सही तारबंदी की तार को अटकाया , भलाई करने में भी नुक्सान ही पाया और फटी टीशर्ट में ही घर आया। जय हो

 Note - 9 date 19 july 2014 

Second indication of farm corner but it was on wrong  place .
 मित्रों आज का दिन बिता फिर से खेत में ! आज पहले कोने के पिलर को सम्पन करके हम बढे खेत के दूसरे कोने के पिलर को निर्मित करने को ! सुबह की ठंडी हवा में मैंने एक बड़े केटे के झाड़ की छंगाई की ताकि खेत के एक कोने से पहले कोने के पिलर की सीध नजर आ सके ! तो वहीं दूसरी और पिलर के निर्माण में जुटे मजदुर अपनी क्षमता से काम को पूर्ण करने को तत्पर थे ! पर समय से पहले कुछ भी सम्भव नहीं होता ये तय है संसार में ! सो युद्ध स्तर पर चलते काम के बीच शुरू हुआ जुद्ध ! जिसे निर्मित किया पडोसी खेत मालिक भैर जी पालीवाल ने ! उन्होंने सरकारी पैमाइश को गलत बताते हुए ! हमें निर्माण कार्य रोकने को कहा ! हमने भी जिद बहस करना उच्चित नहीं समझा सो काम को रोक दिया ! फिर हमने पटवारी श्री बंशी लाल जी से संपर्क साधा और उन्हें इस जुद्ध के बारे मे सूचित किया ! उन्होंने भी हमें आस्वस्त करते हुए कहा की आप मंगलवार तक रुके और भैर जी से निवेदन किया की आप कोई और सही नापने वाला हो तो उस से नपवाये फिर मंगलवार को मैं बात करता हूँ आप से ! फिर हमने काम को रोकना उचित समझा और पडोसी खेत के मालिक जिनके खेत की सुरक्षा के लिए मैंने कल अपने कपडे तार बंदी की तार को अटकाते हुए फड़ाए ! उन्होंने ही काम के मध्य आज रोड़े अडाये ! इस बीच श्री मोतीलाल पालीवाल जी भी वहाँ उपस्थित हुए उन्होंने भी वही कहा जो पडोसी खेत के मालिक भैर जी पालीवाल ने कहा ! फिर भैर जी ने एक ट्रेक्टर के जरिये करावे से हमारे खेत के दूसरे कोने से कर्ण रेखा पर खुदाई शुरू करवाई और उस खुदाई के समय मैं और पडोसी खेत के मालिक श्री मोती लाल पालीवाल जी मौके पर उपस्थित थे ! वहाँ कोई दो फिट की खुदाई के बाद एक ही जगह दो प्रकार के पत्थर मिले एक आड़ा टेड़ा पत्थर और एक सीमेंट बजरी का टुटा हुआ चौकोर पत्थर नुमा बॉक्स जिसकी तस्वीर यहाँ सलंग्न है आप के लिए ! पर जब हमने हमारे फिते से पैमाइश की तो वो स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय की मुरब्बा बंदी का चिन्ह अगर है भी तो हिला हुआ छेड़ा हुआ तोड़ फोड़ किया हुआ था कई बरसो पहले ! तो ये तो स्पष्ट हुआ की मुरब्बे बंदी के खाते दारों ने जमकर मुरब्बा बंदी के चिन्हों को छेड़ा , तोड़ा और हटाया है ! मुरब्बे बंदी की पुख्ता व्यवस्था को ही मकोल बनाया है , हमारे खेत के एक कोने पर मुरब्बे का पत्थर सही मिला फिर उसी मुरब्बे के चिन्ह के ९० डिग्री के कोण वाला चिन्ह अब अपने स्थान पर नहीं क्योंकि वहाँ की मिटटी को खोद लिया गया है भट्टे की ईंटे बनाने में ? गौर करे आप इस बात को और चिन्हित भी !
