Strong
Culture is Inspire to Us
Yesterday we All
INDIANS were celebrated our cultural festival it was started In time of God Rama . today our world is moving
in this universe without God it is a critical time for human life. So life is
living and moving by support of culture
sound on this earth. This condition not
only with INDIA it is with all world countries . so today culture is our god
and guide for future life.
"We wish all those celebrating this weekend a Happy Diwali and Saal Mubarak." —President Obama |
Here my nation was busy in festival of light or
that’s celebration in that movement I were thinking about our nation culture or
that’s future . so I were wrote a critical note
in my national language HINDI because that was a live critical talk to my nation people by
online communication path. In that note I were wrote a imagination of nation
future with sound of real culture of INDIA . that is a one and only Unity . yes Unity is a real culture of our
Nation because in past my nation was lived like a joint family . today that
culture , you all can see in America
they are living like a joint family . they are following to culture of our
nation that’s example I were saw on
online by a update from white house .
Hon’ble President of America Barack Obama
was updated a greeting with good wish for our light festival of DEEPAWLI
. what you say to it..? I am thankful
for Hon’ble President of America because he was gave respect by his true wish
words to our nation by a greeting . Actually I were shared my view about
nation with my nation peoples. That same note I were shared with Hon’ble
President of INDIA and then Hon’ble
President of America . In reply I saw
that greeting with good wish from president of America . Here that’s image for your visit with good wish words of President of America .
I know
you all want to know what I were wrote in that critical note so here I want to share that note copy
for your reading . I hope google translate or bing translate will translate it
very well for your reading in your own language .
मित्रों आज सुबह राजस्थान पत्रिका अखबार पढ़ा ! एक खबर पढ़ी जिसमे नाम सूचि प्रकाशित थी भविष्य के एम् एल ऐ उम्मीदवारो कि ! जिनके नाम प्रकाशित हुए है उनके लिए ये दीपावली का दिन वास्तव में आज शुभ समाचार के साथ प्रारम्भ हुआ ! पर वो सूचि सिर्फ एक समाजसेवी दल कि और से अपने दल के उम्मीदवारो के लिए ही थी !
उस पल मेरे जहन में एक रचनात्मक विचार आया जो मै आप के साथ साझा कर रहा हूँ !
उस पल मेरे जहन में एक रचनात्मक विचार आया जो मै आप के साथ साझा कर रहा हूँ !
हम एक , देश एक, देश कि जुबान एक , राष्ट्र गान एक , राष्ट्र ध्वज एक , विकास कि विचारना एक , फिर ये अनेक समाज सेवी दल क्यों ? चयन प्रक्रिया सही मानदंड पर, पर उस चयन में भिन्न भिन्न दल बल क्यों ! हमारा चुनाव आयोग एक ..तो फिर ऐसा क्यों ..?
मेरा रचनात्मक विचार ये है कि देश जब एक सरकार से चलता है तो फिर ये दलो कि भिन्नता क्यों ?
सभी दल शिक्षित और गुनी जनो के मार्गदर्शन से संचालित होते है और वे सभी एक ही देश में रहते और उसी का खाते है तो फिर एक परिवार कि तरह क्यों नहीं देश को संभल रहे क्यों दल - दल मानवीय विचारना को विभक्त करने पर विवश से है ? इस परिस्थिति में शायद दल तो चल सकते है पर देश का आम इंसान और एक कर्मठ व्यक्तित्व लाचारी सी महसूस करता है क्यों कि देश दल के पंजीकरण कि व्यवस्था में उलज सा गया है ! सीधा पूछा जाता है कि कोण से दल से हो और किसी दल से नहीं तो कोई वजूद नहीं उस आम इंसान का क्यों कि वो देश का है किसी दल का नहीं !
मै एक रचनाकार कल के भारत कि कल्पना आलोचनात्मक ढंग से कर रहा हूँ ! आज पूरा देश जनता है कि देश दल राजनीती में उलज गया है ! गत सरकारे चली पर कई दलों को एक साथ लेकर तो इस से ये तो तय हो गया है कि देश दल से नहीं संगठन से चलता आया था और आगे भी चल सकेगा ! बिना संगठन १८ ५ ७ कि क्रांति सम्भव न होती , महात्मा गांधी के संगठन के बगैर देश को आजादी न मिलती तो फिर आगे संगठन क्यों नहीं ? ये दल बदल क्यों ? क्या आवश्यक्ता है इन दलो कि ? आज देश को आवश्यक्ता है बूधी जीवियों के मनो बल कि जो प्रचुर मात्रा में देश में व्याप्त है पर इस दल संस्कृति कि व्यवस्था में अलग अलग खंडो और दलों में बंट गया है हमारा देश और ये बंटाव देश के राष्ट्रीय और मानसिक विकास का सीधे हनन का कारन बन गया है !
