The
play Yugpurush is completing to Duty of
Theater
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Here Satyam is true
, Shivam is god Shiva and Sundar is aesthetic , it mean true is like
god and god have real aesthetic in self . God is Permanent just like true . so aesthetic mean is , a form that
live permanent with life .
Yesterday in evening
time by luck I got a chance for visit to a live play in my city . play (
theater ) is a part of complete art . we can say all kind of art is connect to
theater art so a complete aesthetic
sense can give very first the theater art .
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Plato was wrote this in 347 B.C. time , his true fundamental aesthetic definition is
working todayvery perfectly by art format . I am saying it because I felt
it yesterday evening when I was watching
to Play YUGPURUSH .
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The Team of YUGPURUSH
play is very professional so they are very academic , they are collecting money
from that play but they are using that for social development. so the play
YUGPURUSH is aesthetical itself . this play is giving much more to society by the way of art .
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The play YUGPURUSH is following
to Indian aesthetics concept Satyam Shivam Sundaram .
Yesterday night I were
wrote a Hindi Note About that play so
here that’s link , photographor text copy for
your visit ( I sure you will translate
that Hindi text on online in your own language ) .
मित्रों
आज भारतीय ऐतिहासिक प्रमाणों को प्रमाणित करता नाट्य जो की भारतीय दर्शन
के साथ जीवन दर्शन को समर्पित महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर पर
आधारित को देखने का अवसर मिला ! धर्म गुरु की अनुकंपा से और उस अनुकंपा को
मुझ तक सम्प्रेषित किया मेरी नजर में महापुरुष के पथ पर अग्रसर आचार्य
तुलसी शांति प्रतिष्ठान नैतिकता का शक्ति पीठ के अध्यक्ष श्री लूणकरण छाजेड़
जी और उनके साथ महामंत्री श्री जतन दुगर जी ने, ( मेरे व्हाटसअप पर ) !
उनके स्नेह और नाट्यकला के प्रति अभिरुजी और जिज्ञासा ने मुझे अपने आप को ठीक समय पर प्रस्तुत करने को बाध्य कर दिया और मैं समय पर उपस्थित हुआ तेरापंथ भवन बीकानेर में ! जहाँ नाट्य प्रस्तुति युगपुरुष की २७३ वी प्रस्तुति बीकानेर में होनी थी और हुई भी !
जितना मैंने नाट्यशास्त्र के रचेयता भरतमुनि को पढ़ा या कलाओं के अन्तर्सम्बन्ध को जाना वो मैंने आज बड़े स्टेज पर यथार्थ रूप में प्रगटित होते देखा !
नाट्य कला बहु उदेश्य और समस्त कलाओं का संयोजन माना जाता है वो कैसे होता है आज प्रायोगिक रूप में देखा ! समूह किस प्रकार से बड़े से बड़े कार्य को सहज कर देता है वो भी नाट्य कला के जटिल कार्य को ! तेरापंथ भवन के सत्संग के पंडाल में बने सत्संग के मंच को युग पुरुष नाट्य की टीम ने रंगमंच में तब्दील करदिया ! तपो भूमि या उस तेरापंथ आश्रम में धर्म, जीवन , दर्शन,और जीवन लक्ष्य का पाठ महात्मा के महात्मा की जीवन यात्रा को नाटक में किरदारो से अभिनीत करवाकर इतिहास को पुनः जिवंत करके यथार्थ भाव दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया ! इतना ही नहीं नाटक से अर्जित होने वाली धन राशि से चिकित्सालय का निर्माण कार्य सम्पन होगा तो दर्शक दीर्घा में बैठे असंख्य व्यक्तित्व महात्मा ग़ांधी जी के जीवन यात्रा वृतांत से लेकर महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर के समष्टि गत दर्शन को भी जान रहे है ! मात्र तीन महीनो में नाट्य की २७३ प्रस्तुति आज तक हो जाना कोई सहज और सरल कार्य नहीं सो इसे एक राष्ट्रिय प्रोजेक्ट के रूप में भी देखने और समझने का अवसर सभी दर्शकों को मिलेगा ! सही सही कहूँ तो पुरे भारत वर्ष और साथ में समूचे विश्व को !
