My
senior Artist Sir Vinay Trivedi was taken my
interview for his RUBARU column post of facebook ..
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Photo from Facebook page of Artist Sir Vinay Trivedi Jaipur ..
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Friend some time
seniors are observe to juniors very silently . or time to time they are taking
test of juniors as a teacher / ustad /
senior . it is very must for natural
growth of juniors . so seniors are playing his / her role by this test taking format with silence .
I am saying it because last month my one senior artist sir Vinay Trivedi Jaipur
was posted me a message ( notice it message / text message ) on my mobile . in
that message he was posted me some questions . that all questions were required right answer from myself about my
real art journey . in that questions I noticed how to a senior is taking to
junior and what he want to know from his / her answer about art or art journey
. it is surprising but interesting too .
Sir Vinay Trivedi was wrote
to me I will write a column as a post on facebook that’s title is RUBARU (Articles Series ) on
artists life or journey of artist . So in this way I want to write on your art journey , I need to you yogendra
, you will give me answer to my all questions step by step .
Kind your information Artist Sir Vinay Trivedi is my senior , He was completed his art
education from Rajasthan School of Art and after him , I have done my masters from Rasjasthan School
of Art. So I am junior of Sir Vinay
Trivedi and he is my senior . so in respect of senior I gave answer to his
all questions one by one and posted to him . He also needed to me my CV and some images of art works and some
certificates or awards details . I sure by that art information or by answers
of myself he has been completely observed
to my present art life or art
journey too .
When he was received my
answer he said to me thanks. Kind your
information our complete communication was done in Hindi language or here I will
share that same communication by copy
and paste format . I hope you will translate it on translator .
That Interview cum art communication matter is here for your by copy paste format ..
नमस्कार जी
कुछ प्रश्न जो मुझे आपकी कला को समझने में सहायक होंगे । कोई प्रश्न का आप उत्तर नहीं देना चाहें तो छोड़ सकते हैं।
मेरा ध्येय है कलाकार का व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाना है।
* प्रश्न 1 : आपके लिए कला का क्या अर्थ है, जैसे। जीवन का प्रतिबिंब, आत्मा की खोज?
उत्तर
1 . मेरे लिए कला आत्म दर्शन की यात्रा है और अभिव्यक्ति उसका सामयिक लेखा
झोखा है , जो भिन्न भिन्न चित्र रूप में अभिव्यक्त हो रहा है मेरी
अभिव्यक्ति के जरिये ! वर्ष 2008 के बाद से मैंने आत्म मंथन और स्वयं के
भीतर के दर्शन को खोजना आरम्भ कर दिया और फिर मेरे चित्रों का रूप स्वरूप
एकदम से बदल गया जिसे मैंने प्रतीकों में अभिव्यक्त किया है सिमित माध्यम
और चित्र आयाम में !
* प्रश्न 2 : आप अपनी खुद की अनूठी शैली का वर्णन कैसे करेंगे? आपने इसे तकनीक, रूप, विषय, संदेश के संदर्भ में कैसे विकसित किया?
उत्तर 2 .. मेरी चित्र शैली रेखांकन से आरम्भ
होती है रंगांकन से पूर्ण ! मैंने किसी विशेष माध्यम में खुद को नहीं
बांधा है जो सहज रूप से मिलजाता है मैं उसे कला का माध्यम बना लेता हूँ !
शैली के लिए एक बात कहना चाहूंगा आप की सुविधा और सहजता से जो अभिव्यक्त
होता है और जो निरंतर अभिव्यक्त हो सकता है वही आप की शैली बन जाती है वैसे
आर्ट में अभिव्यक्ति का महत्व होता है माध्यम और शैली का नहीं ! ऐसा मैं
समझ पाया हूँ इतने वर्षो की कला यात्रा में ! शैली रूपात्मक भी होती है और
भावनात्मक भी चित्र और उसकी ध्वनि दोनों शैली में लिए जा सकते है जिसे
कलाकार रचता और उत्पन करता है चित्र से चित्र में !
* प्रश्न 3 : आपकी अब तक की यात्रा कैसी रही है, जैसे। कला कार्यों, प्रदर्शनियों, त्योहारों, देशों की संख्या?
उत्तर 3 .
मेरी अकादमिक कला यात्रा मैंने कक्षा दसवीं पास करते ही आरम्भ कर दी थी !
मैंने मेरे स्तर पर निर्णय लेते हुए चित्रकला का विषय चुना परिवार की इच्छा
के विरुद्ध ये वर्ष था 1992 ! मैंने 11 वी कक्षा में फाइन आर्ट विषय लिया
जो आज तक मेरे साथ है और लगता है यही अब जीवन है या मैं इसके लिए ही इस्वर
द्वारा रचा गया हूँ , इस धरा पर ! कुल मिलकर जीवन में एक सार्थक उदेश्य है
अब और यात्रा संभव हो पा रही है ! संघर्ष है पर इस्वर द्वारा प्रदत
आत्मबल भी ,प्रतिबद्धता का संकल्प भी और चित्रकार बनने की अभिलाषा भी सो
यात्रा सतत जारी है कला की कला के लिए !
