Table
Talk About Heritage
Friends last week I were invited for a table talk ,
that was at Ajit Foundation ( NGO ) Bikaner. There I were joined
to that live table talk about Subject of Heritage of Bikaner.
I can say that table
talk was a international table talk in our Bikaner, our Ajit Foundation ( NGO)
or that’s organization team was organized that table talk in our Historical City Bikaner. So I were
thankful for our Ajit Foundation .
Actually in that table
talk I saw some architects were came from other countries or our INDIAN architect Sir Ashish Ganju was co
ordinate to them in that table talk about heritage .
There we creative people of Bikaner were presented for that table talk of heritage . I were told
to all in that table talk ,myself yogendra kumar purohit , I am master of fine
art , I have started a project about care to
heritage care before 10 years through my visual art , I have not done much more
constructive work about heritage but by
visual art I am giving sense to world
people about our real heritage .
Table talk about Heritage of Bikaner at Ajit foundation ( NGO ) Photo by Dr. Ajay Joshi |
There I were listen to
many experts and heritage care persons with different angles of heritage of my
city or about our world Heritage.
Table talk about Heritage of Bikaner at Ajit foundation ( NGO ), Architect Ashish Ganju and architect Haywood Hill talking on heritage - Photo by Dr. Ajay Joshi |
As a documentation of
that table talk I were wrote a short
note in Hindi and shared with our world family for heritage views on online
networks .
So here that short note
copy I want to share with you, I hope you will translate it very well in your own language by support of Google or
some more online translators.
I were wrote it ..
मित्रों आज अजित फाउंडेशन में एक टेबल टॉक में शामिल होने का सु अवसर मिला
मित्र संजय श्रीमाली के जरिये जो अजित फाउंडेशन के संचालक के रूप में
कार्यरत है इन दिनों !
टेबल टॉक सामंजस्य को आधार बना कर आयोजित की गयी ! सामंजस्य का आधार तत्व था ऐतिहासिक धरोहर का विषय ! जिसके लिए विश्व विख्यात आर्किटेक्ट श्री आशीष गंजू जी व उनके साथ दो अन्य परदेशी आर्किटेक्ट भी थे ! बीकानेर से संजय श्रीमाली ने मुझ समकालीन चित्रकार के अलावा शहर के प्रतिष्ठित लोगो को भी शामिल किया उनमे संस्कृति संगरक्षक होटल भवर निवास के संस्थापक श्री सुनील रामपुरिया जी , प्रकाशन और पत्रकारिता के क्षेत्र से श्री दीप चंद सांखला जी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री हर्ष जी ,सन्नू जी हर्ष, असफाक कादरी ,डॉ अजय जोशी जी , जिया उल हसन कादरी , असद अली असद , के के शर्मा जी, गोपाल सिंह डॉ रितेश कुमार व्यास ,स्वरुप सिंह के अलावा कुछ और संस्कृति संगरक्षण के लिए कार्य करने वाले गणमान्य सज्जन भी उपस्थित थे !
पहले एक सामान्य परिचय हुआ , फिर हिंदी इंग्लिश और ट्रांस्लेटशन के बीच टेबल टॉक शुरू हुए बीकानेर के ऐतिहासिक धरोहर और उसके संगरक्षण के विषय पर ! कुछ लोगो ने शहर की समस्या ,निजी अधिकार ,और सामाजिक शिक्षा के अभाव की बात कही , ऐतिहासिक धरोहर की चिंता की ! जैसे की मैंने पहले भी कई बार कहा है की मेरे लिए ऐतिहासिक धरोहर मेरे जीवन के वे ३८ साल है जिसे मैंने इस मानवीय संस्कृति में जिया है ईंट भाटे पत्थर मेरी धरोहर नहीं ! किसी भी शहर की धरोहर उसकी इमारते नहीं बल्कि उसकी नीव होती है जो संस्कारो और मानवीय आचरण के द्वारा बनी होती है ! इमारते सर छुपाने की एक आरामगाह है जो हमेशा समय के साथ अपने आयाम और रूप बदलती रही है मानवीय आवश्यकता के अनुसार ये स्वाभाविक है और आगे भी जारी रहेगा मानवीय संस्कृति के साथ प्राकृतिक रूप से जिसे न कोई विचार रोक सकता है न ही कोई तकनीक !
वैसे भी मेरे शहर को मस्तानो का शहर कहा जाता है ! पूरा देश बीकानेर की आत्मीय संस्कृति को पाना चाहता है ! शाइर अजीज आजाद जी ने कहा है दो दिन मेरे शहर में ठहर कर तो देखो सारा जहर उत्तर जाएगा !
टेबल टॉक सामंजस्य को आधार बना कर आयोजित की गयी ! सामंजस्य का आधार तत्व था ऐतिहासिक धरोहर का विषय ! जिसके लिए विश्व विख्यात आर्किटेक्ट श्री आशीष गंजू जी व उनके साथ दो अन्य परदेशी आर्किटेक्ट भी थे ! बीकानेर से संजय श्रीमाली ने मुझ समकालीन चित्रकार के अलावा शहर के प्रतिष्ठित लोगो को भी शामिल किया उनमे संस्कृति संगरक्षक होटल भवर निवास के संस्थापक श्री सुनील रामपुरिया जी , प्रकाशन और पत्रकारिता के क्षेत्र से श्री दीप चंद सांखला जी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री हर्ष जी ,सन्नू जी हर्ष, असफाक कादरी ,डॉ अजय जोशी जी , जिया उल हसन कादरी , असद अली असद , के के शर्मा जी, गोपाल सिंह डॉ रितेश कुमार व्यास ,स्वरुप सिंह के अलावा कुछ और संस्कृति संगरक्षण के लिए कार्य करने वाले गणमान्य सज्जन भी उपस्थित थे !
