STUDY
ON FIRST
INDIAN LITERTURE
RAMAYAN
Friends last ten days to I were lived busy in study of Ramayan . it is a first
Indian literature in poetic sound. Sant and writer Rishi walmiki was wrote
it in his own language Sanskriti , he
was draw to life of God Rama in a book today we are saying to this writing style biography of GOD
RAMA .
I have read this
historical or religion book by visual art. On youtube.com library . A contemporary Cine Art
Director Ramanand Sagar was created and transferred to that first Indian literature
in cine art for study of our nation
people . in my childhood age I were
watched that just for my fun by our
national TV channel DURDARSHAN .
But in this days I were
searched that RAMAYAN on youtube .com
library and by luck I were founded for
my study so I were started study on that . in ten days I were
completed it by support of electricity
or by BSNL or yourtube .com library team. So thanks to all of them very first
because after support of them I can read
to first literature of our INDIA that is RAMAYAN.
Here today after
complete to study on Ramayan I have
expressed my observation in words that is in Hindi but I sure bing or google translate will help
for you in translation to it in right
meaning about your reading .
here I am going to share a link of first literature of RAMAYAN , it is from yourtube .com library . and my view after reading on RAMAYAN .
here I am going to share a link of first literature of RAMAYAN , it is from yourtube .com library . and my view after reading on RAMAYAN .
( मित्रों कल मैंने रामायण ग्रन्थ का अध्ययन सम्पूर्ण किया दस रोज कि अवधि के बाद ! अध्ययन करते समय ये ज्ञात हुआ कि ये हिन्दू संस्कृति का प्रथम काव्य ग्रन्थ है ! और महाऋषि वाल्मीकि के द्वारा लिखित ये ग्रन्थ भगवान राम के जीवन का रेखा चित्र है ! मैंने ये अध्ययन पुस्तक से नहीं बल्कि यूट्यूब के माधयम से श्री रामानंद सागर द्वारा रचित चलचित्र के द्वारा किया ! रामानंद सागर जी ने गोस्वामी तुलसी दास और फिर उत्तर रामायण महाऋषि वाल्मीकि जी कि रामायण से लिया और फिर फिल्माया ! एक कलाकार कि द्रस्टी कोण से मुझे रामायण और उत्तर रामायण में फर्क नजर आया ! हालांकि निर्माता , अभिनेता और संवाद प्रस्तुति करण वही था पर मुलभुत लेखनी स्वतही अपने भाव अभिव्यक्त कर रही थी अनायास ही फर्क समझ आरहा था वाल्मीकि और तुलसी कि रामायण लेखनी का !
एक बात समझ आयी कि राजा हरिश्चंद्र के परिवार को हमेशा कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ा या वे राजा के धर्म को प्रतिबधता से निभाते थे एक राजा कि भांति एक सन्यासी कि भांति ! सो उन्होंने राजा और राजा कि परिभाषा को स्थापित करने के लिए बहुत कुछ त्याग या उन्हें त्यागना पड़ा ! रामायण में स्व का त्याग , राजा के द्वारा , सब का हित समझने और उसे पूरा करने वाला व्यक्ति ईस्वर के सम रूप होता है ऐसा समझाने कि कोशिश कि गयी है रामायण के माध्यम से अनेका अनेक वृतांत , उदाहरण और प्रकरण के साथ ! ताकि हिंदुस्तान के हर युग में अच्छे राजा हिंदुस्तान कि जनता को मिले एक पालक के रूप में एक पिता के रूप में पर आज परिदृश्य जटिल और असम्भव सा है ! सायद इसी कारण रामायण जेसे साहित्य को पुनः अध्ययन कि आवश्यकता है और फिर धारण करने कि भी !
रामायण काव्य ग्रन्थ केवल कलात्मक या रचनात्मक परिकल्पना का लेखा जोखा नहीं प्रतीत हुआ मुझे ! इसमें उस समय काल के ज्ञान और विज्ञानं के साथ उसके तकनिकी पक्ष भी रखे गए है जो मार्गदर्शन और नयी खोज या पुनः खोज के संकेत देती है खोज कर्ताओं को !
