MY
QUESTION WAS MY PRESENCE AT THERE
Friends you know I am committed
for visuals art . you can say visual art sense is in my blood . so
my blood always puss to me for join to activity of visual art . when my
blood push to me then I am join to my creative visual art work after art work I
join some social art activity of my city
or on virtual world I mean on online . Because this is my life …!
My art sense need to me
everyday something more mature knowledge about visual art so I am live busy in
collection of knowledge about visual art sense . you can say it is my job . so in this job work I join many art
activity of city, state , nation or
international levels . because there to I find some more knowledge or maturity about my visual art journey.
You know last week I were joined a international short film
festival ( Short Film is also part of visual art ) by luck it was in my
city or the organizer master Gopal
Shingh Chouhan was invited me there as a
viewer. I were joined that two days international short film festival and there
I were watched near 60 to 70 film in two
days . the film selection was very fine and educative short films was presented
there on screen . so I observed many art angle by language of short film .
In mid of that festival, the team of Organization ( master Sunil Joshin/
Gopal Shingh Chouhan ) were started a live talk on short film .A director
of Film was stand on stage and he was offering to viewers for questions to him
about short film topic . but no one were
asking any kind of question , in that funny condition the director was joking
on us , I felt some critical
condition so in that movement I were
broken to my limit of a viewer and stop to him by my question .
I asked to him sir you tell me , what should concept base of a
short film ? ( I asked it in Hindi ) .My question was pulled his vision in consciousness
. he thought some and started answer to me , but his language was philosophical. So I said I need a state
answer of my question , I not need
philosophical views on short film . he was noticed to my sound and question way , then he request to
me sir please give me chance for answer to
you .. ha ha ..
This live communication
about visual art ( short film )many viewers were noticed and they noticed
to my reaction on critical questioning
mode of that festival . on stage the team of organizer or a anchor Master
Sanjay Purohit was mentioned my name from stage and he said thanks to me for my question about short film from my city
to a director of Short film .
Viewer Artist K.K. Sharma and Photographer Artist Narendra purohit are watching International Short Film Festival of Bikaner. 2015 |
There in critical condition I was there and I did showed my presence with
a right question about visuals art on a
right time ..
So here I said my question was my presence at there ...
( On facebook I were
updated this story in Hindi so here that’s link for your reading if you read and understand to Hindi
language or you can translate on online by good
translator of online .. )
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10206603927471550&set=a.1159622585403.2025211.1072945182&type=3&theater
मित्रों
कला और योगेन्द्र एक ही सिक्के के दो पहलु है ! इस से आगे कुछ नहीं
कहूँगा अपनी कला यात्रा के बारे में क्यों की ये सत्य है मेरे जीवन का।
.इस का एक प्रमाण हाल ही के दो रोज है जिसमे मैंने ३६ घंटे में से १६ और
आगे के ३ घंटे और जोड़ कर कह सकता हूँ की लग भग १९ से २० घंटे मैंने दृश्य
कला के परिवार को समर्पित किये समर्पण के भाव से कुछ ज्ञान अर्जित करने के
मेरे कलात्मक लोभी मन से !
दिनाक १९-१२-२०१५ और आज २०-१२-२०१५ को मुझे द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव में शामिल होने का अवसर मिला बतौर एक दर्शक , ये आयोजन संयुक्त आयोजन था लोकयन् /सनारक /हंसा गेस्ट हॉउस / नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट और रजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस , बीकानेर के तत्वावधान में ! संयोजक मास्टर गोपाल सिंह चौहान के निमंत्रण पर मुझे ये सौभाग्य मिला की मै मेरी कला यात्रा के दो दिन इस द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव के साथ बिता सकु !