मेरे साथ कल्पना करे कि देश का आने वाला चुनाव या चयन प्रक्रिया में कोई दल गत उम्मीदवारी न होवे ! चुनाव आयोग उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया में शामिल होने कि अनुमति देवे उसके पंजीयन के बाद ! फिर जो चयनित होवे वे सब मिलकर एक सरकार बनावे इस अखंड देश को सम्भाले . अपने बुद्धिजीवी होने का विश्व को प्रमाण देवे और देश कि आवाम को सुकून कि रोटी और चेन कि नींद देवे ! सामाजिक व्यवस्था में प्राथमिक जरूरत सरल और सुलभ तरीके से उपलब्ध करावे ! सब गुनी जन अपने कर्म में जुट जावे इस क्रम में मै नहीं समझता कि कही कोई दल कि भी आवश्यक्ता पड़ती नजर आये !
एक सरकार बिना दल कि तब होगा एक सच्चा संगठन देश का देश के लिए देश वासियों कि और से !
यही हमारा धर्म है देश के लिए, दल का कर्म धर्म नहीं प्रतीत होता मुझे ! राजा भारत ने भारत को परिवार के संविधान पर आधारित करके संस्कारित किया और चलाया एक संयुक्त परिवार कि भांति ! आज हम लोकतंत्र कि बात कर रहे है पर सविधान इस से परे जारहे है या देश के संस्कार ?
वही अमेरिका आज हाउस ( घर ) से देश को और आवाम को संचालित कर रहा है ! ठीक राजा भारत कि भांति वे हमारे संस्कार से देश चला रहे है और हम दल गत व्यवस्था में उल्जे जा रहे है हम से मेरा प्राय देश से है उसमे आवाम भी और उम्मीदवार भी ! देश आजाद हुआ तब उस समय कोई दल वाली बात नहीं थी जो सक्षम था उसे उस के हिसाब का काम सोपा गया और उस व्यक्ति विशेष ने पूरी निष्ठां से उसे कारनामे अंजाम दिया जिसे हम सब जानते है पर मानते नहीं है क्यों कि दल संस्कृति ने देश कि व्यवस्था को जकड लिया है !
कल्पना करे इस बार देश ऐसी सरकार बनाये जिसमे सभी दल मिलकर एक संगठन का रूप ले उसमे न कोंग्रेस हो न बी जे पि न जनतादल न समाज पार्टी ,न वामपंथी और न कोई और दल .आज देश को मानसिक और मानवीय बल कि जरूरत है किसी दल कि नहीं ! गुनी जन कि उमीदवारी व . सक्षम कि कार्यप्रणाली कि जरूररत है किसी दल कि नहीं ! मेरे देश में वे सब गुण है जो एक सक्षम देश में हुआ करते है पर उसे दल गत संस्कृति कि दिमख ने कमजोर करने का काम शुरू कर दिया है इन ६६ सालो में ..
अब समय हे कि हम देश को पुनः संगठन कि शक्ल के साथ विश्व में प्रकाशित करे अपने देश के सयुक्त परिवार कि सांस्कृतिक आभा के साथ क्यों कि हम एक है ! अब मै अपनी बात गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर कि काव्य पंक्ति से रोकना चाहूंगा .. उन्होंने कहा था काव्य अंदाज में एक्ला चलो रे , एक्ला चलो रे ! एक सशक्त संगठन शायद उनका कहने का आशय यही था जो मैंने कहने का प्रयास किया है अपने इस रचनात्म विचार के साथ ..जय हिन्द।
This post is a true
view of my vision for future of my nation, because
I were observed to real culture or that’s real impression on life
past to present so it is my guide
line or a request to educated persons of
my nation , it is must we follow to strong culture of our nation for a strong future of INDIA.
So I said strong
culture is inspire to us …
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA
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