I
was lived to script of film PIKU
Last month I were
visited to Hindi cine art product film PIKU . you know I have commitment with
Dr. Amitabh Bachchan for our daily art communication by this online way or path . I were accepted to him as a E GURU ( E – Teacher of visual art
) and he was accepted to me as a E
Student . in this communication of art we
are sharing our art work visuals and art report
to last eight years without any brake . so in this communication chain creation
work , last month I were went to cine
magic theater of Bikaner for visit the recent
art work of Dr. Amitabh Bachchan .
Yes I am saying about
his cine art PIKU . this picture script is very social or a basic life
subject . in film PIKU, art
script run around a senior citizen of INDIA or his physical problem , in
this art work Dr. Amitabh Bachchan had
expressed to constipation problem of a
senior person or that’s side effect on other family member or on their real life .
Piku film or that’s concept
is based on psychology . you can say this art film is teaching to society for
problem of physical dices or psychology
by way of emotions. This art film
is teaching to youth how to care to our senior member of family or society, in same
condition this film is teaching to seniors of our society , how to they face to
their critical physical problem and how to share that problem with family
members . I can say this film is completely guide line of critical life time , it can give way of patience
design and much more .
( writer wrote very
well, director directed very well , actors performed very well and the result is , film PIKU have done business of
100 Caror very well ..) ha ha..
But for me this art
film PIKU is not new concept , because I were lived it before three year
or you can say it was continue till 2012 . because I were caring to my late great grandfather in our home . he
was very emotional person or very sensitive too . so we were moved very care
fully for him . he was also disturbed to constipation problem in his life . so
when I were watching to film PIKU on big screen I were feeling it is my real past . that film script was
touched my heart and emotion’s .
In mid of that
film I noticed my eyes were wet by eye water , because some seen of that film was very close to
me or myself nature so I were very
emotional in cine hall . by luck I were
alone there , I mean no one with me in cine hall as a family member or close
friend so I were felt lots of emotional presser on my heart or that’s result my eyes were wet to
eye water . because I were faced that in real .
In film Script write
add a nice caption for message or guide to society that was it ( MOTION IS
EMOTION ) it is funny, critical, or meaning full + feeling full too . In short
a writer have wrote and guide very well to all by cine hall .
After visit of film
PIKU I were came at home and then I were
wrote some lines in Hindi as a hindi note for our world family . I were updated
that on online by facebook or I did shared that with Dr. Amitabh Bachchan On
his blog or with some more actors of film PIKU .
Here I want to share
that Hindi Note copy for your reading
but I will not translate to that . because I have no words for right
translation . so sorry , but I am sharing with
you , I know you educated person will
translate to my hindi note very well by tool of translation on online..
I wrote it ..
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10205243052370523&set=a.1159622585403.2025211.1072945182&type=1&theater
मित्रों
कलात्मक प्रतिबंधन के नाते, जो की बना हुआ है डॉ अमिताभ बच्चन जी से !
सो मैं आज काफी समय बाद करीब एक साल बाद फिर से सिने मैजिक थिएटर गया
फिल्म * पीकू * को देखने ! एक कारण ये भी रहा की आज सुबह रंगमंच अभिनेता
मास्टर नवल किशोर व्यास ने एक आर्टिकल पीकू पर मेरे साथ साझा किया जिसे
पढ़कर लगा की आज ही समय निकाल कर इस फिल्म का अध्ययन किया जाए और सायं का शो
देख डाला ! एक कब्ज ने एक कब्ज की बिमारी वाले
ने इंसान को मार डाला ! फिल्म का मुख्य किरदार डॉ अमिताभ बच्चन जी ने
निभाया है जो की कब्ज से ग्रसित है , जब फिल्म देख रहा था तो मुझे मेरे
स्वर्गीय दादा जी श्री बुलाकी दास पुरोहित जी की याद आती रही उन्हे भी
कब्ज की शिकायत रहती थी ! और हम भी भिन्न भिन्न तरह के प्रयोग करते उनकी हर
रोज की कब्ज को मिटाने को कभी घरेलु नुस्खे तो कभी होमियोपेथी और कभी
एलोपेथी यहाँ तक की एमिनो तक भी उपियोग में लिया जाता और उनकी कब्ज को
मिटाया जाता कब्ज की जुंझलाहट में वे कसार कहते के मेरे पेट को दबाओ सायद
बाहर आजाये , ना आने पर गुस्से में कहते कमबख्त फसी खड़ी है आती नहीं , कई
बार उन्हें अति परेशान देख कर डॉ साहब अपने नर्सिंग स्टाफ में से किसी को
भेजते और मैन्युअल तरीके से कब्ज की गांठों को नीलवाना पड़ता वो बड़ा तकलीफ
देह होता पर उसके बाद उन्हें दो तीन रोज के लिए राहत का अहसास मिलता !