प्रथम दिन मुझे करीब ३५ से ४० लघु फिल्म देखने को मिली जिसमे विदेशी लघु फिल्म के साथ भारतीय भाषाओँ की कई रचनात्मक लघु फिल्म देखने का अवसर मिला ! मध्यांतर में एक लघु संवाद भी किया गया जिसमे एक निर्देशक जो की मेवाड़ से थे , ने बीकानेर के लोगो की लघु फिल्म के बारे में जिज्ञासा पर सवाल उठाते हुए मंच से सभी से प्रशन करने का आग्रह किया ! किसी ने प्रशन नहीं किया तो उन्होंने कुछ व्यंग्यात्मक अंदाज में कुछ कहना चाहा ! पर वे कुछ कहते उस से पहले मैंने उनसे प्रशन कर के उन्हें रोका और आभास करने की कोशिश की, कि आप वैसा न सोचे जैसा आप सोच रहे हो बीकानेर के कला जगत के बारे में ! मैंने प्रश्न रखा की आप बताये की लघु फिल्म की प्रस्तुति या निर्माण में विचार का आधार क्या होना चाहिए ? प्रशन सुनते ही वे एकदम से कॉन्शियस हुए फिर कुछ फिलोसोफिकल अंदाज में जवाब देने लगे तो मैंने उन्हें स्पस्ट कहा आप सिम्पल उत्तर दे फिलोसोफिकल नहीं ! तो वे बोले की आप मुझे बोलने का मौका तो दे ! बस ये पल संयोजक संजय पुरोहित जी के हृदय को छू गया क्यों की बीकानेर से किसी ने लघु फिल्म के लिए प्रशन किया व्यंगात्मक परिस्थित में ,एक जवाब के रूप में ! तो उन्होंने मंच से मुझे आभार ज्ञापित किया मेरा नाम बोल कर मंच से ! संयोजक गोपाल सिंह भी फिर मेरे साथ ही बैठे और हमने डायरेक्टर मास्टर अविनाश अरुण जी की फिल्म किला साथ में बेठ कर देखि ! जो की कल की सब से महत्वपूर्ण प्रस्तुति थी , हालाँकि फिल्म लघु फिल्म नहीं थी पर बाल मनोविज्ञान और सामाजिक तंत्र में बिखरते और सिमटे मानवीय रिश्तों पर काफी गहरी विचारणा उन्होंने अपनी कला प्रस्तुति से दी जो सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है ,अविनाश अरुण जी का ! तो उस किला फिल्म की प्रस्तुति के लिए अविनाश जी को साधुवाद मेरी ओर से !
आज भी कुछ और लघु फिल्म देखि जिसमे वाइल्ड लाइफ केयर जैसे विषय और हेल्थ केयर के साथ सोशल इस्यु पर कई लघु फिल्म देखने को मिली !
और साथ ही एक बहुत ही रोचक संवाद भी सुन ने को मिला मंच और दर्शकों के मध्य मंच पर थे डायरेक्टर अविनाश अरुण , विशाल सिंह राठोड और रुचिका अरोरा ! तीनो निर्देशकों ने दर्शकों और लघु फिल्म निर्देशन में रूचि लेने वालों की जिज्ञासाएँ शांत की !
इन दो रोज में काफी नजदीकी कलाकार मित्रों की लघु फिल्म देखने का भी मौका मिला और उन्हें ये जान कर अच्छा लगा की कला के संवाद के लिए मैं हमेशा उनके साथ उपलब्ध हूँ कही भी कैसे भी किसी भी रूप में !
दिनाक १९-१२-२०१५ और आज २०-१२-२०१५ को मुझे द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव में शामिल होने का अवसर मिला बतौर एक दर्शक , ये आयोजन संयुक्त आयोजन था लोकयन् /सनारक /हंसा गेस्ट हॉउस / नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट और रजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस , बीकानेर के तत्वावधान में ! संयोजक मास्टर गोपाल सिंह चौहान के निमंत्रण पर मुझे ये सौभाग्य मिला की मै मेरी कला यात्रा के दो दिन इस द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव के साथ बिता सकु !
प्रथम दिन मुझे करीब ३५ से ४० लघु फिल्म देखने को मिली जिसमे विदेशी लघु फिल्म के साथ भारतीय भाषाओँ की कई रचनात्मक लघु फिल्म देखने का अवसर मिला ! मध्यांतर में एक लघु संवाद भी किया गया जिसमे एक निर्देशक जो की मेवाड़ से थे , ने बीकानेर के लोगो की लघु फिल्म के बारे में जिज्ञासा पर सवाल उठाते हुए मंच से सभी से प्रशन करने का आग्रह किया ! किसी ने प्रशन नहीं किया तो उन्होंने कुछ व्यंग्यात्मक अंदाज में कुछ कहना चाहा ! पर वे कुछ कहते उस से पहले मैंने उनसे प्रशन कर के उन्हें रोका और आभास करने की कोशिश की, कि आप वैसा न सोचे जैसा आप सोच रहे हो बीकानेर के कला जगत के बारे में ! मैंने प्रश्न रखा की आप बताये की लघु फिल्म की प्रस्तुति या निर्माण में विचार का आधार क्या होना चाहिए ? प्रशन सुनते ही वे एकदम से कॉन्शियस हुए फिर कुछ फिलोसोफिकल अंदाज में जवाब देने लगे तो मैंने उन्हें स्पस्ट कहा आप सिम्पल उत्तर दे फिलोसोफिकल नहीं ! तो वे बोले की आप मुझे बोलने का मौका तो दे ! बस ये पल संयोजक संजय पुरोहित जी के हृदय को छू गया क्यों की बीकानेर से किसी ने लघु फिल्म के लिए प्रशन किया व्यंगात्मक परिस्थित में ,एक जवाब के रूप में ! तो उन्होंने मंच से मुझे आभार ज्ञापित किया मेरा नाम बोल कर मंच से ! संयोजक गोपाल सिंह भी फिर मेरे साथ ही बैठे और हमने डायरेक्टर मास्टर अविनाश अरुण जी की फिल्म किला साथ में बेठ कर देखि ! जो की कल की सब से महत्वपूर्ण प्रस्तुति थी , हालाँकि फिल्म लघु फिल्म नहीं थी पर बाल मनोविज्ञान और सामाजिक तंत्र में बिखरते और सिमटे मानवीय रिश्तों पर काफी गहरी विचारणा उन्होंने अपनी कला प्रस्तुति से दी जो सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है ,अविनाश अरुण जी का ! तो उस किला फिल्म की प्रस्तुति के लिए अविनाश जी को साधुवाद मेरी ओर से !