अनिष्ट और अनर्गल को सत कर्म में केसे लिया जाए इस कि भी कुंजी रामायण में मिली श्रापित नल नील वानरों के श्राप का सही उपियोग राम सेतु के निर्माण में लिया गया ! पुष्पक विमान समय और दुरी को कम करने के लिए उपियोग में लिया गया ! गति कि परिभाषा रामायण में स्पस्ट कि गयी , वायु गति, ध्वनि गति, प्रकाश गति , मन कि गति , और उस से आगे ईश्वरीय गति।
प्रकृति के करूण दृश्य ( क्रोंच पक्षी के युगल पर शिकारी के बाण से नर कि मृत्यु और फिर प्रेम करुणा में मादा क्रोंच का देह त्यागना ) से खिन होकर महाऋषि वाल्मीकि ने कुछ शब्द उच्चारित किये वे शब्द समूह के रूप में रामायण का प्रथम श्लोक बना या वही करुणा दृश्य रामायण काव्य ग्रन्थ का प्रथम आधार बना सो वाल्मीकि कि रामायण करुणा भाव से ओत प्रोत है ! कुछ प्रकरणो पर भावुकता वश मेरी आँखे भी नम होती रही ये प्रभाव करुणा मई महा ग्रन्थ के भाव और महा ऋषि वाल्मीकि जी कि लेखनी का प्रभाव ही था जिसे रामानंद सागर जी ने ओर जीवनत कर के मेरे समक्ष अध्ययन हेतु रखा !
आदर्श जीवन, राजा का , पिता का, माता का , भ्राता का , अर्थांगिनी का , प्रजा का , सेवक का , मित्र का , भक्त का , पुत्र का , गुरु का , शत्रु का , देव का दानंव का , ऋषियों का , मुनियों का , यहाँ तक कि भगवान का भी आदर्श चित्रण रामायण में बहुत स्पष्ट रूप से साफ़ और सटीक शब्दों में व्याख्यायित किया हुआ है जो मानव मस्तिस्क को विचरने को बाध्य करता है ! यही रामायण कि सफलता है साधारण जीवन में, और आध्यात्मिक दृष्टि कोण से तो ये वैचारिक मुक्ति कि और लेजाता है क्यों कि शारीरिक मुक्ति समय और काल के हाथ है काल जो विष्णु के प्रथम पुत्र जो स्वयं विष्णु भगवान् को भूमि त्यागने कि सुचना देने आते है और साथ में दंड कि लीला के रूप में शेषनाग लक्ष्मण को भी सन्देश देजाते है भूमि त्यागने का !
रामायण एक तरफ सरल जीवन कि साक्षी प्रतीत होती है तो दूजी और अलोकिक रहस्यों और सृस्टि के गुड़ रहश्यों को भी सांकेतिक रूप से सब के समक्ष रखती है जहाँ अदृश्य शक्तिया , और उनके प्रभाव और उन प्रभावों से आगे का कथानक कड़ी दर कड़ी जुड़ता और टूटता सा नजर आता है !
उत्तर रामायण में राम विष्णु रूप में सर्वर नदी से वैकुण्ठ धाम कि और प्रस्थान करते है लग भग सभी को अपने में आत्म सात कर लेते है पर परम वीर हनुमान शिव के अंश रूप को कलयुग के अंत तक धरती पर ही वास करने का आदेश और आज्ञा देते है ! यहाँ से रहस्य कि बात का स्पष्टि करण नजर आता है पर ये रहस्य ही है कि हनुमान जी है तो है कहाँ इस धरा पर इस कलयुग में ?
कुल मिलाकर इन दस रोज में मैंने एक और महा ग्रन्थ को करीब से अपने अध्ययन कि बोधिक क्षमता के साथ पठन किया फिर जो समझ पाया वो आप के लिए यहाँ रख रहा हूँ एक आदर्श पाठक के रूप में , एक आदर्श समीक्षक के रूप में और एक आदर्श साहित्य और काव्य अनुरागी के रूप में। .जय श्री राम .... जय हो ....)
एक बात समझ आयी कि राजा हरिश्चंद्र के परिवार को हमेशा कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ा या वे राजा के धर्म को प्रतिबधता से निभाते थे एक राजा कि भांति एक सन्यासी कि भांति ! सो उन्होंने राजा और राजा कि परिभाषा को स्थापित करने के लिए बहुत कुछ त्याग या उन्हें त्यागना पड़ा ! रामायण में स्व का त्याग , राजा के द्वारा , सब का हित समझने और उसे पूरा करने वाला व्यक्ति ईस्वर के सम रूप होता है ऐसा समझाने कि कोशिश कि गयी है रामायण के माध्यम से अनेका अनेक वृतांत , उदाहरण और प्रकरण के साथ ! ताकि हिंदुस्तान के हर युग में अच्छे राजा हिंदुस्तान कि जनता को मिले एक पालक के रूप में एक पिता के रूप में पर आज परिदृश्य जटिल और असम्भव सा है ! सायद इसी कारण रामायण जेसे साहित्य को पुनः अध्ययन कि आवश्यकता है और फिर धारण करने कि भी !