बस फिल्म में पीकू का रोले दीपिका पादुकोने ने निभाया ( पादु कोने का मारवाड़ी में अर्थ होता है अभी नहीं पादुगा … जस्ट किडिंग। ) और मेरे घर में मेरे छोटे भाई ने ! सो पीकू फिल्म मेरे जीवन का एक हिस्सा सा है ऐसा कहूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी !
फिल्म में कुछ बातें भी शिक्षा प्रद लगी जिसमे रूट्स जड़ों को नहीं उखाड़ने की बात विरासत को संजोने की बात जो मेरे साथ है जन्म जात !
फिल्म में मौन रूप से जो बात कही गयी या मैंने पकड़ी या जो मैं अक्सर कहता हूँ की इंसान कही नहीं जाते जगह इंसानो को बुलाती है ! और इंसान को आत्मशांति अपनी जन्म भूमि ही दे पाती है !
पीकू की तरह हम दो भाइयों ने भी हमारे दादा जी के जीवन को दीर्घायु करने में ५ साल का समय एक दम बंधकर दिया ! वे पांच साल और उनके एक एक दिन गिनाउ तो ना जाने कितनी पीकू जैसी फिल्म पट कथाये निकले जिनमे मोशन , इमोशन , एक्शन , रिएक्शन , और ना जाने और कितने कितने शन मिलेंगे !
कुल मिलाकर डॉ अमिताभ बच्चन जी के साथ इरफ़ान खान ( मेरी तरह का एकलोता किरदार ) , दीपिका पादुकोने और रघुवीर सिंह यादव के साथ मौसमी चरटर्जी जी की चटर पटर ने गुद गुदाते हुए, मुझे मेरी जड़ों की याद दिलाई , मेरे स्वर्गीय दादा जी की याद दिलाई , फिल्म पीकू ने छुली मेरे हृदय की गहराई सो फिल्म पीकू को मेरी और से हार्दिक बधाई साथ ही पूरी पीकू टीम की इस फिल्म को बना ने के लिए मेरे हृदय की गहराई से … जय हो !
बस फिल्म में पीकू का रोले दीपिका पादुकोने ने निभाया ( पादु कोने का मारवाड़ी में अर्थ होता है अभी नहीं पादुगा … जस्ट किडिंग। ) और मेरे घर में मेरे छोटे भाई ने ! सो पीकू फिल्म मेरे जीवन का एक हिस्सा सा है ऐसा कहूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी !
फिल्म में कुछ बातें भी शिक्षा प्रद लगी जिसमे रूट्स जड़ों को नहीं उखाड़ने की बात विरासत को संजोने की बात जो मेरे साथ है जन्म जात !
फिल्म में मौन रूप से जो बात कही गयी या मैंने पकड़ी या जो मैं अक्सर कहता हूँ की इंसान कही नहीं जाते जगह इंसानो को बुलाती है ! और इंसान को आत्मशांति अपनी जन्म भूमि ही दे पाती है !
पीकू की तरह हम दो भाइयों ने भी हमारे दादा जी के जीवन को दीर्घायु करने में ५ साल का समय एक दम बंधकर दिया ! वे पांच साल और उनके एक एक दिन गिनाउ तो ना जाने कितनी पीकू जैसी फिल्म पट कथाये निकले जिनमे मोशन , इमोशन , एक्शन , रिएक्शन , और ना जाने और कितने कितने शन मिलेंगे !
कुल मिलाकर डॉ अमिताभ बच्चन जी के साथ इरफ़ान खान ( मेरी तरह का एकलोता किरदार ) , दीपिका पादुकोने और रघुवीर सिंह यादव के साथ मौसमी चरटर्जी जी की चटर पटर ने गुद गुदाते हुए, मुझे मेरी जड़ों की याद दिलाई , मेरे स्वर्गीय दादा जी की याद दिलाई , फिल्म पीकू ने छुली मेरे हृदय की गहराई सो फिल्म पीकू को मेरी और से हार्दिक बधाई साथ ही पूरी पीकू टीम की इस फिल्म को बना ने के लिए मेरे हृदय की गहराई से … जय हो !
I think you find the right aim of my writing for this post because I was lived to script of
film PIKU in my real life ..
So here I said I was lived script of film PIKU..
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDA
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