* प्रश्न 4 : आप एक कलाकार के रूप में अपने लिए सफलता कैसे परिभाषित करेंगे? जैसे। आंतरिक अन्वेषण, पुरस्कार, व्यावसायिक सफलता है?
उत्तर 4 . मेरे लिए सफलता
चित्र को रच लेने में होती है ! मैं कोई विशेष उदेश्य या लक्ष्य के लिए
चित्र नहीं रचता न ही मुझे कला कोई व्यावसायिक उपकरण लगती है ! मेरे लिए
मेरी कला शास्त्रों के अनुसार सर्वोपयोगी धन है जो सभी कला रसिकों को अंतर
मन को समझने की और इशारा करती है ! मेरे लिए कला कोई प्रतियोगिता का उपकरण
भी नहीं वो तो मन मस्तिष्क को स्वस्थ करने का एक जरुरी माध्यम है समाज के
लिए! जिसे मुझे एक चिकित्सक की भांति सृजित और प्रेषित करना है समाज को
समाज के लिए ! जिसे मैं कर रहा हूँ विगत 25 वर्षों से ! मेरे लिए कला
बुद्धि का व्यापार है अर्थ का नहीं !
* प्रश्न 5 : भारत में कला की सराहना कैसे बेहतर हो सकती है?
उत्तर 5 . भारत में कला
हमेशा से ही बेहतर रूप से पोषित होती रही है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण
पद्मविभूषण सम्मान जिसे भारत के राष्ट्रपति के कर कमलों से कलाकारों को
दिया जाता है ! सो भारत कला अग्रणी था है और रहेगा ! समय समय पर अकादमियां
भी कलाकारों को अवसर देती रही है और कला कलाकार का स्वयं का विषय है !
कलाकार अपनी कला को शिदत से प्रस्तुत करता रहेगा तो भारत की कला स्वतः ही
पोषित होती रहेगी ऐसा मेरा मत है ! मैं भी तो बिना किसी सहायता और सहयोग के
स्व से चित्रकारी कर रहा हूँ कला के क्षेत्र में बिना किसी मांग के क्यों
कि मैंने ही इस कला क्षेत्र को चुना है स्वयं की शुद्धि और अभिव्यक्ति के
लिए !
*प्रश्न 6 : आपने इस प्रदर्शनी के लिए विशेष रूप से क्या काम किया? क्या आप कुछ शब्द कह सकते हैं कि आपने उन्हें कैसे बनाया?
उत्तर 6 .मेरे लिए चित्र सम्प्रेषण का माध्यम है और वर्तमान
में सोशल मीडिया और उसमे भी फेसबुक जैसे सफल माध्यम से 2008 से ही जुड़ा गया
था और मुझे बहुत बड़ा कैनवास कला सम्प्रेषण का फेसबुक ने दिया है ! मैं
मेरे स्टूडियो में चित्र रचता हूँ और फिर उसे सोशल मीडिया के पेजेज पर
अपलोड कर देता हूँ और अगले ही पल में मेरा चित्र हजारो देशी और विदेशी कला
रसिकों तक उनके घर में उनके मॉनिटर स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाता है कला संवाद
के लिए कला के सम्प्रेषण के लिए ! तो सोशल मीडिया पर आने के बाद मैंने
कला प्रदर्शनी के अर्थ को अपने लिए बदल लिया है ! वरिष्ठ चित्रकार नटू शाह
जी ( अहमदाबाद गुजरात ) के शब्दों में कहूं तो मैंने मेरे चित्रों को
हमलों की तरह ढोना बंद कर दिया है प्रदर्शनी के नाम पर !
* प्रश्न 7 : आप अभी किन अन्य परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं?
उत्तर 7
. इन दिनों मैं माइसेल्फ शीर्षक पर आधारित चित्र रचने में व्यस्त हूँ करीब
3000 से अधिक चित्र इस एक विषय पर रच चूका हूँ और इसका रचाव अभी जारी है
! साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों के लिए / ऐतिहासिक धरोहर के मूल्यों के लिए /
लोक कला और पौराणिक कला के पुनरुथान के लिए सक्रीय रूप से काम कर रहा हूँ !
हाल ही में बीकानेर की पौराणिक और लोक कला मथेरण कला ( चित्रकारी ) के
वरिष्ठ कलाकार मूलचंद महात्मा बीकानेर को गुरु शिष्य परम्परा शिविर में एक
मार्गदर्शक और सहयोगी के रूप में निशुल्क सेवा देकर शिविर को सफलता पूर्वक
सम्पन करवाया है सीधे सीधे बीकानेर के 10 युवा कलाकारों को इसका लाभ
मिला है उनकी कला यात्रा के लिए !