युगपुरुष नाट्य रचना ये स्पष्ट करती है की किस प्रकार एडवोकेट मोहन दास करमचंद ग़ांधी , महात्मा ग़ांधी बने और उनके प्रेरणा पुंज किस प्रकार से महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर बने ( नाटक में कलात्मक समालोचना की दृष्टि से एक द्रश्य में मंच पर गाँधी के तीन रूपक , एक साथ ही मंच से दिखाया गया जो अति प्रयोग प्रतीत हुआ , वही युवा गाँधी और महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर के मध्य पत्राचार में भी बुजुर्ग ग़ांधी को पत्रवाहक के रूप में काम में लिया गया ! जो नाटक की और गाँधी की नैतिक छवि को अशोभित करता सा प्रर्तित हुआ , उस प्रयोग की भी आवश्यकता नहीं थी मेरी दृस्टि से! उस जगह एक अन्य अभिनेता डाकिये की वेश भूषा में पत्र वाहक का कार्य आराम से कर सकता था मंच पर ! )
मंच सझा में पूर्ण रूप से अभ्यास किया हुआ था कम में ज्यादा दिखाया गया , पार्श्व में कई द्रश्य दर्शाये गए सभी यथार्थ और सजीव से प्रतीत होते रहे ( तकनिकी पक्ष सुदृढ़ परिपक्व ) ! ये उस नाट्य प्रस्तुती की सब से मजबूत कड़ी थी जिसकी जितनी तारीफ़ करे कम है !
कुल मिलाकर आज एक और प्रोफेशनल थिएटर को उसके सामाजिक दायित्व की भूमिका को पूर्ण रूप से निभाते हुए देखा ! साथ में सोन्दर्यानुभूति हुई सो सोने में सुहाग रहा ! मैं बधाई देना चाहूंगा युगपुरुष महात्मा के महात्मा नाट्य के निर्देशक श्री राजेश जोशी जी को और उनकी पूरी टीम को की उन्होंने आज पुनः महात्मा गाँधी और उनके जीवन दर्शन के साथ साथ महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर की स्मृति को जिवंत कर दिया अपने यथार्थ नाट्य प्रस्तुतिकरण से , सो वे साधुवाद के पात्र भी है अब से !
फोटो साझा कर रहा हूँ एक कलाकार की दृस्टि से एक दो ही ले पाया बाद में मुझे रोक दिया गया सो मैंने रोकने वाले महानुभाव के आग्रह की रक्षा की और उन्हें तकलीफ न हो इसलिए कोई अन्यत्र फोटो लेने का प्रयास भी नहीं किया उस नाट्य प्रस्तुति का ! ( सत्य यही है और जो सत्य हे वही शिव है और जो शिव है वही सुन्दर है !) मुझे उम्मीद है मेरे फोटो अपडेट करने से युगपुरुष नाट्य टीम को कोई आपत्ति नहीं होगी ! क्यों की उनके कला सृजन और आयाम को मैं मेरे ऑनलाइन नेटवर्क से असंख्य कला प्रेमियों तक प्रेषित कर के उनके इस मिशन में सहयोगी की भूमिका ही निभाने का प्रयत्न भर कर रहा हूँ और कुछ नहीं ! क्यों की कला के सृजन पथ पर मैं भी हूँ , और सच्ची कला सब की है इस मनसा से सब तक प्रेषित कर रहा हूँ ! इस युगपुरुष नाट्य प्रस्तुति की एक दो फोटो मेरे इस शार्ट नोट के साथ फेसबुक व् अन्य ऑनलाइन नेटवर्क्स के माध्यम से ! ( संभवतः डॉ. अमिताभ बच्चन जी के साथ भी इस अद्भुत अनुभूति को उनके ब्लॉग पर भी साझा करूँगा हमारे ई एफ फॅमिली के अनुभव के लिए )
उनके स्नेह और नाट्यकला के प्रति अभिरुजी और जिज्ञासा ने मुझे अपने आप को ठीक समय पर प्रस्तुत करने को बाध्य कर दिया और मैं समय पर उपस्थित हुआ तेरापंथ भवन बीकानेर में ! जहाँ नाट्य प्रस्तुति युगपुरुष की २७३ वी प्रस्तुति बीकानेर में होनी थी और हुई भी !
जितना मैंने नाट्यशास्त्र के रचेयता भरतमुनि को पढ़ा या कलाओं के अन्तर्सम्बन्ध को जाना वो मैंने आज बड़े स्टेज पर यथार्थ रूप में प्रगटित होते देखा !
नाट्य कला बहु उदेश्य और समस्त कलाओं का संयोजन माना जाता है वो कैसे होता है आज प्रायोगिक रूप में देखा ! समूह किस प्रकार से बड़े से बड़े कार्य को सहज कर देता है वो भी नाट्य कला के जटिल कार्य को ! तेरापंथ भवन के सत्संग के पंडाल में बने सत्संग के मंच को युग पुरुष नाट्य की टीम ने रंगमंच में तब्दील करदिया ! तपो भूमि या उस तेरापंथ आश्रम में धर्म, जीवन , दर्शन,और जीवन लक्ष्य का पाठ महात्मा के महात्मा की जीवन यात्रा को नाटक में किरदारो से अभिनीत करवाकर इतिहास को पुनः जिवंत करके यथार्थ भाव दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया ! इतना ही नहीं नाटक से अर्जित होने वाली धन राशि से चिकित्सालय का निर्माण कार्य सम्पन होगा तो दर्शक दीर्घा में बैठे असंख्य व्यक्तित्व महात्मा ग़ांधी जी के जीवन यात्रा वृतांत से लेकर महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर के समष्टि गत दर्शन को भी जान रहे है ! मात्र तीन महीनो में नाट्य की २७३ प्रस्तुति आज तक हो जाना कोई सहज और सरल कार्य नहीं सो इसे एक राष्ट्रिय प्रोजेक्ट के रूप में भी देखने और समझने का अवसर सभी दर्शकों को मिलेगा ! सही सही कहूँ तो पुरे भारत वर्ष और साथ में समूचे विश्व को !