पडोसी भैर जी और मोती जी ने कहा की हम ९ खेत आगे जहाँ सही पत्थर है वो पैमाइश का आधार मान कर पैमाइश करवाएंगे सो मैंने कहा मुझे भी वो मुरब्बे वाला पत्थर सही स्थिति में दिखाइए ! तो मैं , मोती जी और भैर जी गए ९ मुरब्बा आगे और वहाँ स्टेट ऑफ़ महाराजा गंगा सिंह जी के समय सरदारों को दिए गए मुरब्बे और उनके चिन्ह सुव्यवस्थित मिले ! मुझे वो मुरब्बा अच्छा भी लगा और उनकी संगरक्षण की भावना भी ! महाराजा गंगा सिंह जी के दृस्टि कोण को जो की मुरब्बा बंदी के लिए एक सही इकाई के रूप में हमारे पास है मुरब्बे का पत्थर उसे बहुत ही सही संगरक्षित किया हुआ था सो उस मुरब्बे के खातेदार को साधुवाद !
कुल मिलाकर आज के जुद्ध ने मेरे आगे के दो दिन का काम को बाधित सा ही कर दिया ! पर इस क्रम में निर्माण कार्य के लिए बुलाये गए मजदूरों को अपनी ध्याड़ी ख़राब नहीं करने दी न ही होने दी ! मैंने उन्हें खेत के दूसरे काम में व्यस्त कर दिया और उनसे रेत के कट्टे भरवाये और जहा घढे और निवाण थी वहाँ रखवाए ! काम रोकने से पहले मैंने पडोसी खेत के मालिक भैर जी से कहा की अगर पैमाइश पुनः होती है और कोने इसी जगह आते है तो आज के मेरे इन मजदूरों की मजदूरी आप को लागु पड़ेगी और आप को देनी पड़ेगी जो लगभग २००० रूपए होगी ! उन्होंने कहा मैं दे दूंगा अगर ऐसा हुआ तो ! सो उनके मन की तसली के लिए मैंने काम को बिना किसी विवाद रोक दिया मंगलवार के लिए ! यहाँ ये सब लिखने से पहले मैंने ऑनलाइन गूगल मैप पर हमारे खेत की इनसेट से मिलने वाली तस्वीर की नक़ल ली और फिर फोटोशॉप के सहयोग से ग्राफ के आधार पर ९० डिग्री के कोण पर चार लाइन खीच कर हमारे खेत का सम चोरस चित्र लिया है प्रिंट आउट के लिए ! उस में भी वही पैमाइश और कोने मिल रहे है जो हमें पटवारी जी श्री बंशीलाल जी ने अपने अत्याधुनिक उपकरण से माप कर हमें दिए है !
तो अब तो बात सीधी है की दूध का दूध और पानी का पानी !
हमारी जमीन पडोसी खेत के मालिक भैर जी पालीवाल के खेत में से निकलती है और वो जमीन, वे पिछले १० - १२ साल से अपने लिए बुवाई के काम में ले रहे है और उस से धान भी ! जमीन हमारी और धान लिया पडोसी खेत के मालिक ने ! तो ये एक और गफलत पडोसी खेत के मालिक के जरिये ! जिसका मुआवजा भी हमें भारत सरकार और राजस्थान सरकार दिलावेगी ऐसा मेरा विश्वास ही नहीं निष्ठां भी है ! जय हो
यहाँ अभी गूगल मैप से लिए चित्र की एक नक़ल आप के अवलोकन के लिए !
right view of our squire farm land from google map .


This all nine notes is saying my true work condition or observation of that fiel location by critical view . so here its for your observation . I am saying to it , it is ZUDH , in hindi it is YUDH or in English  it is war for art and natural environment system . . 

It is  my duty I do fight to time and condition for  art and natural environment . 

So here I said natural canvas is in under process of natural painting 

Yogendra  kumar purohit
Master of Fine  Art
Bikaner, INDIA



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