* प्रश्न 8 : आपके कला कार्यों की अनुमानित कीमत सीमा क्या है?
उत्तर 8 मेरी कला संग्रह करता के लिए है कला बाज़ार के लिए नहीं सो कीमत का कोई माप दंड नहीं हो सकता !
*
प्रश्न 9 : प्रदर्शनी में आपका अनुभव क्या था? आपको दर्शकों से किस तरह की
प्रतिक्रिया मिली? नई परियोजनाओं के लिए आपको क्या विचार / प्रेरणा मिली?
उत्तर
9 . इन 25 वर्षो की कला यात्रा में मुझे प्रयाग शुक्ल जी कला समीक्षक ,
श्री विनोद भरद्वाज जी कला समीक्षक और स्वर्गीय केशव मालिक कला समीक्षक से
ये सुन ने को मिला की जो मैं कहता हूँ वो मेरे चित्रों में झलकता है !
जैसे मैं जी रहा हूँ वैसा चित्र में नजर आ रहा है ! और रही बात आम दर्शक की
तो उनके लिए मैं कला का मास्टर हूँ मैं उन्हें मेरे चित्रों के माध्यम
से उनके भीतर की यात्रा करवाता हूँ ! मैं दर्शक को उसके स्वयं से मिलवाता
हूँ मुझसे संवाद के बाद और मेरे चित्र अवलोकन के बाद दर्शक एक अलग स्तर पर
पहुंच ता है वो उसकी एक नयी अनुभूति होती है मेरे चित्र संसार के जरिये !
* प्रश्न 10 : कला के दृष्टिकोण और व्याख्या के बारे में दर्शकों के लिए आपकी क्या सिफारिशें हैं?
* प्रश्न 11 : इच्छुक कलाकारों के लिए आपकी सलाह क्या है?
उत्तर 10/ 11 .मेरी सलाह एक दर्शक और कला पारखी के साथ कलाकारों से
यही है की उन्हें चित्र पढ़ने के स्वभाव को आत्मसात करना चाहिए ! चित्र को
देखने के बाद अनेको प्रश्न चित्र रचने वाले कलाकार से करने चाहिए ताकि वे
कलाकार के मन विचार और अभिव्यक्ति से अच्छे से रूबरू हो सके !
आभार
योगेंद्र कुमार पुरोहित
मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट
बीकानेर, इंडिया
मो. 9829199686
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My work images / media coverage and CV files ..
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Artist Vinay Trivedi is
a very good painter of classical painting of Indian culture , He is also create
contemporary painting and graphic arts in his studio of Jaipur . when I was
enter in Rajasthan School of Art for art
education , before me Sir Vinay Trivedi has been completed his art education so
in education time we were not met in our Rajasthan School of Art college . But at Jawahar kala Kendra Jaipur , Funcation of Rajasthan Lalit Kala Academy Jaipur , exhibitions of art gallery
and Kala Mela festival at Jawahar Kala Kendra Jaipur , Indian Caffe House
Jaipur were our meeting spots . There we were talked on
art and culture or that’s right development through visual art . as a senior sir Vinay Trivedi is always guide
to juniors for right way of painting or traditional art format . Here I am sharing his one art work
image for your notice , I collect that
from his facebook post . In this image
you will see to Lord Ganesh with malty colors . His drawing lines is
something different or I can say own style Ganeshaof Sir Vinay Trivedi . But he has been added to elements of
classical art in his own style painting of Lord Ganesh .
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Painting of Lord Ganesha Artist Vinay Trivedi
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A peace lover art master
Sir Vinay Trivedi is love to his juniors , and time to time he is taking his /
her test as a senior( our communication is a live example of it ) . or that test result he is exposing on facebook in form of column RUBARU art post ..
So here I write it .. My
senior Artist Sir Vinay Trivedi was taken my interview for his RUBARU column post of facebook ..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
1 comment:
यशस्वी कलाकार श्री योगेंद्र पुरोहित शुरू से ही प्रतिभावान कलाकार रहे हैं उनकी कलाकृतियों को में बहुत ही वर्षों से देखा आ रहा हूं जिसमें लोक कला और कल की प्राण वायु रेखाओं का इनकी साधना में महत्वपूर्ण योगदान रहा है जो एक कलाकार को लंबी साधना के बाद प्राप्त होता है कालांतर में वही साधना उनकी निजी शैली बनकर सामने आती है जिससे उनकी एक पहचान बनती है इस मामले में योगेंद्र पुरोहित खरे उतर हैं बहुत-बहुत आभार आपका आपके प्रश्नों का उत्तर से नवोदित कलाकारों को मार्गदर्शन मिलेगा ऐसी मेरी कामना है इसी तरह निरंतर कल और कलाकारों को समृद्ध करते रहें आपके नए-नए सर्जनात्मक चित्र हमें मिलते रहेंगे जिसका आनंद सभी लोग उठा पाएंगे
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