युगपुरुष नाट्य रचना ये स्पष्ट करती है की किस प्रकार एडवोकेट मोहन दास करमचंद ग़ांधी , महात्मा ग़ांधी बने और उनके प्रेरणा पुंज किस प्रकार से महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर बने ( नाटक में कलात्मक समालोचना की दृष्टि से एक द्रश्य में मंच पर गाँधी के तीन रूपक , एक साथ ही मंच से दिखाया गया जो अति प्रयोग प्रतीत हुआ , वही युवा गाँधी और महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर के मध्य पत्राचार में भी बुजुर्ग ग़ांधी को पत्रवाहक के रूप में काम में लिया गया ! जो नाटक की और गाँधी की नैतिक छवि को अशोभित करता सा प्रर्तित हुआ , उस प्रयोग की भी आवश्यकता नहीं थी मेरी दृस्टि से! उस जगह एक अन्य अभिनेता डाकिये की वेश भूषा में पत्र वाहक का कार्य आराम से कर सकता था मंच पर ! )
मंच सझा में पूर्ण रूप से अभ्यास किया हुआ था कम में ज्यादा दिखाया गया , पार्श्व में कई द्रश्य दर्शाये गए सभी यथार्थ और सजीव से प्रतीत होते रहे ( तकनिकी पक्ष सुदृढ़ परिपक्व ) ! ये उस नाट्य प्रस्तुती की सब से मजबूत कड़ी थी जिसकी जितनी तारीफ़ करे कम है !
कुल मिलाकर आज एक और प्रोफेशनल थिएटर को उसके सामाजिक दायित्व की भूमिका को पूर्ण रूप से निभाते हुए देखा ! साथ में सोन्दर्यानुभूति हुई सो सोने में सुहाग रहा ! मैं बधाई देना चाहूंगा युगपुरुष महात्मा के महात्मा नाट्य के निर्देशक श्री राजेश जोशी जी को और उनकी पूरी टीम को की उन्होंने आज पुनः महात्मा गाँधी और उनके जीवन दर्शन के साथ साथ महापुरुष श्रीमद राजचन्द्र मिशन धरमपुर की स्मृति को जिवंत कर दिया अपने यथार्थ नाट्य प्रस्तुतिकरण से , सो वे साधुवाद के पात्र भी है अब से !
फोटो साझा कर रहा हूँ एक कलाकार की दृस्टि से एक दो ही ले पाया बाद में मुझे रोक दिया गया सो मैंने रोकने वाले महानुभाव के आग्रह की रक्षा की और उन्हें तकलीफ न हो इसलिए कोई अन्यत्र फोटो लेने का प्रयास भी नहीं किया उस नाट्य प्रस्तुति का ! ( सत्य यही है और जो सत्य हे वही शिव है और जो शिव है वही सुन्दर है !) मुझे उम्मीद है मेरे फोटो अपडेट करने से युगपुरुष नाट्य टीम को कोई आपत्ति नहीं होगी ! क्यों की उनके कला सृजन और आयाम को मैं मेरे ऑनलाइन नेटवर्क से असंख्य कला प्रेमियों तक प्रेषित कर के उनके इस मिशन में सहयोगी की भूमिका ही निभाने का प्रयत्न भर कर रहा हूँ और कुछ नहीं ! क्यों की कला के सृजन पथ पर मैं भी हूँ , और सच्ची कला सब की है इस मनसा से सब तक प्रेषित कर रहा हूँ ! इस युगपुरुष नाट्य प्रस्तुति की एक दो फोटो मेरे इस शार्ट नोट के साथ फेसबुक व् अन्य ऑनलाइन नेटवर्क्स के माध्यम से ! ( संभवतः डॉ. अमिताभ बच्चन जी के साथ भी इस अद्भुत अनुभूति को उनके ब्लॉग पर भी साझा करूँगा हमारे ई एफ फॅमिली के अनुभव के लिए )
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Plato said a art can
give moral aspects then that art is useful , this same talk I was felt in play
YUGPURUSH yesterday night when I was watched that .
So here I can say it , The play YUGPURUSH is completing to duty of
theater …
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
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