आज भी कुछ और लघु फिल्म देखि जिसमे वाइल्ड लाइफ केयर जैसे विषय और हेल्थ केयर के साथ सोशल इस्यु पर कई लघु फिल्म देखने को मिली !
और साथ ही एक बहुत ही रोचक संवाद भी सुन ने को मिला मंच और दर्शकों के मध्य मंच पर थे डायरेक्टर अविनाश अरुण , विशाल सिंह राठोड और रुचिका अरोरा ! तीनो निर्देशकों ने दर्शकों और लघु फिल्म निर्देशन में रूचि लेने वालों की जिज्ञासाएँ शांत की !
इन दो रोज में काफी नजदीकी कलाकार मित्रों की लघु फिल्म देखने का भी मौका मिला और उन्हें ये जान कर अच्छा लगा की कला के संवाद के लिए मैं हमेशा उनके साथ उपलब्ध हूँ कही भी कैसे भी किसी भी रूप में !
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस , बीकानेर ने भी
कई लघु फिल्म इस समारोह में प्रस्तुत की जिनमे कई सामाजिक और उनके
अनुसन्धान से सम्बंधित थी। किसी युनिवर्सिटी जिसका विषय है पशु से
सम्बंधित अनुसन्धान ! पर उन्होंने लघु फिल्म जैसी कला में भी अपने प्रयास
को बखूबी प्रस्तुत किया! दरसल उनकी लघु फिल्म उनके व्यवहारिक पक्ष के साथ
उनके मानवीय संवेदनात्मक पक्ष को भी उजागर कर रही थी ! एक लघु फिल्म में
तो स्वयं निर्देशक जी , जो की यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस ,
बीकानेर के है उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ मिलकर लघु फिल्म बाल विवाह को
रोकने के उदेश्य को सब के साथ प्ले किया और लघु फिल्म के रूप में हमारे
सामने लाये ! जिसके लिए उनका ये प्रेरणादायी कदम सराहनीय है साधुवाद
योग्य है !
मुझे ख़ुशी है की मेरे साथ मैंने मेरे छोटे भाई नरेंद्र पुरोहित को भी इस समारोह से जोड़ा जो स्वयं फोटोग्राफरभी है और मैं आभारी द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव की पूरी टीम का की उन्होंने बीकानेर को पुनः इस प्रकार के रचनात्मक और वैचारिक मंथन वाले दृश्य कला के पक्ष से जोड़ा और कुछ और सीखने तथा समझने का मौका दिया ! सो इस रचनात्मक और कलात्मक शिक्षण के लिए द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव की पूरी टीम की .. जय हो. .
एक फोटो द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव २०१५ का आप के अवलोकन हेतु।
मुझे ख़ुशी है की मेरे साथ मैंने मेरे छोटे भाई नरेंद्र पुरोहित को भी इस समारोह से जोड़ा जो स्वयं फोटोग्राफरभी है और मैं आभारी द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव की पूरी टीम का की उन्होंने बीकानेर को पुनः इस प्रकार के रचनात्मक और वैचारिक मंथन वाले दृश्य कला के पक्ष से जोड़ा और कुछ और सीखने तथा समझने का मौका दिया ! सो इस रचनात्मक और कलात्मक शिक्षण के लिए द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव की पूरी टीम की .. जय हो. .
एक फोटो द्वितीय मरूधरा अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव २०१५ का आप के अवलोकन हेतु।
Sufi Singer Harpreet Shingh is Performing Sufi Music ...in International short film Festival , Bikaner 2015 |
Yogendra kumar puorhit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
1 comment:
My facebook Friend and Organizer team member of International Short film Festival Master Sunil Joshi was wrote on my note at facebook in comment box ..
Sunil Joshi wrote it ..** Thanks dear for a detailed post on SFISFF. We are grateful to you and persons like you who made this event successful. Once again thanks for kind support. Good Luck **
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