रामायण काव्य ग्रन्थ केवल कलात्मक या रचनात्मक परिकल्पना का लेखा जोखा नहीं प्रतीत हुआ मुझे ! इसमें उस समय काल के ज्ञान और विज्ञानं के साथ उसके तकनिकी पक्ष भी रखे गए है जो मार्गदर्शन और नयी खोज या पुनः खोज के संकेत देती है खोज कर्ताओं को !
अनिष्ट और अनर्गल को सत कर्म में केसे लिया जाए इस कि भी कुंजी रामायण में मिली श्रापित नल नील वानरों के श्राप का सही उपियोग राम सेतु के निर्माण में लिया गया ! पुष्पक विमान समय और दुरी को कम करने के लिए उपियोग में लिया गया ! गति कि परिभाषा रामायण में स्पस्ट कि गयी , वायु गति, ध्वनि गति, प्रकाश गति , मन कि गति , और उस से आगे ईश्वरीय गति।
प्रकृति के करूण दृश्य ( क्रोंच पक्षी के युगल पर शिकारी के बाण से नर कि मृत्यु और फिर प्रेम करुणा में मादा क्रोंच का देह त्यागना ) से खिन होकर महाऋषि वाल्मीकि ने कुछ शब्द उच्चारित किये वे शब्द समूह के रूप में रामायण का प्रथम श्लोक बना या वही करुणा दृश्य रामायण काव्य ग्रन्थ का प्रथम आधार बना सो वाल्मीकि कि रामायण करुणा भाव से ओत प्रोत है ! कुछ प्रकरणो पर भावुकता वश मेरी आँखे भी नम होती रही ये प्रभाव करुणा मई महा ग्रन्थ के भाव और महा ऋषि वाल्मीकि जी कि लेखनी का प्रभाव ही था जिसे रामानंद सागर जी ने ओर जीवनत कर के मेरे समक्ष अध्ययन हेतु रखा !
आदर्श जीवन, राजा का , पिता का, माता का , भ्राता का , अर्थांगिनी का , प्रजा का , सेवक का , मित्र का , भक्त का , पुत्र का , गुरु का , शत्रु का , देव का दानंव का , ऋषियों का , मुनियों का , यहाँ तक कि भगवान का भी आदर्श चित्रण रामायण में बहुत स्पष्ट रूप से साफ़ और सटीक शब्दों में व्याख्यायित किया हुआ है जो मानव मस्तिस्क को विचरने को बाध्य करता है ! यही रामायण कि सफलता है साधारण जीवन में, और आध्यात्मिक दृष्टि कोण से तो ये वैचारिक मुक्ति कि और लेजाता है क्यों कि शारीरिक मुक्ति समय और काल के हाथ है काल जो विष्णु के प्रथम पुत्र जो स्वयं विष्णु भगवान् को भूमि त्यागने कि सुचना देने आते है और साथ में दंड कि लीला के रूप में शेषनाग लक्ष्मण को भी सन्देश देजाते है भूमि त्यागने का !
रामायण एक तरफ सरल जीवन कि साक्षी प्रतीत होती है तो दूजी और अलोकिक रहस्यों और सृस्टि के गुड़ रहश्यों को भी सांकेतिक रूप से सब के समक्ष रखती है जहाँ अदृश्य शक्तिया , और उनके प्रभाव और उन प्रभावों से आगे का कथानक कड़ी दर कड़ी जुड़ता और टूटता सा नजर आता है !
उत्तर रामायण में राम विष्णु रूप में सर्वर नदी से वैकुण्ठ धाम कि और प्रस्थान करते है लग भग सभी को अपने में आत्म सात कर लेते है पर परम वीर हनुमान शिव के अंश रूप को कलयुग के अंत तक धरती पर ही वास करने का आदेश और आज्ञा देते है ! यहाँ से रहस्य कि बात का स्पष्टि करण नजर आता है पर ये रहस्य ही है कि हनुमान जी है तो है कहाँ इस धरा पर इस कलयुग में ?
कुल मिलाकर इन दस रोज में मैंने एक और महा ग्रन्थ को करीब से अपने अध्ययन कि बोधिक क्षमता के साथ पठन किया फिर जो समझ पाया वो आप के लिए यहाँ रख रहा हूँ एक आदर्श पाठक के रूप में , एक आदर्श समीक्षक के रूप में और एक आदर्श साहित्य और काव्य अनुरागी के रूप में। .जय श्री राम .... जय हो ....)
I sure after visit to this link or after read to this hindi
note you will know to my study view. You can know why I read that ? and why I share this view at here for you ?
Actually I want know as a visual art master , what was the first Indian literature of our India and how to writer was created that’s visuals for readier In his Literature . so here I said study on first literature of India RAMAYAN …
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
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