पहले एक सामान्य परिचय हुआ , फिर हिंदी इंग्लिश और ट्रांस्लेटशन के बीच टेबल टॉक शुरू हुए बीकानेर के ऐतिहासिक धरोहर और उसके संगरक्षण के विषय पर ! कुछ लोगो ने शहर की समस्या ,निजी अधिकार ,और सामाजिक शिक्षा के अभाव की बात कही , ऐतिहासिक धरोहर की चिंता की ! जैसे की मैंने पहले भी कई बार कहा है की मेरे लिए ऐतिहासिक धरोहर मेरे जीवन के वे ३८ साल है जिसे मैंने इस मानवीय संस्कृति में जिया है ईंट भाटे पत्थर मेरी धरोहर नहीं ! किसी भी शहर की धरोहर उसकी इमारते नहीं बल्कि उसकी नीव होती है जो संस्कारो और मानवीय आचरण के द्वारा बनी होती है ! इमारते सर छुपाने की एक आरामगाह है जो हमेशा समय के साथ अपने आयाम और रूप बदलती रही है मानवीय आवश्यकता के अनुसार ये स्वाभाविक है और आगे भी जारी रहेगा मानवीय संस्कृति के साथ प्राकृतिक रूप से जिसे न कोई विचार रोक सकता है न ही कोई तकनीक !
वैसे भी मेरे शहर को मस्तानो का शहर कहा जाता है ! पूरा देश बीकानेर की आत्मीय संस्कृति को पाना चाहता है ! शाइर अजीज आजाद जी ने कहा है दो दिन मेरे शहर में ठहर कर तो देखो सारा जहर उत्तर जाएगा !
कुल मिलाकर उस दो घंटे की टेबल टॉक में सिर्फ समस्याओं और हवेलियों
संगरक्षण पर ही बात होती रही ! मेरे जहन में प्रशन बनता रहा की आखिर करे तो
करे क्या और कैस ? इस ऐतिहासिक धरोहर के लिए ? हजार हवेलिया भी मानलो पुनः
बना ली जाए तो क्या २०० से ४०० साल बाद फिर से वे टूटने की कगार पर नहीं
आएगी ? और आएगी तो क्या फिर ऐसे ही कोई नई टेबल टॉक आयोजित की जायेगी ? इस
हिसाब से हम शहर के चलवे तो बन ही जाएंगे हवेलिया बनवाने वाले चलवे
आर्किटेक्ट वाले अंदाज में पर शायद ऐतिहासिक धरोहर को ठीक से समझ ही नहीं
पाएंगे ! जैसा की आज उस टेबल टॉक में मुझे महसूस हुआ कोई बीकानेर के नाम और
उसकी पहचान की बात कर रहा था , तो कोई साफ़ सफाई की, कोई प्रशाशनिक
व्यवस्था की तो कोई निजी सम्पति होने की आड़ ले रहा था ! टेबल टॉक जहाँ से
शुरू हुई वही रुकी या रोकी गयी क्यों की ठोस विकल्प नजर नहीं आरहा था !
शहर की इमारते जब बनी थी तब व्यवस्था बीकानेर के राजा जी की थी ! वो बीकानेर का विकास और निर्माण का समय था या यूँ कहे मास्टर प्लान जो ५०० साल तक या उसे से भी आगे तक टिक पाया राजा जी की दूरंदेशी वाली रचनात्मक दृष्टि के कारण ! शायद यही एक ऐतिहासिक धरोहर कही जा सकती है मेरे शहर बीकानेर की जो अब नहीं है ( राजा की वो दृष्टि ) !
शहर की इमारते जब बनी थी तब व्यवस्था बीकानेर के राजा जी की थी ! वो बीकानेर का विकास और निर्माण का समय था या यूँ कहे मास्टर प्लान जो ५०० साल तक या उसे से भी आगे तक टिक पाया राजा जी की दूरंदेशी वाली रचनात्मक दृष्टि के कारण ! शायद यही एक ऐतिहासिक धरोहर कही जा सकती है मेरे शहर बीकानेर की जो अब नहीं है ( राजा की वो दृष्टि ) !
उस समय सारे अधिकार विकास के लिए काम में लिए जाते , कला को महत्त्व दिया
जाता शहर को अपने घर की तरह साफ़ और सुन्दर तरीके से सजाया जाता ! आज अधिकार
बट गए , विकास के काम बट गए यहाँ तक की आर्थिक विकाश के क्रम में मन भी बट
गए ! कभी देश में शहर अमिर या गरीब होता था सीधे अर्थों में राजा पर आज
शहर वासी अमिर और गरीब हो रहे है, ये हो रहा है ऐतिहासिक धरोहर का विकसित
रूप जो सीधे सीधे भौतिक वाद के ऐतिहासिक रूप से जोड़ता जारहा है या ले जा
सकता है फिर किसी ऐसी ही टेबल टॉक पर जो आज अजित फाउंडेशन में देखने और सुन
ने को मिली । ऐसी ऐतिहासिक धरोहर की टेबल टॉक कम से कम दो देशों ओए शहरों
के चिंतकों विचारकों और रचनाकारों को जोड़ तो रही है सो इस प्रकार की टेबल
टॉक की … जय हो …
That table talk of
Heritage was noticed by Media and press
, our city news papers were published to our meaning full table talk of heritage ,
it was meaning full because some educated person of our world was talked on a subject , that subject is identity of
human yes Heritage ..our heritage is our live institute or a right guide line
of future life. So it was very
meaningful table talk of us At Ajit Foundation by organization of Ajit
Foundation ( NGO ) .
So here I said to it table talk about heritage ..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
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